चीन के साथ बढ़ रहे तनाव की पृष्ठभूमि पर ताइवान के लड़ाकू विमानों का युद्धाभ्यास

china-taiwan-fighter-jets-1ताइपे/बीजिंग – ‘ताइवान स्ट्रेट’ में चीन की बढ़ रहीं हरकतों पर प्रत्युत्तर देने की मंशा से ताइवान की वायु सेना ने व्यापक युद्धाभ्यास की शुरूआत की हैं। ताइवान की वायु सेना की युद्ध की तैयारी एवं क्षमता परखना ही इस युद्धाभ्यास कउद्देश्‍य होने का बयान ताइवान के रक्षा विभाग ने किया हैं। इस युद्धाभ्यास में ताइवान के रक्षाबलों के ‘एफ-१६’ लड़ाकू विमानों का समावेश हैं।

चीन की कम्युनिस्ट हुकूमत ने ताइवान के विरोध में जहाल भूमिका अपनाई हैं। ताइवान के करीबी क्षेत्र में चीन की ‘पीपल्स लिबरेशन आर्मी’ ने बड़ी मात्रा में युद्धाभ्यास शुरू किया हैं। यह युद्धाभ्यास यानी ताइवान पर हमला करने की रिहर्सल होने के दावे चीन के माध्यम कर रहे हैं। साथ ही चीन ने ताइवान के खिलाफ ‘ग्रे झोन वॉरफेअर’ का दायराभी बढ़ाया हैं। वर्ष २०२१ में चीन के विमानों ने कुल ९६१ बार ताइवान की हवाई सीमा में घुसपैठ की थी।

china-taiwan-fighter-jets-3वर्ष २०१० के बाद के दशक में चीन ने ‘ग्रे झोन वॉरफेअर’ काइस्तेमाल शुरू किया था। विमानों के साथ ही सैकड़ों सशस्त्र मछुआरों के जहाज़ों के ‘नेव्हल मिलिशिया’ का भी इसके लिए इस्तेमाल किया जा रहा हैं। ताइवान के रक्षाबलों को हमेशा के लिए दबाव में रखना और कमज़ोर करना ही इसका मुख्य उद्देश्‍य समझा जा रहा हैं। कुछ दिन पहलें ताइवान के रक्षा मंत्रालय ने प्रसिद्ध किए एक रपट में चीन की ‘पीपल्स लिबरेशन आर्मी’ ताइवान के रक्षाबलों की गतिविधियों पर नज़र रखकर होने का इशारा भी दिया गया था। ताइवान के रक्षाबलों को पुरी तरह से नाकाम किया जाएगा, ऐसी क्षमता चीन की ‘पीपल्स लिबरेशन आर्मी’ रखती हैं, इसका अहसास देकर यहखतरा लगातार बढ़ रहा हैं, ऐसी चेतावनी भी इस रपट में दी गई हैं।

इस बडते खतरे की पृष्ठभूमि पर ताइवान ने आक्रामक सैन्य गतिविधियाँ शुरू की हैं। ताइवान के लड़ाकू विमानों का युद्धाभ्यास भी इसी का हिस्सा बनता हैं। नए युद्धभ्यास में शामिल हुए ‘एफ-१६’ लड़ाकू विमान ताइवान चीन की घुसपैठ पर प्रत्युत्तर देने के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं। इस वजह से इनका युद्धाभ्यास यह चीन के ग्रे झोन वॉरफेअर रोकने के लिए हो रही कोशिशों का हिस्सा साबित होते हैं। लेकिन, सीर्फ युद्धाभ्यास और नए रक्षा सामान की खरीद करने के लिए ताइवान निर्भर नही हैं।

china-taiwan-fighter-jets-2वर्ष २०१८ में ताइवान की सरकार ने अपनी रक्षा नीति में ‘ओव्हरऑल डिफेन्स कन्सेप्ट’ का समावेश किया हैं। इसके अनुसार चीन का मुकाबला करने के लिए ताईवान युद्ध के परंपरागत विकल्पों के बजाय ‘असिमेट्रिक वॉरफेअर’ पर अधिक से अधिक जोर देगा। इसके लिए ताइवान ने अपनी जनता को भी तैयार करने की तैयारी शुरू की हैं। कुछ दिन पहले ताइवान की सरकार ने ‘ऑल आऊट डिफेन्स मोबिलाइजेशन एजन्सी’ गठित करने का ऐलान किया। ताइवान के आरक्षित बलों का स्वरूप बदलने के लिए यह एजन्सी काम करेगी।

पिछले वर्ष ताइवान ने अमरीका के तटरक्षक बल के साथ विशेष समझौता किया। अगले दिनों में अमरीक का यह दल ताइवान की सुरक्षा के लिए अहम भूमिका निभाएगा, ऐसें संकेत दिए गए हैं। अमरीका के अलावा जापान, ऑस्ट्रेलिया और आग्नेय एशिया केअन्य देशों से इस तरह के समझौते करने की गतिविधियाँ ताइवान ने शुरू की हैं। इस वजह से चीन की बेचैनी और भी बढ़ी हैं। आर्थिक स्तर पर चीन को झटके देनेवाले निर्णय एवं नीति ताइवान ने अपनाए हैं और इसके लिए ताइवान अन्य देशों से कर रहा सहयोगचीन को आर्थिक स्तर पर असुरक्षित करनेवाले हैं। ताइवान की इन गतिविधियों का असर सामनेआ रहा हैं और चीन की आक्रामकता इससे अधिक बढ़ती दिख रही हैं।

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