भारत को प्रतिबंधों से दूर रखने का अमरिकी संसद का निर्णय

वॉशिंग्टन – रशिया से ‘एस-४०० ट्रायम्फ’ हवाई सुरक्षा यंत्रणा की खरीद कर रहे भारत पर प्रतिबंध लगाने की धमकी अमरीका ने दी थी। ‘काऊंटरिंग अमरीकाज्‌‍ एडव्हर्सरीज्‌‍ थ्रू सैंकशन्स एक्ट’ (सीएएटीएसए-काट्सा) कानून के तहत भारत पर निर्बंध लगाए जा सकते हैं, ऐसा बायडेन प्रशासन ने धमकाया था। लेकिन, अमरिकी कांग्रेस ने भारत को इन प्रतिबंधों से दूर रखने का प्रस्ताव पारित किया। अमरिकी शासक और विपक्षी सांसदों ने एकजुटता के साथ भारत का साथ देने का निर्णय किया, यह जानकारी प्रदान करके अमरिकी कांग्रेस के सदस्य रो खन्ना ने इस पर संतोष व्यक्त किया है।

काट्सा से भारत को रिहायत प्रदान करनेवाला यह विधेयक सुधार के साथ अमरिकी कांग्रेस ने पारित किया है और अब इस पर राष्ट्राध्यक्ष ज्यो बायडेन के हस्ताक्षर होंगे। इसके बाद भारत पर अमरीका के प्रतिबंधों का मुद्दा खत्म हो जाएगा। चीन जैसे विस्तारवादी देश का मुकाबला करने के लिए भारत को रशिया के ‘एस-४००’ हवाई सुरक्षा यंत्रणा की ज़रूरत है, इस बात पर अमरिकी कांग्रेस सदस्य रो खन्ना ने ध्यान आकर्षित किया। इसी वजह से काट्सा के इन प्रतिबंधों से भारत को दूर रखना आवश्यक था, इस पर खन्ना ने ध्यान आकर्षित किया।

शासक और विपक्षी दलों के सांसदों ने इस सुधारित विधेयक के पक्ष में साथ देने का निर्णय किया, यह बात स्वागतार्ह है, ऐसा कांग्रेसमन रो खन्ना ने कहा। इस वजह से अमरीका की भारत के साथ भागीदारी अधिक मज़बूत होगी। भारत के साथ भागीदारी अमरीका के लिए रणनीतिक नज़रिये से सबसे अधिक अहम है, यह भी रो खन्ना ने इस अवसर पर स्पष्ट किया। इससे पहले अमरीका के नेता, वरिष्ठ अधिकारी और विश्लेषकों ने भी काट्सा के प्रतिबंधों से भारत को बचाए रखने की माँग की थी। ऐसा करना अमरीका के ही हित में होगा, ऐसा इन सबका कहना था।

साल २०१८ में भारत ने रशिया के साथ तकरीबन पांच अरब डॉलर्स लागत से ‘एस-४००’ के पांच युनिटस्‌‍ खरीदने का कारोबार किया था। इनमें से एक युनिट कुछ ही महीने पहले भारत पहुँचा है और इसे तैनात भी किया गया है। अमरीका ने इसके खिलाफ प्रतिबंध लगाने की धमकी दी थी। लेकिन, भारत ने इसे अनदेखा करके रशिया के साथ इसका कारोबार पूरा किया था। यही हवाई सुरक्षा यंत्रणा रशिया से खरीदने पर तुर्की पर अमरीका ने काट्सा के तहत प्रतिबंध लगाए थे। फिर भी भारत ने अमरीका की चेतावनीयों की परवाह किए बिना देश हित को सामने रखते हुए हमारे हथियार खरीदने का निर्णय हम लेंगे, ऐसा अमरीका से कहा था।

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