‘आर्टिफिशल इंटेलिजन्स’ का परमाणु हथियार पर नियंत्रण रहना विनाशकारी युद्ध का कारण साबित हो सकता है – ‘बुलेटिन ऑफ एटोमिक सायन्टिस्टस्’ का इशारा

तृतीय महायुद्ध, परमाणु सज्ज, रशिया, ब्रिटन, प्रत्युत्तरन्यूयॉर्क – आर्टिफिशल इंटेलिजन्स तकनीक का परमाणु हथियारों का नियंत्रण रखने सेटर्मिनेटरफिल्म में दिखाया गया है, उसी तरह से विनाशकारी युद्ध की शुरूआत हो सकती है, यह चेतावनीबुलेटिन ऑफ एटोमिक सायन्टिस्टस्इस पत्रिका में दिया गया है| पिछले कुछ वर्षों में अमरिका, चीन, रशिया जैसे प्रमुख देश फिर एक बार परमाणु हथियारों की तैनाती बढाने की बात सामने चुकी है| उसी समय रक्षाक्षेत्र मेंआर्टिफिशल इंटेजिन्सजैसी प्रगत तकनीक का इस्तेमाल भी बढ रहा है| यह बात खतरनाक होने की चेतावनी दुनियाभर के वैज्ञानिक एवं विशेषज्ञ लगातार दे रहे है|

अमरिका कीकॉर्नेल युनिव्हर्सिटीका हिस्सा होनेवाले विशेषज्ञों नेआर्टिफिशल इंटेलिजन्सऔर परमाणु हथियार, के विषय पर पेपर प्रकाशित किया है| इस पेपर में रक्षा क्षेत्र मेंआर्टिफिशल इंटेलिजन्सका इस्तेमाल कुछ वर्षों पहले ही शुरू हुआ है| अब इस इस्तेमाल का दायरा बढ कर परमाणु हथियारों तक पहुंचने की बात पर ध्यान आकर्षित हो रहा है| परमाणु हथियारों की यंत्रणा संभाल रहे दल को हमले की सूचना देनेवाली यंत्रणा स्वयंचलित है और इसमेंआर्टिफिशल इंटेलिजन्सका इस्तेमाल किया गया है

रशिया और चीन जैसे देश अमरिका को पीछे छोडने के लिएआर्टिफिशल इंटेलिजन्सजैसी तकनीक का बडी मात्रा में इस्तेमाल कर रहे है और इसमें कई ज्यादा खतरा होने का एहसास विशेषज्ञों ने कराया है| ‘रक्षा क्षेत्र के प्रमुख देशों को आर्टिफिशल इंटेलिजन्स जैसी प्रघत तकनीक का आकर्षण होने की संभावना है और वही उन्हें सुरक्षित विकल्प होने का एहसास है| पर, इस में कुछ नुकसान करने वाले खतरें भी है, जीसे कोई बडी दुर्घटना हुए बिना समझना मुमकिन नही, इन शब्दों में अमरिकी विशेषज्ञों नेआर्टिफिशल इंटेलिजन्ससंबंधी कडी चेतावनी दी है|

संबंधित रपट में रशिया केपोसायडननाम केन्युक्लिअर टॉर्पेडोका भी जिक्र है| इसमेंआर्टिफिशल इंटेलिजन्सका इस्तेमाल किया गया है और इस तरह के रक्षा यंत्रणाओं का निर्माण शुहू हो सकता है, यह चिंता अमरिकी विशेषज्ञोंने अपने रपट में व्यक्त की है| परमाणु हथियारों का विचार करे तो, ‘आर्टिफिशल इंटेलिजन्सका नियंत्रण ना होना कैसै हित में रहता है, यह स्पष्ट करने के लिए वर्ष १९८३ में रशिया में हुई एक घटना का जिक्र किया गया है|

उस समय के रशियन संघराज्य मेंलेफ्टनंट कर्नल स्टैनिस्लाव पेत्रोव्हइस अधिकारी के हाथ में परमाणु यंत्रणा की अहम जिम्मेदारी थी| उस समय सक्रिय होनेवालीअर्ली वॉर्निंग सिस्टमसे उन्हें अमरिकी मिसाइल संबंधी संदेशा प्राप्त हुए थे| जिसमें कुछ ऑडियोव्हिज्युअल्स भी शामिल थे| पर, कर्नल पेत्रोव्ह ने स्वयं की निर्णय क्षमता का इस्तेमाल करके यह संदेश नजरअंदाज किए| यह संदेश गलत होने की बात साबित हुई और इससे ही अमरिकारशिया का परमाणु युद्ध नही हो सका, यह कहकर परमाणु हथियारों पर मनुष्य का नियंत्रण अहम होने का मुद्दा इस रपट में डटकर दर्ज किया गया है|

तीन महीने पहले अमरिका के भूतपूर्व उपरक्षामंत्री रॉबर्ट वर्क ने भी परमाणु हथियारों परआर्टिफिशल इंटेलिजन्सका नियंत्रण घातिक साबित होगा, यह चेतावनी बडी गंभीरता के साथ दी थी| चीन के रक्षादल में आर्टिफिशल इंटेलिजन्स पर निर्धारितन्युक्लिअर कमांडकी यंत्रणा बनी है और इस यंत्रणा ने अमरिका ने हमला करने का संदेशा देकरप्रिएम्टिव्ह स्ट्राईककी सलाह अबी दी तो, क्या होगा, यह सवाल भी उन्होंने सामने रखा था|

पिछले कुछ वर्षों से दुनिया के कई अलग अलग देशों के रक्षादलों मेंआर्टिफिशल इंटेलिजन्सतकनीक का इस्तेमाल होनेवाली घातक यंत्रणा शामिल हो रही है| इससे संबंधित नियम और अन्य बातों के मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बडा विवाद शुरू है| संयुक्त राष्ट्रसंघ इस मुद्दे को संभाल रहा है और इशके लिए स्वतंत्र गुट का निर्माण भी किया गया है|

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