विश्व को दूसरे महायुद्ध के बाद की अनाज की किल्लत का सबसे बडा झटका लगेगा – जर्मनी कें मंत्री का इशारा

बर्लिन – रशिया-युक्रेन युद्ध एवं कोरोना की महामारी के कारण निर्माण हुई उथल-पुथल की वजह से अनाज कीमतें बढ गई हैं। इस बढती महंगाई के कारण अनाज की किल्लत हो गई है और विश्व को दूसरे महायुद्ध के बाद सबसे बडी भुखमरी के संकट से झूझना पड सकता है, ऐसा इशारा जर्मनी के आर्थिक विकास एवं सहयोगमंत्री स्वेन्जा शुल्ज़ ने दिया। कुछ दिनों पूर्व ’वर्ल्ड फुड प्रोग्राम’ ने विश्व के ३० करोड से अधिक लोगों पर भुखमरी का संकट छाने का दावा किया था।

global-food-crisis-germany-1रशिया एवं युक्रेन का उल्लेख विश्व का ’ब्रेडबास्केट’ के नाम से किया जाता है। गेहूँ, फलियां, मकई, सूरजमुखी के उत्पादन में यह देश अग्रस्थान पर हैं। वैश्विक फलियों के कुल निर्यात में से लगभग १४ प्रतिशन निर्यात रशिया एवं युक्रेन से होता है। रशिया-युक्रेन युद्ध के कारण दोनों देशों की खेती पर बडे प्रभाव पडे हैं। रशिया पर लगाए गए प्रतिबंधों के कारण यहां से होनेवाले अनाज के निर्यात पर असर पडा है। तो युक्रेन पर किए गए हमलों की वजह से यहां के खेतों का बडे पैमाने पर नुकसान हुआ है।

इस पृष्ठभूमि पर विश्व के आघाडी के स्वयंसेवी गुट तथा नेता भविष्य में अनाज की किल्लत पर तथा महंगाई के भयानक संकट की ओर बार-बार ध्यान आकर्षित कर रहे हैं। ’स्थिति बहुत गंभीर है। संयुक्त राष्ट्र संघ के वर्ल्ड फुड प्रोग्राम ने दी हुई जानकारी के अनुसार फिलहाल पूरे ३० करोड से अधिक लोगों को तीव्र भुखमरी का सामना करना पड रहा है। विश्व में अनाज की कीमतें ३० प्रतिशत बढी हैं। महंगाई रिकार्ड स्तर पर पहुंची है। आनेवाले समय में विश्व को दूसरे महायुद्ध के बाद सबसे बडी अनाज की किल्लत का सामना करना पड सकता है। इसलिए करोडों लोगों की जान जा सकती है,’ ऐसा इशारा जर्मन मंत्री शुल्ज़ ने दिया है।

global-food-crisis-germany-2इस बार जर्मन मंत्री ने अनाज की किल्लत, महंगाई एवं भुखमरी के संकट के लिए रशिया पर कलंक लगाया। रशिया ने युक्रेन के अनाज के भंडारों पर कब्ज़ा किया है और कई देशों के निर्यात रोक रखी है, ऐसा आरोप शुल्ज़ ने लगाया है। रशिया के साथ ही ’हरित ईंधन’ के लिए होनेवाला अनाज का इस्तेमाल भी इस किल्लत के लिए जिम्मेदार होने का दावा जर्मन मंत्री ने किया। जर्मनी में भी ऐसे ईंधन का इस्तेमाल हो रहा है यह बात मानकर यह इस्तेमाल बंद करना जर्मनी समेत विश्व के सभी देशों की जिम्मेदारी है, ऐसा आवाहन भी उन्होंने किया।

पिछले महीने ’फुड ऐण्ड ऐग्रिकल्चर ऑर्गनाइज़ेशन’ (एफएओ) ने अनाज की सुरक्षा के मुद्दे की ओर ध्यान आकर्षित किया था। एशिया, अफ्रीका एवं खाडी स्थित गरी देश रथिया तथा युक्रेन से आयात होनेवाले गेहूं पर बडे पैमाने पर निर्भर हैं। पर इस युद्ध के कारण निर्माण हुई स्थिति में इन देशों को समय पर एवं पर्याप्त पैमाने पर अनाज ना मिलने की संभावना कम हुई है। इससे इन देशों में अनाज की किल्लत निर्माण हो सकती है, ऐसा इशारा ’एफएओ’ ने दिया था। तो संयुक्त राष्ट्र संघ ने आगाह किया था कि, अनाज की किल्लत के कारण अफ्रीका एवं खाडी स्थित देशों में दंगे-फसाद हो सकते हैं।

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