रशिया को घेरने में पश्चिमी देश नाकाम हुए – रशिया के विदेश मंत्री लैव्हरोव्ह

मास्को –  रशिया को अलग-थलग करने की पश्चिमी देशों की कोशिश पुरी तरह से असफल हुई हैं। विश्व की ८५ प्रतिशत जनता पश्चिमी देशों की रशिया विरोधी नीति का साथ देने के लिए तैयार नहीं हैं। उल्टा उन्हें रशिया के साथ अच्छे ताल्लुकात रखने हैं, ऐसी फटकार रशिया के विदेश मंत्री सर्जेई लैव्हरोव्ह ने लगाई। मल्टिपोलैरिटी यानी बहुपक्षवाद पर रशिया ने आयोजित किए ‘वर्ल्ड ऑनलाइन कान्फरन्स’ में विदेश मंत्री लैव्हरोव्ह बोल रहे थे। 
लैव्हरोव्ह
पश्चिमी देशों ने स्वयं ही कथित नियमों पर आधारित विश्व व्यवस्था खड़ी करने की कोशिश की। इसके ज़रिये इतिहास का चक्र उल्टा घुमाने की
 
उनकी साज़िश थी और इसके लिए अमरीका और अमरीका के इशारों पर चल रहे देशों ने अन्य देशों पर दबाव बनाया था। लेकिन, उनकी यह साज़िश पुरी तरह से असफल हुई और उनकी फजीती हुई हैं, ऐसी तीखी आलोचना रशियन विदेश मंत्री ने इस दौरान की। हम इन उपनिवेशवादियों के पीछे खड़े नहीं रहेंगे, यही विश्व की ८५ प्रतिशत जनता ने दिखाया है, ऐसा लैव्हरोव्ह ने कहा।
 
यूरेशिया, इंडो-पैसिफिक, खाड़ी, अफ्रीकी क्षेत्र और लैटिन अमरिकी देशों मे नए सत्ता केंद्र विकसित हो रहे हैं। इन देशों को अपने राष्ट्रीय हितसंबंधों पर आधारित स्वतंत्र नीति अपनानी हैं। उन्होंने पश्चिमी देशों की रशिया विरोधी नीति का हिस्सा बनने से इन्कार किया हैं। इस वजह से जी ७ जैसें संगठनों का प्रभाव खत्म हो रहा हैं। साथ ही ब्रिक्स और एससीओ यानी शांघाय को-ऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन जैसी संगठनों का प्रभाव बढ़ रहा हैं, ऐसा लैव्हरोव्ह ने स्पष्ट किया।
 
संयुक्त राष्ट्र संघ की सनद पर भरोसा रखनेवाले यह देश ड़र से निर्माण हो रहे संतुलन पर नहीं, बल्कि हितसंबंधों के संतुलन पर भरोसा करते हैं, यह कहकर रशियन विदेश मंत्री ने इसपर संतोष व्यक्त किया। इसी बीच, शुक्रवार को रशिया के राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमीर पुतिन ने भी मुट्ठी भर देशों ने तैयार किए कथित नियमों के अनुसार रशिया नहीं चलेगी, ऐसी चेतावनी दी थी। रशिया इन देशों के आगे झुकेगा नहीं, लेकिन, यूरेशिया, अफ्रीका और लैटिन अमरिकी देशों के साथ सहयोग करने के लिए रशिया उत्सुक हैं, ऐसा राष्ट्राध्यक्ष पुतिन ने कहा था।
 
अमरीका और यूरोपिय देशों ने यूक्रेन युद्ध के बाद रशिया पर सख्त प्रतिबंध लगाकर रशियन अर्थव्यवस्था और ईंधन निर्यात को लक्ष्य करने की कोशिश की थी। फिलहाल इसी के परिणाम दिखाई नहीं देते होंगे, फिर भी बाद में रशिया की अर्थव्यवस्था हमारे प्रतिबंधों की वजह से बाधित होगी, यह दावा अमरीका और यूरोपिय देश कर रहे हैं। लेकिन, भारत और चीन समेत खाड़ी एवं कुछ अफ्रीकी देशों ने भी रशिया विरोधी नीति नहीं अपनाएंगे, यह ऐलान करके अमरीका को झटका दिया था।
 
साथ ही यूरोपिय देशों में भी अब यूक्रेन युद्ध के विरोध में आवाज़ उठने लगे हैं और इस युद्ध में अमरीका का साथ ना करें, ऐसी मांग के लिए प्रदर्शन शुरू हुए हैं। फ्रान्स ने खुलेआम अमरीका नीति हमें मंजूर ना होने के संकेत दिए हैं। वहीं, अमरीका का करीबी सहयोगी देश जापान ने अमरीका के प्राइस कैप की परवाह किए बिना रशियन ईंधन की खरीद शुरू की है। इस वजह से रशिया की घेराबंदी करने की पश्चिमी देशों की कोशिश असफल हुई है, इस रशियन विदेश मंत्री ने किए दावे को नकारना रशिया विरोधी विश्लेषकों के लिए भी कठिन होता दिख रहा हैं।  
 

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