सोलोमन में चीन के सैन्य अड्डे पर ऑस्ट्रेलिया में राजनीतिक असर – ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री की घोषणा

कॅनबेरा – चीन की इंडो-पैसिफिक क्षेत्र पर वर्चस्व जमाने की महत्वाकांक्षा छुपी नहीं रही है। ऐसी स्तिथि में चीन ने सोलोमन आयलैंड पर लश्करी रल उभारने की कोशिश की तो सहयोगी देशों की सहायता से ऑस्ट्रेलिया चीन की कोशिश को नाकाम करेगा, ऐसा इशारा ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने दिया। इसके अलावा, सोलोमन आयलैंड पर निवेश करते हुए चीन ऑस्ट्रेलिया के रेड लाईन्स का उल्लंघन ना करे, ऐसा प्रधानमंत्री मॉरिसन ने फिर से आगाह किया है।

२१ मई को ऑस्ट्रेलिया में सार्वत्रिक चुनाव होने वाले हैं। इसके लिए प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन के खिलाफ लेबर पक्ष के ऐंथनी अल्बानीज़ के तगडे आव्हान का दावा किया जा रहा है। कुछ दिनों पूर्व ऑस्ट्रेलिया में किए गए सवेक्षण में भी प्रधानमंत्री मॉरिसन की लोकप्रियता घटने की बात स्पष्ट हुई थी। इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन की लश्करी गतिविधियों के खिलाफ मॉरिसन को कठोर भूमिका लेने में सफलता नहीं मिली, यह उनकी लोकप्रियता के घटने का प्रमुख कारण माना जा रहा है।

रविवार को प्रधानमंत्री मॉरिसन और अल्बानीज़ के बीच हुए टीवी डिबेट में भी इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन के बढते प्रभाव और ऑस्ट्रेलियन सरकार की नीतियों पर जोरदार विवाद छिडा। चीन और सोलोमन आयलैंड में हुए सुरक्षाविषयक करार के मुद्दे पर अल्बानीज़ ने मॉरिसन की नीतियों पर जोरदार टीका की। चीन ने सोलोमन आयलैंड के साथ किया हुआ करार ऑस्ट्रेलिया की सुरक्षा के लिए चुनौती है और इसे मॉरिसन जिम्मेदार होने का आरोप अल्बनीज़ ने लगाया।

चीन को ऐसा करने नहीं देंगे, ऐसी घोषणा करके प्रधानमंत्री मॉरिसन ने अपने पर लगाई गई आपत्तियों के उत्तर देने की कोशिश की।  पर चीन से ऑस्ट्रेलिया को संभावित धोखा बहुत गंभीर बात है, इस पर मॉरिसन के विरोधक ध्यान आकर्षित कर रहे हैं। ऐसी स्थिति में ऑस्ट्रेलिया को अपनी सुरक्षा के लिए अधिक आक्रामक गतिविधियां करनी पडेंगी, ऐसा सामरिक विश्लेषकों का कहना है। युद्ध की ध्वनि कानों पर सुनाई पडने के बावजूद, अपने देश को अब भी इस धोखे का पूरा अहसास नहीं हुआ है, ऐसी टिप्पणी ऑस्ट्रेलिया के माध्यम भी करने लगे हैं। इसका असर मॉरिसन पर पड रहा है। 

ऐसी स्थिति में राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए आक्रामक भूमिका के पुरस्कृत कर्ता ऐन्थनी अल्बानीज़ को मिल रहा प्रतिसाद बढ रहा है। प्रधानमंत्री मॉरिसन की लोकप्रियता घट रही है, तभी अल्बानीज़ को जनता का अधिक साथ मिलने के दावे ऑस्ट्रेलियन माध्यम कर रहे हैं। पिछले कुछ सालों से चीन के बारे में भूमिका ऑस्ट्रेलिया के अंतर्गत सियासत का अत्यंत महत्वपूर्ण मुद्दा बना है। ऑस्ट्रेलिया के विद्यापीठों से लेकर अंतर्गर सियासी व्यवस्था में चीन का प्रभाव बढने की चिंता इस देश के नेतागण एवं माध्यम कर रहे हैं। तो चीन द्विपक्षिय व्यापार का ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ हथियार की तरह इस्तेमाल कर रहा है ऐसा आरोप भूतपूर्व प्रधानमंत्री टोनी ऐबट ने लगाया था। इसकी वजह से प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन एवं उन्हें चुनौती देनेवाले अल्बनीज़ के चीनविषयक भूमिका को निर्णायक सियासी महत्व प्राप्त हुआ है।

स्कॉट मॉरिसन ने प्रधानमंत्री का पदभार संभालने से लेकर अपने देश में चीन के हस्तक्षेप रोकने जैसे कठोर निर्णय लिए थे। कोरोना की महामारी चीन द्वारा फैलाई जाने के शक व्यक्त किए जा रहे थे तब मॉरिसन की सरकार ने इसकी गहराई तक जानकारी निकालने की मांग की थी। इसकी वजह से चिडे हुए चीन ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ व्यापार युद्ध पुकारा था और इसका मॉरिसन सरकार ने धीरज से सामना किया। भारत जैसे देश के साथ व्यापारी एवं सामरिक सहयोग बढाकर मॉरिसन की सरकार ने चीन को प्रत्युत्तर दिए थे।

तब भी प्रधानमंत्री मॉरिसन चीन के बारे में आक्रामक नीति नहीं अपनाते ऐसे आरोप ज़ोर पकड रहे हैं। यह बात ऑस्ट्रेलियन जनता में चीन के खिलाफ तीव्र भावना स्पष्ट करती है। पर मॉरिसन चीन के खिलाफ कुछ नहीं कर पाए, ऐसे दावे करनेवाले अल्बानीज़ भूतपूर्व प्रधानमंत्री केविन रूड के पक्ष के नेता हैं। केविन रूड पक्के चीनसमर्थ नेता माने जाते हैं।

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