‘क्वाड’ की बैठक से पहले यूक्रैन के मुद्दे पर भारत को अमरीका का इशारा

नई दिल्ली – रशिया के यूक्रैन पर जोरदार हमलें जारी हैं और तभी भारत-अमरीका-जापान-ऑस्ट्रेलिया के ‘क्वाड’ की बैठक शुरू हुई हैं| चारों देशों के राष्ट्रप्रमुख इसमें शामिल हुए हैं| यूक्रैन के मसले पर भारत ने तटस्थ रहकर रशिया के विरोध में ना जाने की भूमिका कायम रखी हैं| इसपर अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष नाराज़ हैं और क्वाड की इस बैठक में इसकी गूंज सुनाई देने की संभावना हैं| इसी बीच रशिया से ‘एस-४००’ हवाई सुरक्षा यंत्रणा की खरीद करनेवाले भारत पर अमरिकी कानून के नुसार प्रतिबंध लगाने हैं या नहीं, इसका निर्णय राष्ट्राध्यक्ष बायडेन करेंगे, ऐसा सूचक बयान अमरिकी विदेश मंत्रालय ने किया हैं|

अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष ‘क्वाड’ की इस बैठक में यूक्रैन का मुद्दा उठाकर भारत की घेराबंदी करने की कोशिश करेंगे, ऐसें संकेत प्राप्त हो रहे हैं| क्वाड के सदस्य जापान और ऑस्ट्रेलिया ने रशिया ने यूक्रैन पर किए हमले का निषेध करके रशिया पर सख्त प्रतिबंध लगाए हैं| लेकिन, पारंपरिक मित्रदेश रहें रशिया का विरोध करने से भारत दूर रहा हैं| संयुक्त राष्ट्रसंघ की सुरक्षा परिषद एवं आम सभा में भी भारत ने रशिया विरोधी प्रस्ताव पर वोट करना टाल दिया था| भारत की यह तटस्थता अमरीका को मंजूर ना होने की बात दिख रही हैं|

अमरिकी विदेश मंत्रालय के दक्षिण और मध्य एशिया विभाग के उपमंत्री डोनाल्ड ल्यू ने यूक्रैन के मुद्दे पर भारत स्पष्ट भूमिका अपनाए, इसके लिए हमारा देश कोशिश करेगा, यह ऐलान किया| अमरीका के विदेशमंत्री एंथनी ब्लिंक ने इसके लिए कोशिश शुरू की हैं| अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष ज्यो बायडेन और विदेशमंत्रालय के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भारत के साथ इस मुद्दे पर चर्चा कर रहे हैं, यह जानकारी डोनाल्ड ल्यू ने प्रदान की| अलग शब्दों में बायडेन प्रशासन भारत पर दबाव बनाकर रशिया के विरोध में खड़ा करने की हर मुमकिन कोशिश कर रहे हैं, यही कबुली ल्यू ने दी  हैं|

रशिया एवं अमरीका के अन्य शत्रु देशों से हथियार खरीद करनेवाले देशों पर प्रतिबंध लगानेवाला ‘काऊंटरिंग अमरीकाज् एडव्हर्सरिज् थ्रू सैन्कशन्स ऐक्ट’ (सीएएटीएसए-काटसा) के तहत भारत पर प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं, इसकी याद ल्यू ने करायी| भारत ने अमरीका के इशारों के बावजूद रशिया से ‘एस-४००’ हवाई सुरक्षा यंत्रणा की खरीद की हैं| इस वजह से अमरीका के ‘काटसा’ प्रतिबंधों के दायरे में भारत आ सकता हैं| लेकिन, भारत पर यह प्रतिबंध लगाने हैं या नहीं, इसका निर्णय अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष बायडेन करेंगे, ऐसा ल्यू ने कहा हैं| यह धमका ने का से थी भारत यह अमरीका का काफी अहम सुरक्षा संबंधित भागीदार देश होने का दावा भी ल्यू ने किया|

यूक्रैन पर हुए हमले के लिए रशिया पर अंतरराष्ट्रीय स्तर से आलोचना हो रही हैं| इसका संज्ञान लेकर भारत रशिया से दूर रहेगा यह उम्मीद होने का बयान ल्यू ने किया| इसी बीच, ‘क्वाड’ की बैठक से कुछ ही घंटे पहले अमरिकी विदेश मंत्रालय ने भारत को रशिया के मुद्दे पर इशारा दिया हैं, यही बात ल्यू के बयान से स्पष्ट हो रही हैं| कुछ भी हुआ तो भी भारत रशिया के साथ जारी अपनी मित्रता को दांव पर नहीं लगाएगा, इसका पूरा ज्ञान बायडेन प्रशासन रखता हैं| फिर भी भारत पर इस मुद्दे पर दबाव बनाकर उनके बाद मज़बूरी में भारत पर प्रतिबंध लगाने की कार्रवाई करनी होगी, यह बयान बायडेन का प्रशासन कर सकता हैं| इसके लिए चीन की भारत विरोधी गतिविधियों का दाखिला भी बायडेन प्रशासन दे रहा हैं और ल्यू ने भारत को इसपर भी धमकाया दिख रहा हैं|

लेकिन, जापान और ऑस्ट्रेलिया की तरह भारत की विदेश नीति अमरीका की मर्जीपर नही चलती और अपनी विदेश नीति की स्वतंत्रता और संतुलन भारत किसी भी स्थिति में छोड़ने को भारत तैयार नहीं होगा| ऐसी स्थिति में भारत के विरोध में भूमिका अपनाने पर अमरीका उम्मीद कर रही हैं, बिल्कुल उसके उल्टे नतीज़े सामने आ सकते हैं| ऐसें ही संकेत भारत भी दे रहा हैं|

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