युद्ध में कौन जिएगा यह आगे से ‘एआई’ से तय होगा – अमरिकी लष्करी अधिकारी का बयान

तृतीय महायुद्ध, परमाणु सज्ज, रशिया, ब्रिटन, प्रत्युत्तरवॉशिंगटन – भविष्य के युद्ध में कोई सैनिक जख्मी हुआ तो उसकी जान बचाने की जिम्मेदारी लष्करी अड्डे पर मौजुद डॉक्टर से भी अधिक ‘आर्टिफिशल इंटेलिजन्स’ (एआई) पर रहेगी| इस जख्मी सैनिक की जान बचानी है या उसकी मृत्यू होने देनी है, यह ‘एआई’ के निर्णय पर तय होगा| अमरिकी सेना के वरिष्ठ अफसर ने एक समाचार चैनल से बोलते समय यह जानकारी दी|

अमरिका के ‘आर्मी इन्स्टिट्यूट ऑफ सर्जिकल रिसर्च’ इस वैद्यकिय विभाग के प्रमुख ‘जेरमी बुलर’ ने सेना की सेवा में ‘एआई’ तकनकी अहम भूमिका संभालेगी, यह कहा| सेना के वैद्यकीय क्षेत्र में डॉक्टर्स को जख्मी सैनिक पर उपचार करते समय कुछ निर्णय शीघ्रता से करने होते है| ऐसे समय पर ‘एआई’ पर आदारित तकनीक का इस्तेमाल अच्छी तरह से हो सकता है, ऐसा बुलर ने कहा है| लेकिन, साथ ही जिस समय इस ‘एआई’ से जानलेवा निर्णय भी हो सकते है, यह इशारा बुलर ने दिया|

युद्ध में सैनिक जख्मी हुए है और उन्हें तुरंत खून और उपचार की जरूरत है| ऐसी स्थिति में कौन से सैनिक को प्राथमिकता देनी है, यह तय करने के सभी अधिकार ‘एआई’ के हाथ में रहेंगे| कुछ तादाद में यह निर्णय सही साबित होगा| लेकिन, किसी समय ‘एआई’ का निर्णय जख्मी सैनिक के लिए जानलेवा साबित हो सकता है| जख्मी सैनिक पर इलाज करने से पहले ‘एआई’ इस सैनिक का इतिहास जांच लेगी और इसके जरिए निर्णय किया जाएगा| साथ ही भविष्य की मुहीमों के लिए इस सैनिक की उपयोगिता का भी एआई विचार करेगा| इस वजह से ‘एआई’ के हाथ में जख्मी सैनिक का जीवदान होगा, यह दावा बुलर ने किया है|

अमरिकी सेना में ‘आर्टिफिशल इंटेलिजन्स’ (एआई) यानी की कृत्रिम बुद्धमत्ता के बलबुते पर तकनीक और अन्य हथियार विकसित करने के लिए अमरिका की बडी कोशिश शुरू है| ‘डिफेन्स एडवान्स्ड् रिसर्च प्रोजेक्टस् एजन्सी’ (डार्पा) इस संस्था ने इसके लिए पहल की है|

Leave a Reply

Your email address will not be published.