‘एआई’ के ज़रिये किया दुष्प्रचार विश्व के लिए घातक साबित होगा ‘वर्ल्ड इकॉनॉमिक फोरम’ की रपट का इशारा

डावोस – उन्नत ‘आर्टिफिशल इंटेलिजन्स’ प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करके गलत और गुमराह करने वाली जानकारी साझा करके किया दुष्प्रचार जनतंत्र को खत्म करने का साधन साबित होगा। इससे समाज में बड़ी तेज़ी से ध्रुवीकरण होगा और करीबी समय में यह बात वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए सबसे बड़ा खतरा साबित होगा, ऐसी चेतावनी ‘वर्ल्ड इकॉनॉमिक फोरम’ (डब्ल्यूईएफ) की नई रपट में दी गई है। बुधवार को जारी हुई इस रपट में ‘डब्ल्यूईएफ’ ने मौसम के बदलाव और नैसर्गिक आपदा, समाज का ध्रुवीकरण, साइबर क्षेत्र की अनसुरक्षितता एवं दो देशों के संघर्ष को इस रपट में सबसे बड़े खतरे करार दिया है।

‘एआई’ के ज़रिये किया दुष्प्रचार विश्व के लिए घातक साबित होगा ‘वर्ल्ड इकॉनॉमिक फोरम’ की रपट का इशारावर्ल्ड इकॉनॉमिक फोरम’ ने ‘ग्लोबल रिस्कस्‌ रिपोर्ट २०२४’ नामक रपट जारी की है। इसमें करीबी समय के खतरे और लंबे समय के खतरों का ज़िक्र किया है। करीबी समय के खतरों में सबसे बड़े खतरे के तौर पर ‘एआई’ के ज़रिये होने वाले दुष्प्रचार पर ध्यान आकर्षित किया गया है। साथ ही लंबे समय के खतरों में मौसम के बदलाव और इससे उभरने वाली आपदाओं का ज़िक्र इस रपट में है। यह रपट बनाने वाले विशेषज्ञों ने अगले दशक में विश्व में बहुपक्षीय व्यवस्था यानी ‘मल्टिपोलर ऑर्डर’ विकसित होगी, ऐस अनुमान जताया है।

‘ए‘एआई’ के ज़रिये किया दुष्प्रचार विश्व के लिए घातक साबित होगा ‘वर्ल्ड इकॉनॉमिक फोरम’ की रपट का इशाराआई’ प्रौद्योगिकी में तेज हो रहे बदलाव मौजूदा समस्याओं में अधिक बढ़ोतरी कर रहे हैं और इस मुद्दे पर यह रपट ध्यान आकर्षित कर रही ह। ‘चैट जीपीटी’ जैसे जनरेटिव ‘एआई’ की वजह से कृत्रिम कंटेन्ट तैयार हो रहे हैं और इसके आधार पर समाज के विभिन्न गुटों को नियंत्रित करने की या उनका मतपरिवर्तन करने की कोशिश हो सकती है, यह दावा इस रपट में है। एआई प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल चुनाव के दौरान समाज में ध्रुवीकरण करने के लिए एवं बड़े साइबर हमले करने के लिए भी हो सकता है, इसका अहसास इस रपट में है।

वर्ष २०२२ में ‘ओपन एआई’ कंपनी ने ‘चैट जीपीटी’ नामक ‘जनरेटिव एआई मॉडेल’ पेश किया गया था। इस मॉडेल का बढ़ता इस्तेमाल और इससे प्राप्त हो रहे जवाबों की पृष्ठभूमि पर ‘एआई’ के खतरे एवं इसके नियंत्रण का मुद्दा चर्चा का विषय बना था। ‘एआई’ के ज़रिये किया दुष्प्रचार विश्व के लिए घातक साबित होगा ‘वर्ल्ड इकॉनॉमिक फोरम’ की रपट का इशाराविश्व के प्रमुख देशों सहित बहुराष्ट्रीय कंपनियां, शीर्ष उद्यमी, अभ्यास गुट और संयुक्त राष्ट्र संघ ने भी एआई को लेकर चिंता जताई थी।

पिछले साल मार्च महिने में अमेरिका स्थित ‘फ्युचर ऑफ लाईफ इन्स्टीट्यूट’ नामक अभ्यास गुट ने आर्टिफिशल इंटेलिजेन्स क्षेत्र के खतरों को लेकर अंतरराष्ट्रीय समुदाय को खुला खत लिखा था। इसमें आर्टिफिशल इंटेलिजेन्स क्षेत्र में हो रहें बड़े प्रयोग और अनुसंधान छह महीनों के लिए बंद करने का आवाहन किया गया था। इसके बाद एआई क्षेत्र के विशेषज्ञ एलिझर युडकोवस्की ने भी यह चेतावनी दी थी कि, ‘स्मार्ट आर्टिफिशल इंटेलिजेन्स’ का विकास पृथ्वी की मानवजात के विनाश की वजह बन सकती है।

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