लोकतंत्र और तानाशाही के संघर्ष में अमरीका ताइवान के पक्ष में – अमरिकी सिनेट की सभापति नैन्सी पेलोसी

ताइपे – ‘विश्व में लोकतंत्र और तानाशाही के बीच संघर्ष जारी है। अमरीका ने ताइवान के साथ पूरे विश्व में लोकतंत्र की रक्षा करने का फौलादी निर्धार किया है’, ऐसा कहकर किसी भी स्थिति में अमरीका ताइवान को बेसहारा नहीं छोड़ेगी, ऐसा संदेश अमरिकी सिनेट की सभापति नैन्सी पेलोसी ने दिया। अपने विवादित ताइवान यात्रा में उनका यह वादा यानी सीधे चीन को चुनौती देने का दावा किया जा रहा है। इससे आगबबूला हुए चीन ने बुधवार को २१ लड़ाकू विमान ताइवान की हवाई सीमा में भेजकर अपना असंतोष व्यक्त किया।

लोकतंत्र और तानाशाहीपेलोसी ने ताइवान की यात्रा की तो इसके भयंकर परिणाम होंगे और इन परिणामों के लिए चीन ज़िम्मेदार नहीं होगा, ऐसी धमकी चीन के उप-विदेशमंत्री शी फेंग ने दी थी। चीन के मुखपत्र ने सीधे पेलोसी का विमान गिराने के इशारे दे रहा था। साथ ही पेलोसी की यह यात्रा यानी ताइवान का विलयन करने के लिए चीन के सामने चलकर आया अवसर होने के दावे किए जा रहे थे। लेकिन, इन धमकियों की परवाह किए बिना पेलोसी ताइवान पहुँचीं। अमरीका ने अब तक ‘वन चायना पॉलिसी’ यानी ताइवान को स्वतंत्र देश के तौर पर मंजूरी देने की नीति नहीं अपनाई है, ऐसा पेलोसी ने इस यात्रा में कहा। लेकिन, अमरीका ताइवान की चीन से रक्षा करेगी, यह वचन पेलोसी ने इस यात्रा के दौरान दिया।

इसके साथ ही चीन और ताइवान के बीच संघर्ष यानी लोकतंत्र और तानाशाही के बीच संघर्ष है, ऐसा कहकर ताइवान का पक्ष लेना अमरीका का नैतिक कर्तव्य है, इसका अहसास पेलोसी ने इस दौरान कराया। इस दौरे में पेलोसी के बयान निजी हैं, इससे अमरीका का वाईट हाऊस सहमत नहीं है, यह ऐलान अमरीका ने किया है। फिर भी विश्वभर के माध्यमों ने पेलोसी के ताइवान में किए गए बयानों को बड़ी अहमियत दी है। चीन भी वाईट हाऊस के खुलासे का स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं है।

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