कमज़ोर और प्रभावहीन अमेरिका की वैश्विक व्यवस्था में ही रशिया और अमेरिका में शांति प्रस्थापित हो सकती है – रशियन संसद सदस्य का दावा

मॉस्को/वॉशिंग्टन – नई वैश्विक व्यवस्था प्रस्थापित होने तक रशिया एवं अमेरिका में निरंतर संघर्ष जारी रहेगा, ऐसा दावा रशिया के वरिष्ठ संसद सदस्य अलेक्सी पुश्कोव ने किया है। नई व्यवस्था में अमेरिका कमज़ोर एवं प्रभावहीन होगी, ऐसा भी उन्होंने अपने दावे में कह है। सन २०२२ अमेरिका एवं रशिया के बीच संबंधों में आपात काल निर्माण करनेवाला वर्ष होगा, ऐसा इशारा भी पुश्कोव ने दिया है। पुश्कोव रशिया के राष्ट्राअध्यक्ष व्लादिमिर पुतिन के निकटतम माने जाते हैं। इसलिए उनका वक्तव्य ध्यान आकर्षित करता है।

वैश्विक व्यवस्थायुक्रेन, ईंधन, सायबर हमले, ईरान, अफगनिस्तान जैसे अनेक मुद्दों पर फिलहाल रशिया एवं अमेरिका के बीच तनाव का माहौल है। युक्रेन के मुद्दे पर दोनों राष्ट्रों में अप्रत्यक्ष संघर्ष छिडने के संकेत दिए जा रहे हैं। इस पृष्ठभूमि पर रशिया के संसद सदस्यों के वक्तव्य ध्यान आकर्षित कर रहे हैं।

अमेरिका वर्चस्ववादी राष्ट्र है, मगर यह राष्ट्र धीरे-धीरे अपना स्थान खोता जा रहा है। खाडी, अफगानिस्तान जैसे सभी जगहों पर अमेरिका को बडा पराभव स्वीकारना पडा है। ऐसी स्थिति में अमेरिका के गुट रशिया तथा चीन के साथ एक ही समय पर संघर्ष करके अपना प्रभाव बरकरार रखने की कोशिश कर रहे हैं। इसलिए अमेरिका के साथ-साथ विश्व के अन्य हिस्सों में भी चिंता का वातावरण है’, ऐसा दावा पुश्कोव ने एक समाचार चैनल के दी हुई मुलाकात के दौरान किया।

’अब अमेरिका रशिया को दुय्यम सत्ता के रूप में नहीं बल्कि, प्रमुख सत्ता के रूप में देखती है। इसी लिए सन २०२२ में अमेरिका का बायडेन प्रशासन कह रहा है कि, चीन नहीं बल्कि रशिया मुख्य समस्या है। अमेरिका एवं रशिया के संबंधों के लिए सन २०२२ आपात काल का समय निर्माण करनेवाला वर्ष हो सकता है’, ऐसी ताकीद रशियन संसद सदस्य पुश्कोव ने दी। अमेरिका को अब रशिया की समस्या हल करनी है और इसके लिए युक्रेन का इस्तेमाल करने की योजना की उन्होंने कही।

वैश्विक व्यवस्था

’केवल अमेरिका के पास ही विश्व चलाने की क्षमता है, ऐसा अमेरिका को राजनैतिक एवं आर्थिक क्षेत्र पर अधिकार रखने वाले गुट को लगता है। इसलिए वे विश्व पर अन्य किसी का अधिकार नहीं होने देते। ऐसी स्थिति में कमज़ोर एवं प्रभावहीन अमेरिका नई वैश्विक स्थिति निर्माण होने तक रशिया और अमेरिका के बीच संघर्ष चलते ही रहेंगे’, ऐसा दावा पुश्कोव ने किया।

तो, रशिया एवं युक्रेन के बीच संभाव्य संघर्ष की पृष्ठभूमि पर, नाटो युक्रेन में लडने के लिए सेना तैनात नहीं करेगा, ऐसा नाटो के प्रेमुख जेन्स स्टॉलनबर्ग ने स्पष्ट किया। नाटो का सदस्य होना तथा भागीदार राष्ट्र होने में फर्क है और नाटो युक्रेन को अतिरिक्त सहायता दे सकता है, ऐसा स्टॉलनबर्ग ने कहा। युक्रेन में तैनाती पर नाटो तथा युरोपिय महासंघ में मतभेद होने की बात निरंतर सामने आ रही है और नाटो प्रमुख के वक्तव्य इसका समर्थन कर रहे हैं। नाटो सेना तैनाती से इन्कार कर रहा है तभी युरोपिय महासंघ ने ’नॉर्ड स्ट्रीम २’ तथा ’स्विफ्ट’ की बात पर रशिया को इशारा दिया है। महासंघ के प्रमुख उर्सुला वॉन डेर लेयन ने, रशिया को अंतरराष्ट्रीय बैकिंग व्यवहार से दूर करने का इशारा दिया है और ’नॉर्ड स्ट्रीम २’ ईंधन वाहिनी की मान्यता रोकने के बारे में आगाह किया है।

Leave a Reply

Your email address will not be published.