यूक्रैन युद्ध शुरू होने के साथ ही अमरीका ने रशियन ईंधन की भारत से भी ज्यादा खरीद की – यूरोपिय अभ्यासगुट की रपट

हेलेन्स्की – यूक्रैन युद्ध पर भारत अपनी तटस्थता छोड़ दे और रशिया विरोधी भूमिका अपनाए, इसके लिए अमरीका और यूरोपिय देश भारत पर दबाव बना रहे हैं| भारत ने रशिया से ईंधन खरीदना बंद करें, इसके लिए अमरिकी अधिकारी ने भारत को अप्रत्यक्ष पद्धती से प्रतिबंधों की चेतावनी दी थी| इसपर भारत से कई गुना अधिक रशियन ईंधन की यूरोपिय देश खरीद कर रहे हैं, ऐसें स्पष्ट शब्दों में भारत ने अमरीका और यूरोपिय देशों का दोगलापन सामने लाया था| यूरोप के शीर्ष अभ्यासहगुट ने हाल ही में जारी किए रपट में भी इस बात को रेखांकित किया| यूक्रैन का युद्ध शुरू होने के साथ ही भारत को उपदेश कर रहीं अमरीका ने ही भारत से ज्यादा रशियन ईंधन का आयात किया हैं, ऐसा इस अभ्यासगुट ने कहा हैं|

विश्‍वभर में ईंधन की यातायात और वायु प्रदुषण का अध्ययन कर रहीं ‘सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी ऍण्ड क्लिन एअर’ (सीआरईए) नामक फिनलैण्ड के अभ्यासगुट ने दो दिन पहलें एक रपट जारी की| इसमें पिछले दो महीनों के दौरान रशिया से हुई ईंधन निर्यात का ब्यौरा दिया गया  हैं| यूक्रैन युद्ध शुरू होने के बावजूद अमरीका और यूरोपिय देश रशिया से ईंधन खरीद रहे थे| यूक्रैन पर हमलें करने के कारण ही रशिया पर सख्त आर्थिक प्रतिबंध लगानेवाली अमरीका और यूरोपि ही रशिया से सबसे ज्यादा ईंधन खरीद रहे हैं, यह बात ‘सीआरईए’ की रपट से स्पष्ट हुई हैं|

जर्मनी ने रशिया से सबसे ज्यादा ईंधन खरीदा हैं| ऐसें में भारत ने रशिया के ईंधन की खरीद बंद करें और हमसे ईंधन आयात करें, यह प्रस्ताव दे रही अमरीका भी भारत से भी ज्यादा मात्रा में रशियन ईंधन खरीद रही हैं, यह बात वर्णित रपट से स्पष्ट हुई| इन दो महीनों में रशियाने ६६.५ अरब डॉलर्स के ईंधन का निर्यात किया| इस रपट की वजह से भारत रशियन ईंधन पर निर्भर होने के संबंधित पश्‍चिमी देशों के जारी प्रचार की धज्जियां उड़ी हैं|

एक हफ्ते पहले भारत और अमरीका की ‘टू प्लस टू’ बैठक हुई| इस दौरान भी रशिया से भारत की हो रही ईंधन खरीद का मुद्दा उठाया गया था| भारत के विदेशमंत्री एस.जयशंकर ने इसपर जोरदार प्रत्युत्तर दिया था| भारत एक महीने में रशिया से जितना ईंधन खरीदता हैं, उससे कई गुना ज्यादा ईंधन यूरोप एक ही दिन के दोपहर तक खरीदता हैं, ऐसा तमाचा भारत के विदेशमंत्री ने जड़ा था| यूरोपिय अभ्यासगुट की रपट में यही बात रेखांकित हो रही हैं|

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