रशिया ने ‘ब्रिक्स’ देशों को दिया स्वतंत्र ‘पेमेंट सिस्टिम’ का प्रस्ताव

मास्को – अमरीका और मित्रदेशों ने लगाए सख्त आर्थिक प्रतिबंधों की वजह से रशिया को अपने मित्रदेशों के साथ ही व्यापार और कारोबार करने में कठिनाई हो रही है| ब्रिक्स ने स्थापित किए ‘न्यू डेवलपमेंट बैंक’ (एनडीबी) ने भी रशिया के साथ कारोबार करना बंद किया हैं| अनिश्‍चिता की वजह से यह निर्णय करना पड़ा, ऐसा ‘एनडीबी’ ने स्पष्ट किया| ऐसी स्थिति में रशिया ने अपने साथ भारत, चीन, ब्राज़ील और दक्षिण अफ्रिका की सदस्यता होनेवाले ‘ब्रिक्स’ ‘एनडीबी’ की अपनी पेमेंट सिस्टिम शुरू करें, यह आवाहन किया| इसमें अपने अपने देश की मुद्रा का इस्तेमाल करें, यह सुझाव भी रशिया ने रखा हैं|

सीर्फ रशिया ही नहीं, बल्कि वैश्‍विक अर्थकारण पर अमरीका के प्रतिबंधों का बुरा असर हो रहा हैं, ऐसा रशिया के अर्थमंत्री एण्टोन सिलोनोव ने कहा हैं| डॉलर पर आधआरित वैश्‍विक अर्थव्यवस्था की नींव ही अमरीका ने रशिया पर लगाए प्रतिबंधों से हिली हैं| अमरीका की वजह यह संकट उभरा हैं और इसे मात देने की क्षमता ‘ब्रिक्स’ के सदस्य देश रखते हैं, ऐसा कहकर सिलोनोव ने ब्रिक्स को स्वतंत्र पेमेंट सिस्टिम शुरू करने का आवाहन किया|

इसका प्रस्ताव रखते हुए सिलोनोव ने चार प्रमुख मुद्दे रखे हैं| ब्रिक्स देशों की आयात-निर्यात के लिए अपने राष्ट्रीय मुद्राओं का इस्तेमाल अपनी पेमेंट सिस्टिम एवं कार्डस् के तालमेल के साथ आर्थिक संदेश यंत्रणा और ब्रिक्स के स्वतंत्र पतमानांकन संस्था की ज़रूरत होने का बयान रशिया के अर्थमंत्री सिलोनोव ने किया| इसी बीच, कुछ दिन पहले भारत दौरे पर पहुँचे रशिया के विदेशमंत्री की इस मुद्दे पर भारतीय नेताओं से चर्चा होने की जानकारी साझा की जा रही है| लेकिन, इसपर भारत की भूमिका अभी स्पष्ट नहीं हुई हैं| लेकिन, अमरीका ने इसका गंभीरता से संज्ञान लेने के संकेत प्राप्त हुए थे|

डॉलर को बाजू में रखकर भारत ने रशिया से रुपया-रुबल कारोबार किया तो इसके परिणाम गंभीर होंगे, यह इशारा अमरीका ने दिया था| इस वजह से भारत को अमरीका के प्रतिबंध नुकसान पहुँचा सकते हैं, ऐसा अमरीका लगातार कह रही हैं| लेकिन, रशिया के साथ इस तरह के कारोबार का निर्णय भारत ने अभी तक नहीं किया हैं, ऐसा रिजर्व बैंक ने कहा था|

भारत के विदेशमंत्री एवं रक्षामंत्री अमरीका के साथ ‘टू प्लस टू’ वार्ता करेंगे| इसके दो दिन पहले रशिया के अर्थमंत्री ने ब्रिक्स को यह प्रस्ताव देकर अमरीका की चिंता बढ़ाई हैं| विश्‍व के जीडीपी में ब्रिक्स देशों का हिस्सा ४३ प्रतिशत हैं| इसमें अमरीका और यूरोपिय देशों का हिस्सा ३६ प्रतिशत ही होने की बात कही जा रही हैं| इस वजह से ब्रिक्स देश पश्‍चिमी देशों के आर्थिक प्रभाव को आसानी से चुनौती दे सकते हैं, ऐसा अनुमान जताया जाता है| विश्‍व के अर्थकारण पर पश्‍चिमी देशों के बने वर्चस्व को चुनौती देने के लिए ही ब्रिक्स का गठन हुआ था| इस वजह से रशिया से ब्रिक्स को दिया गया यह प्रस्ताव अमरीका के साथ पश्‍चिमी देशों की निंद उड़ानेवाला साबित होगा|

अमरीका ने रशिया पर सख्त आर्थिक प्रतिबंध लगाकर इसके लिए डॉलर का हथियार की भांती इस्तेमाल किया हैं| यह बात अंतरराष्ट्रीय चलन के तौर पर डॉलर का प्रभाव कम करने  वाली साबित होगी, यह इशारा अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष ने किया हैं| तभी, अमरीका के कुछ विश्‍लेषक इन प्रतिबंधों की वजह से रशिया और चीन एकजूट करके अमरीका के विरोध में आर्थिक मोर्चा खोलेंगे, यह इशारा दिया हैं| इस वजह से डॉलर का स्थान खतरे में हैं और रशिया पर प्रतिबंध लगाने की सोच में बायडेन प्रशासन ने अपने ही पैरों पर कुर्‍हाड़ी मार दी हैं, ऐसी तीखीं आलोचना विश्‍लेषक कर रहे हैं|

इस वजह से रशिया ने ब्रिक्स को दिए इस प्रस्ताव की अहमियत अधिक बढ़ती दिख रही हैं|

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