रशिया को बहिष्कृत करने के मुद्दे पर जी20 सदस्य देशों के बीच मतभेद

वॉशिंग्टन – युक्रेन के खिलाफ युद्ध छेडने वाली रशिया को ’जी20′ संघटना से बहिष्कृत किया जाए, ऐसी मांग पश्चिमी देश कर रहे हैं। इसके लिए अमेरिका, ब्रिटेन, कैनडा एवं मित्रराष्ट्रों ने जी20 की बैठक का सभात्याग करके अन्य राष्ट्रों पर दबाव डालने की कोशिश की। पर भारत, चीन, सौदी अरेबिया, ब्राज़िल, दक्षिण अफ्रीका और अन्य राष्ट्रों ने यह बात नहीं मानी। इसलिए रशिया-युक्रेन जी20 संघटना में ही मतभेद निर्माण होने की बात स्पष्ट हुई है।

बहिष्कृतअमेरिका की राजधानी वॉशिंग्टन में जी20 सदस्य राष्ट्रों के वित्तमंत्रियों की ’फंड-आइएमएफ’ नामक सालाना बैठक जारी है। इसमें रशिया के उप-विदेशमंत्री ॲन्तोन सिलुआनोव जब बोलने के लिए खडे हो गए तब पश्चिमी मित्रराष्ट्र सभात्याग करने लगे। अमेरिका के कोषागारमंत्री जेनेट यालेन ने रशिया के खिलाफ सभात्याग करने पर ब्रिटेन, कैनडा के वित्तमंत्री भी उसमें शामिल हुए। कैनडा के वित्तमंत्री ने सभात्याग करनेवाले दस राष्ट्रों के वित्तमंत्रियों के फोटो सोशल मिडीया पर प्रसिद्ध किए इस निर्णय का समर्थन किया।

पर इस बैठक में शामिल भारत, चीन, ब्राज़िल, दक्षिण अफ्रीका, सौदी अरेबिया, इंडोनेशिया ने सभात्याग नहीं किया। इस बैठक में भारत की वित्तमंत्री निर्मला सीतारामन भी शामिल थीं। रशिया-युक्रेन युद्ध के प्रति भारत ने तटस्थ भूमिका अपनाई है। तो चीन, दक्षिण अफ्रीका ने युक्रेन युद्ध के लिए नाटो को जिम्मेदार ठहराया है। रशिया जैसे महत्वपूर्ण राष्ट्र को इस संघटना से अलग नहीं किया जा सकता ऐसी भूमिका ब्राज़िल, सौदी अरेबिया ने अपनाई है। इसलिए रशिया के मुद्दे पर जी20 राष्ट्रों में मतभेद होने की बात सामने आई है।

बहिष्कृतजी20 राष्ट्रों के राष्ट्रप्रमुखों ने मुख्य बैठक आनेवाले नवंबर में इंडोनेशिया के जकार्ता में होगी। इस बैठक में रशिया को आमंत्रित ना किया जाए, इसके लिए पश्चिमी राष्ट्र इंडोनेशिया पर दबाव डाल रहे हैं। इंडोनेशिया ने रशियन राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमिर पुतिन को आमंत्रित किया तो हम इस बैठक पर बहिष्कार डालेंगे, ऐसी धमकी अमेरिका के राष्ट्राध्यक्ष ज्यो बायडेन ने दी है।

इससे पहले सन २०१४ में रशिया ने युक्रेन पर हमला करके क्रिमिया के भूभाग पर कब्ज़ा किया था। तब अमेरिका एवं युरोपिय राष्ट्रों ने रशिया को जी-8 नामक औद्योगिक तौर पर प्रगत राष्ट्रों की संघटना से विलुप्त किया था। तत्पश्चात पिछले सात वर्षों से जी-7 का आयोजन किया जाता है। इसी तरह अमेरिका एवं युरोपिय राष्ट्र अब भी जी20 संघटना से रशिया को विलुप्त करने की यूजना बना रहे हैं, ऐसा दावा अंतरराष्ट्रीय माध्यम कर रहे हैं। मगर युक्रेन के युद्ध के प्रति जी20 सदस्य राष्ट्रों के बीच मतभेदों पर गौर करें तो इस संघटना में रशिया को बहिष्कृत करना इतना आसान नहीं है। जी20 का जी19 नहीं बन सकता, ऐसा अंतरराष्ट्रीय विश्लेषकों का कहना है।

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