अमरीका और युरोपीय महासंघ द्वारा तालिबान पर विश्वासघात का आरोप

वॉशिंग्टन – अफगानिस्तान पर कब्ज़ा करने से लेकर तालिबान के आतंकवादियों ने १०० से भी अधिक पूर्व अफगानी जवानों की हत्या करवाई अथवा उन्हें गायब किया, ऐसा आरोप अन्तर्राष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन कर रहा है। इस पर अमरीका, युरोपीय महासंघ तथा अन्य २० देशों ने गुस्सा ज़ाहिर किया। अफगानिस्तान के नेता, सरकारी अधिकारी और लष्करी जवानों को माफ़ी दी जाएगी, ऐसा आश्वासन तालिबान ने दिया था। लेकिन अफगानी जवानों की हत्या करवाकर, आतंकवादी संगठन तालिबान विश्वासघात कर रहा होने का आरोप अमरीका और युरोपीय महासंघ ने किया है।

विश्वासघात का आरोप२० साल पहले के और आज के तालिबान में बहुत बड़ा फ़र्क होने के दावे, इस आतंकवादी संगठन की वकालत करनेवाले पाकिस्तान ने किए थे। तालिबान ने भी यह आश्वासन दिया था कि अब उनके संगठन में बदलाव आया होकर, उनके शासन में आरोपियों को क्रूर, अमानवीय सज़ा देने जैसी घटनाएँ इसके आगे नहीं होंगी। साथ ही, महिला तथा अल्पसंख्यकों के अधिकार हम नहीं छीनेंगे, ऐसा तालिबान ने मान्य किया था।

साथ ही, अफगानिस्तान के नेता, पूर्व सरकारी और राजनीतिक अधिकारी, सुरक्षा यंत्रणा के जवान इन्हें हमारे शासन में माफ़ी दी जाएगी। उनको भी हमारी सरकार में समा लिया जाएगा, ऐसी घोषणाएँ तालिबान ने कीं थीं। स्थापना से ही अफगानिस्तान में क्रूरता के लिए पहचाने जानेवाले तालिबान जैसे आतंकवादी संगठन के आश्वासनों पर भरोसा रखने की गलती अमरीका और युरोपीय महासंघ ने की थी। अन्तर्राष्ट्रीय विश्लेषक इसकी कड़ी आलोचना कर रहे हैं।

विश्वासघात का आरोपअफगानिस्तान पर कब्ज़ा करने के बाद तालिबान अपने आश्वासनों का पालन करेगा, ऐसी उम्मीद रखना मूर्खता होगी, ऐसा अफगानिस्तान के नेताओं तथा अन्तर्राष्ट्रीय विश्लेषकों ने डटकर कहा था। अगस्त महीने में काबुल में अपनी हुकूमत स्थापित करने के बाद तालिबान ने २० साल पहले जैसा ही शासन करने की शुरुआत की है। तालिबान ने महिला-लड़कियों की शिक्षा पर पाबंदी लगाई है। उसी प्रकार, अल्पसंख्यकों को बेघर करने की शुरुआत की होने की खबरें सामने आ रहीं हैं।

साथ ही, अफगान सुरक्षा यंत्रणा के पूर्व जवानों की हत्या की होने का आरोप किया जा रहा है। तालिबान की इस कार्रवाई पर अमरीका, युरोपीय महासंघ समेत ब्रिटेन, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, जापान इन देशों ने गुस्सा ज़ाहिर किया है। लेकिन इस प्रकार विश्वासघात करनेवाले तालिबान पर कार्रवाई करने की तैयारी अमरीका और पश्चिमी देशों ने नहीं दिखाई है।

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