अमरीका के ‘स्ट्रैटेजिक पेट्रोलियम रिज़र्व’ का भंड़ार चार दशकों के न्यूनतम स्तर पर

वॉशिंग्टन – रशिया-यूक्रेन युद्ध की वजह से ईंधन की कीमतों में उछाल और बढ़ रही महंगाई की पृष्ठभूमि पर अमरीका के स्ट्रैटेजिक पेट्रोलियम रिज़र्व यानी आरक्षित ईंधन के भंड़ार खोलने का निर्णय किया गया था। आपात्काल के दौरान अमरीका की ईंधन ज़रूरतें पूरी करने के लिए बनाए गए इन भंड़ारों की काफी तेज़ गति से गिरावट देखी गयी है। पिछले हफ्ते सामने आए आँकड़ों के अनुसार यह भंड़ार चार दशकों के न्यूनतम स्तर पर पहुँचने की जानकारी अमरिकी ऊर्जा विभाग ने साझा की।

राष्ट्राध्यक्ष ज्यो बायडेन ने बागड़ोर संभालने के बाद अब तक तीन बार ‘स्ट्रैटेजिक पेट्रोलियम रिज़र्व’ खोने का निर्णय किया गया था। इसमें पिछले साल नवंबर में एवं इस साल के मार्च की शुरूआत में जारी किए आदेशों का समवेश है। मार्च के अन्त में बायडेन प्रशासन ने कुल १८ करोड़ बैरल्स ईंधन खोलने का निर्णय किया था। हर दिन १० लाख बैरल्स खोलकर छह महीनों में ‘स्ट्रैटेजिक पेोलियम रिज़र्व’ यानी आरक्षित ईंधन भंड़ार का ईंधन खुला करने के आदेश दिए गए थे।

इस निर्णय के अनुसार अक्तुबर के अन्त तक ‘स्ट्रैटेजिक पेट्रोलियम रिज़र्व’ से ईंधन निकाला जाना है। इसके बाद नवंबर में होनेवाले चुनावों की पृष्ठभूमि पर फिर से एक करोड़ बैरल्स ईंधन खुला किया जाएगा, ऐसा कहा जा रहा है। बायडेन के इन निर्णयों की वजह से अमरीका के ‘स्ट्रैटेजिजक पेट्रोलियम रिज़र्व’ का भंड़ार साल १९८४ के बाद पहली बार इतने न्यूनतम स्तर पर पहुँचा है। फिलहाल अमरीका के आरक्षित ईंधन भंड़ार में ४२ करोड़, ७२ लाख बैरल्स ईंधन बचा है।

अमरीका को प्रति दिन आवश्यक कच्चे तेल के मद्देनज़र यह ईंधन भंड़ार आपाद स्थिति में लगभग ५० दिनों तक ईंधन की जूरूरत पुरी करेगा, ऐसी चेतावनी वॉलस्टि जर्नल ने दी है। इस अखबार में प्रसिद्ध वृत्त में बायडेन प्रशासन ने ईंधन के मुद्दे पर अपनाई दोगली नीति पर ध्यान आकर्षित किया गया है। राष्ट्राध्यक्ष बायडेन एक ओर अमरीका में ईंधन उत्पादन ना बढ़े, ऐसे निर्णय कर रहे हैं और दूसरी ओर सौदी अरब और वेनेजुएला जैसे देशों पर कच्चे तेल का उत्पादन एवं निर्यात बढ़ाने के लिए दबाव बना रहे हैं। इस नीति के कारण अमरीका की ईंधन सुरक्षा के लिए खतरा निर्मान हो सकता है, इस पर विश्लेषकों ने ध्यान आकर्षित किया है।

इसी बीच बायडेन ने ‘स्ट्रैटेजिक पेट्रोलियम रिज़र्व’ से ईंधन खोलने से रोकने के बाद अमरिकी कंपनियाँ कनाड़ा से ईंधन खरीद करेंगे, ऐसे संकेत सूत्र ने दिए हैं। ऐसा हुआ तो ईंधन बाज़ार में फिर से इसकी कीमतें उछल सकती हैं, यह दावा किया जा रहा है।

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