ताइवान के मुद्दे पर अमरीका-चीन युद्ध भड़कने का खतरा बढ़ा – विश्‍लेषक और अधिकारियों की चेतावनी

वॉशिंग्टन/बीजिंग – चीन द्वारा ताइवान क्षेत्र में जारी आक्रामक कारनामों की पृष्ठभूमि पर इस क्षेत्र में अमरीका-चीन युद्ध भड़कने का खतरा बढ़ा होने की चेतावनी विश्लेषक और अधिकारियों द्वारा दी जा रही है। इस महीने की शुरुआत में ही चीन के लगभग डेढ़ सौ विमानों ने ताइवान के ‘एअर डिफेन्स आयडेंटिफिकेशन झोन’ (एडीआयझेड) में घुसपैंठ की थी। उसके बाद चीन ने अपने सागरी क्षेत्र में ताइवान पर आक्रमण करने का अभ्यास किया, यह बात भी सामने आई है। इसी कालावधि में अमरीका ने अपने सहयोगी देशों के साथ नौसेना अभ्यास किया होने की खबर भी आई थी। ऐसी घटनाएँ बढ़ रहीं होकर, उनमें घटित किसी दुर्घटना से युद्ध की शुरुआत हो सकती है, इस पर विश्लेषकों ने गौर फरमाया है।

अमरीका-चीन युद्ध‘चीन के आक्रामक कारनामे यानी ताइवान क्षेत्र की ‘जैसे थे’ स्थिति लगातार बदलने की कोशिश है। सलामी स्लाइसिंग की नीति इसके पीछे है। ताइवान इस बारे में कुछ भी नहीं कर सकता, यह चीन जानता है। इसी कारण इस क्षेत्र में कोई दुर्घटना होने का खतरा अधिक है’, इन शब्दों में सिंगापुर के विश्लेषक हु तिआंग बून ने युद्ध की संभावना पर गौर फरमाया। वही, ‘आईआईएसएस’ के हेन्री बॉईड ने अमरीका की बढ़ती सिद्धता की ओर ध्यान आकर्षित किया है।

‘ताइवान का मुद्दा यह अब अमरीका के लिए चीनविरोधी सत्तासंघर्ष का भाग बना है। चीन के सामने डटकर खड़े रहना, यह अमरीका को प्रोत्साहन देनेवाला घटक साबित होता है। अगर चीन के विरोध में डटकर खड़े नहीं हुए, तो यह मुद्दा यानी राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ किया द्रोह साबित होगा, ऐसी भावना अमरीका में ज़ोर पकड़ रही है’, ऐसा दावा बॉईड ने किया। इस समय उन्होंने चीन की बढ़ती रक्षा सिद्धता का भी उल्लेख किया। अपने रक्षा सामर्थ्य के बल पर अमरीका को ताइवान क्षेत्र और नज़दीकी भाग में आने से रोकना यह चीन की ताइवान नीति का अहम चरण है, ऐसा ब्रिटिश विश्लेषक ने कहा।

अमरीका-चीन युद्धपिछले कुछ दिनों में अमरीका द्वारा चीन के मुद्दे पर अधिक आक्रामक बयान किए जाने की बात भी सामने आ रही है। अमरीका के ‘नेव्ही सेक्रेटरी’ कार्लोस डेल तोरो ने, चीन का उल्लेख ‘अमरीका जितनी ही क्षमता होनेवाला सामरिक प्रतिद्वंद्वी’ ऐसा किया। वहीं, विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राईस ने, अमरीका-ताइवान मुद्दे पर बात करते समय, अमरीका का ताइवान को होनेवाला समर्थन ‘रॉक सॉलिड’ होने का यकीन दिलाया।

कुछ ही दिन पहले अमरीका के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार एच. आर. मॅक्मास्टर ने, ताइवान की सुरक्षा के लिए अगले १२ महीने बहुत ही महत्त्वपूर्ण होने की बात बताई थी। वहीं, ताइवान के रक्षा मंत्री ने, चीन के रक्षाबलों के पास आज भी ताइवान पर हमला करने की क्षमता है, ऐसी चेतावनी दी थी। पिछले ही हफ्ते चीन के राष्ट्राध्यक्ष शी जिनपिंग ने फिर से ताइवान के विलीनीकरण का मुद्दा उपस्थित करके, वह अहम ध्येय होने का दावा किया था।

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