सेमीकंडक्टर्स की किल्लत के कारण अमरीका और चीन के बीच युद्ध भड़केगा – अमरिकी अभ्यासगुट की चेतावनी

us-china-semiconductor-war-2वॉशिंग्टन/बीजिंग – प्रगत तंत्रज्ञान क्षेत्र के लिए ‘ब्रेन’ के रूप में जाने जाने वाले सेमीकंडक्टर्स की किल्लत के कारण अमरीका और चीन के बीच युद्ध भड़क सकता है, ऐसी चेतावनी एक अमरिकी अभ्यासगुट ने दी है। पिछली सदी में अमरीका तेल के लिए जिस प्रकार खाड़ी क्षेत्र के देशों पर निर्भर थी, उसी प्रकार फिलहाल वह ताइवान में निर्माण होनेवाले सेमीकंडक्टर्स पर निर्भर है, ऐसा इस अभ्यास गुट ने जताया। ताइवान का इस क्षेत्र में होनेवाला वर्चस्व, चीन की महत्वाकांक्षा के आड़े आ रहा होने के कारण, चीन लष्करी कार्रवाई के साथ ही आर्थिक युद्ध तथा ‘इन्फोर्मेशन वॉरफेअर’ का भी इस्तेमाल करेगा, ऐसा अनुमान इस अभ्यासगुट की रिपोर्ट में जताया गया है।

us-china-semiconductor-war-1‘सेंटर फॉर ए न्यू अमेरिकन सिक्युरिटी’ इस अभ्यास गुट ने, ‘व्हेन द चिप्स आर डाऊन’ नामक एक रिपोर्ट तैयार की है। उसमें अमरीका और चीन के बीच जागतिक प्रभाव के लिए सत्ता की होड़ शुरू है और तंत्रज्ञान यह उसमें अहम घटक है, यह बात नमूद की गई है। 21वीं सदी के अधिकांश दैनंदिन व्यवहारों से तंत्रज्ञान जोड़ा गया होकर, इस तंत्रज्ञान के लिए सेमीकंडक्टर यह मध्यवर्ती घटक साबित हुआ है। सेमीकंडक्टर्स के उत्पादन में फिलहाल ताइवान यह अग्रसर देश होकर, अमरीका भी इस देश में बननेवाले सेमीकंडक्टर्स पर निर्भर है, ऐसा इस रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया।

us-china-semiconductor-war-3चीन की सत्ताधारी हुकूमत के लिए ताइवान का विलीनीकरण यह मुद्दा अग्रक्रम का होकर उसके लिए चीन जानतोड़ कोशिश कर रहा है। यह विलीनीकरण, ताइवान का सेमीकंडक्टर क्षेत्र में होनेवाला प्रभाव और अमरीका की निर्भरता इन बातों को मद्देनज़र रखें, तो भविष्य में अमरीका को ठोस विकल्प चुनना पड़ेगा , ऐसा दावा इस अभ्यासगुट ने किया है। पिछले साल सेमीकंडक्टर की किल्लत के कारण अमरीका के ऑटोमोबाइल क्षेत्र समेत अन्य कई क्षेत्रों को बड़े पैमाने पर आर्थिक नुकसान पहुँचा था। चीन के कारनामे और भविष्यकालीन संभाव्य योजनाओं का विचार करते हुए, ताइवान में सेमीकंडक्टर का उत्पादन अचानक बंद पढ़ने का अथवा खंडित होने का खतरा है, इसका एहसास इस रिपोर्ट में करा दिया गया है।

ताइवान की सेमीकंडक्टर्स क्षेत्र पर कब्जा पाने के लिए चीन लष्करी कार्रवाई के साथ ही अपारंपारिक युद्ध का भी इस्तेमाल कर सकता है, इस पर भी ‘सेंटर फॉर ए न्यू अमेरिकन सिक्युरिटी’ ने गौर फरमाया है। सेमीकंडक्टर्स यानी 21वीं सदी का ‘न्यू ऑईल’ होकर, ताइवान ने अपनी सुरक्षा के लिए तथा आर्थिक प्रगति के लिए उसका इस्तेमाल किया है। लेकिन अब तक ताइवान के लिए ‘सिलिकॉन शिल्ड’ के रूप में काम करनेवाले सेमीकंडक्टर्स, दो-धारी तलवार साबित होने की संभावना बढ़ी है, ऐसा इस अमरिकी अभ्यासगुट ने जताया। अमरीका और चीन के बीच बढ़ती सामरिक होड़, ताइवान का भू-राजनीतिक महत्व बढ़ानेवाली साबित हुई है, ऐसा भी इस रिपोर्ट में कहा गया है।

पिछले दशक भर में ‘5जी’ से लेकर ‘आर्टिफिशिअल इंटेलिजन्स’ तक कई क्षेत्रों में चिनी कंपनियों ने बढ़त ली होने की बात सामने आई है। यह बढ़त अधिक मज़बूत बनाने के लिए चीन ने सेमीकंडक्टर क्षेत्र की ओर ध्यान केंद्रित किया होकर, चिनी कंपनियों द्वारा सेमीकंडक्टर्स का निर्माण शुरू हुआ होने की बात सामने आ रही है। इस बात को अन्तर्राष्ट्रीय समुदाय ने गंभीरता से लिया होकर, इस क्षेत्र में अगर चीन का वर्चस्व स्थापित हुआ तो वह बहुत ही खतरनाक बात साबित हो सकती है, ऐसा इस क्षेत्र के विशेषज्ञ तथा विश्लेषक जता रहे हैं। पिछले साल ब्रिटेन के गुप्तचर प्रमुख ने इस मामले में चेतावनी देते समय, चीन द्वारा तंत्रज्ञान क्षेत्र में जारी गतिविधियाँ अगले दशक भर में दुनिया के भू-राजनीतिक समीकरणों को बदलनेवाली साबित होंगी, यह भी जताया था।

Leave a Reply

Your email address will not be published.