इस्रायल के पीछे अमरीका मज़बूती से खड़ी हैं – इस्रायल स्थित अमरिकी राजदूत का दावा

तेल अवीव – गाज़ा से इस्रायल पर लगातार तीन दिनों से हमले हो रहे हैं और इस संघर्ष में हमारा देश इस्रायल के पक्ष में खड़ा होने का दावा इस्रायल स्थित अमरिकी राजदूत ने किया। राजदूत टॉम निडेस ने यह संघर्ष शीघ्रता से रोकने के लिए आवश्यक काम अमरीका कर रही हैं, यह भी उन्होंने कहा। पिछले कुछ महीनों से अमरीका ने इस्रायल को लेकर अपनाई भूमिका की पृष्ठभूमी पर राजदूत टॉम निडेस ने किया यह बयान ध्यान आकर्षित कर रहा हैं। 

अमरिकी राजदूतप्रधानमंत्री बेंजामिन नेत्यान्याहू की सरकार ने बागड़ोर संभालने के साथ ही इस्रायल और अमरीका के संबंधों में तनाव बना है। अमरीका के बायडेन प्रशासन को इस्रायली प्रधानमंत्री ने पैलेस्टिन के मुद्दे पर अपनाई आक्रामक भूमिका मंजूर नहीं। खास तौर पर पूर्व जेरूसलम में इस्रायली नागरिकों के लिए बनाई जा रही नई बस्तीयों को बायडेन प्रशासन का विरोध है। यूरोपिय देशों ने भी इस मामले में नेत्यान्याहू सरकार का विरोध करने की भूमिका अपनाई थी। लेकिन, इसके आगे इस्रायल अन्य देशों की मर्जी रखने की कोशिश करके अपना नुकसान नहीं करेगा, इन शब्दों में प्रधानमंत्री नेत्यान्याहू ने अमरीका और यूरोप को फटकार लगाई थी।

इस वजह से इस्रायल और अमरीका के संबंधों में तनाव बढ़ता स्पष्ट दिखाई देने लगा था। इसका लाभ उठाने की सूचना ईरान ने पैलेस्टिनि संगठनों से की थी। इसके बाद पैलेस्टिनि संगठनों ने इस्रायल पर रॉकेट हमले शुरू किए। पूर्व जेरूसलम में इस्रायल और पैलेस्टिनियों के हुए संघर्ष की वजह से पैलेस्टिन की चरमपंथी संगठनों को इस्रायल को लक्ष्य करने का अवसर भी प्राप्त हुआ था। इसके असर दिखाई देने लगे हैं और इस्रायल पर हो रहे रॉकेट और मॉर्टर हमलों में काफी बढ़ोतरी होती दिख रही है।

ऐसे में इस्रायली विश्लेषकों ने अपने देश की सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंता जताई थी। लेकिन, अमरिकी राजदूत ने हमारा देश इस संघर्ष में इस्रायल के पक्ष में खड़ा होने का कहकर दोनों देशों का सहयोग जारी होने का संदेश दिया है। यह संदेश सिर्फ जुबानी नहीं ह ैं, यह भी अमरीका ने दर्शाया है। इस्रायल और पैलेस्टिन के जारी संघर्ष को लेकर संयुक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद में चीन ने प्रस्ताव पेश करने की कोशिश की थी। लेकिन, अमरीका ने चीन की इस कोशिश को नाकाम करने की खबरें प्राप्त हो रही हैं। ईरान और सौदी की सफल सुलह करने का श्रेय चीन को प्राप्त हुआ हैं। इसके बाद इस्रायल और पैलेस्टिन की शांति वार्ता कराने के लिए चीन ने पहल की थी।

इसके बाद अमरीका ने चीन को इस मामले में हस्तक्षेप करने का अवसर नहीं मिल सके, इसका ध्यान रखने की बात इससे सामने आ रही है। सुरक्षा परिषद में अमरीका का यह निर्णय और अमरिकी राजदूत ने इस्रायल से किए वादे के मद्देनज़र फिलहाल तो इस्रायल की सरकार से बने मतबेद नज़रअंदाज करने की तैयारी में बायडेन प्रशासन ने जुटाई होने के संकेत प्राप्त हो रहे हैं। 

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