चीन के दबाव में आकर विश्व स्वास्थ्य संगठन ने ताइवान को स्थान नहीं दिया – अमरीका, ब्रिटेन, जापान समेत सात देशों की आलोचना

जिनेवा – विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी ‘डब्ल्यूएचओ’ चीन के दबाव में आने की बात फिर से स्पष्ट हुई है। ‘डब्ल्यूएचओ’ की सालाना बैठक में शामिल होने के लिए ताइवान ने की हुई बिनती इस संगठन ने ठुकराई। ताइवान को निरिक्षक देश का दर्जा बहाल करने से भी चीन ने किए इनकार के सामने भी ‘डब्ल्यूएचओ’ झुकी थी। विश्व स्वास्थ्य संगठन की इस भूमिका पर अमरीका, ब्रिटेन, फ्रान्स और जापान ने कड़ी आलोचना की। साथ ही इन देशों ने इस बैठक में ताइवान की भूमिका भी रखी।

चीन के दबाव में आकर विश्व स्वास्थ्य संगठन ने ताइवान को स्थान नहीं दिया - अमरीका, ब्रिटेन, जापान समेत सात देशों की आलोचनाविश्व स्वास्थ्य संगठन का मुख्यालय जिनेवा में २१ से ३० मई के दस दिनों के सालाना बैठक का आयोजन किया गया है। कोरोना वायरस विरोधी जंग के मुद्दे पर आयोजित इस बैठक के लिए दुनियाभर के देशों को आमंत्रित किया गया था। लेकिन, हमेशा की तरह विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस बैठक से ताइवान को दूर रखा है। ताइवान के विदेश मंत्रालय ने विश्व स्वास्थ्य संगठन के सामने इस बैठक को लेकर विशेष बिनती भी रखी थी। लेकिन, चीन और पाकिस्तान ने ताइवान को शामिल करने के विरोध में मतदान किया। इसके अलावा बेलिझ, नाउरुं मार्शल आयलैण्डस्‌‍ और इस्वातीनी इन चार देशों ने ताइवान को शामिल करने के पक्ष में मतदान किया।

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने ताइवान को इस बैठक से दूर रखने के किए निर्णय की अमरीका, ब्रिटेन, फ्रान्स, जापान, ऑस्ट्रेलिया, कनाड़ा और झेक रिपब्लिक इन सात देशों ने कड़ी आलोचना की। वैश्विक महामारी के विरोधी जंग में ताइवान का योगदान ठुकराया नहीं जा सकता, ऐसा इन सात देशों ने कहा है। इस वजह से ज़िम्मेदार घटक के तौर पर ताइवान को इस बैठक में स्थान मिलना आवश्यक था, ऐसा इन देशों ने कहा। चीन के दबाव में आकर विश्व स्वास्थ्य संगठन ने ताइवान को स्थान नहीं दिया - अमरीका, ब्रिटेन, जापान समेत सात देशों की आलोचनालेकिन, ताइवान को निरिक्षक देश का दर्जा बहाल करने के लिए भी विश्व स्वास्थ्य संगठन बिल्कुल भी तैयार नहीं।

चीन के विदेश मंत्रालय ने विश्व स्वास्थ्य संगठन के इस निर्णय का स्वागत किया। साथ ही ‘स्वास्थ्य संबंधित मुद्दों पर राजनीति करने की ज़रूरत नहीं। साथ ही चीन के अंदरुनि कारोबार में दखलअंदाज़ी करने की भी ज़रूरत नहीं है’, इन शब्दों में चीन के विदेश मंत्रालय ने ताइवान के समर्थन में मतदान करनेवाले चार देशों को चेतावनी दी। ताइवान पर चीन का नियंत्रण होने का ऐलान चीन के विदेश मंत्रालय ने किया है।

लेकिन, ताइवान ने चीन का यह दावा ठुकराया है। ताइवान एक सार्वभौम देश हैं और अपना भविष्य निर्धारित करने का अधिकार ताइवान की जनता का ही हैं, यह कहकर ताइवान के विदेश मंत्रालय ने चीन का अधिकार ठुकराया। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इससे भी ताइवान को सालाना बैठक से दूर रखने की भूमिका अपनाई थी। चीन के दबाव में आकर विश्व स्वास्थ्य संगठन यह निर्णय करता है, यह आरोप भी लगाया जाता है।

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