रशिया में बढ रहा है ‘फेशिअल रेकग्निशन’ यंत्रणा का विरोध

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मास्को – रशिया की राजधानी मास्को मेंफेशिअल रेकग्निशनतकनीक पर आधारित यंत्रणा कार्यरत हुई है और इसे स्थानिय नागरिक और स्वयंसेवी गुट विरोध कर रहे है| राजधानी मास्को में लगभग दो लाख सीसीटीव्ही कैमेले लगाए गए है और इसका इस्तेमाल पुलिस एवं अन्य सुरक्षा यंत्रणा कर रही है| दो महीने पहले ही रशिया ने स्वतंत्र इंटरनेट का परीक्षण किया था| इसके पीछे कार्यरत हुईफेशिअल रेगग्निशनयंत्रणा ध्यान आकर्षित करनेवाली घटना साबित हुई है|

सवा करोड जनसंख्या के मास्को शहर में पिछले कुछ वर्षों से सीसीटीव्ही कैमेरे लगाने का काम हो रहा है और इसके जरिए फेशियल रेकग्निशनतकनीक कार्यरत की गई है| मास्को के आयटी विभाग के वरिष्ठ अफसर दिमित्रि गोलोविन ने हाल ही में हुई एक तकनीक से संबंधित परिषद में इस यंत्रणा की जानकारी प्रदान की| गोलोविन ने एक लाख सिक्युरिटी कैमेले लगाने की बात कही है, पर असल में इन कैमेरों की संख्या कई ज्यादा होगी| मास्को के मेयर सर्जेई सोब्यानिन ने शहर में .७५ लाख कैमेरे लगे होने की जानकारी पिछले महीने में ही दी थी

रशिया में वर्ष २०१८ में हुएफिफा वर्ल्डकपके दौरान फेशिअल रेकग्निशन तकनीक का परीक्षण किया गया था, यह जानकारी भी अब सामने रही है| इश यंत्रणा के लिए सीर्फ मास्को में ही करीबन तीन अरब रुबल्स से भी अधिक खर्च किया गया है| राजधानी मास्को में लगाई यह यंत्रणा दुनिया की सबसे बडी यंत्रणा होने का दावा भी किया गया है| पर, रशियन सरकार की पहल से शुरू की गई इस यंत्रणा पर नाराजगी जताई जा रही है| मास्को में स्थानिय गुट और कुछ राजनयिक नेताओं ने भी इस यंत्रणा के विरोध में अदालत में याचिका दायर की है|

मास्को के कुछ युवकों ने सोशल मीडिया के जरिएफेशिअल रेकग्निशनतकनीक का इस्तेमाल करने के विरोध में मुहीम शुरू की है| ‘स्लेडुईनाम की इस मुहीम के तहेत चेहरे पर विचित्र रंग लगाकर लिए फोटो सोशल मीडिया पर डाले जा रहे है| इसके लिए काले एवं लाल रंग का इस्तेमाल किया गया है| हमारी अनुमति के बिना हमारे चेहरे की पहचान हो या इस्तेमाल हो, हमें स्वीकार नही है और यह मेकअप असहयोग का प्रतिक है, यह दावा इस मुहीम में शामिल युवा कर रहे है|

पिछले कुछ वर्षों में सुरक्षा और निगरानी के लिए दुनिया भर में सिक्युरिटी कैमेरों का इस्तेमाल बडी मात्रा में हो रहा है| इन कैमेरों को आर्टिफिशल इंटेलिजन्स और फेशिअल रेकग्निशन तकनीक से जोडकर इसका इस्तेमाल आम नागरिकों की जासूसी करने के लिए होगा, यह डर लगातार जताया जा रहा है| दो वर्ष पहले मायक्रोसॉफ्ट जैसी बहुराष्ट्रीय कंपनी के अध्यक्ष ने फेशिअल रेकग्निशन तकनीक मानवी समाज के मूलभूत तंत्र पर हावी होनेवाली तकनीक साबित हो सकती है, यह इशारा भी दिया था|

पिछले वर्ष चीन ने देश में उघुरवंशियों पर निगरानी रखने के लिए फेशिअल रेकग्निशन तकनीक का इस्तेमाल शुरू करने की बात स्पष्ट हुई थी| इसके बाद यूरोपिय महासंघ ने भी इस मुद्दे पर नियम तय करने की आवश्यकता स्पष्ट करके यूरोपिय देशों में इस तकनीक का प्रयोग करने पर प्रतिबंध लगाने के संकेत दिए थे|

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