माली में रशियन कान्ट्रैक्ट सैनिकों की तैनाती को लेकर अमरीका और यूरोप की चेतावनी

mali-russia-us-europe-3बमाको/मास्को/वॉशिंग्टन – अफ्रीका के माली देश की सरकार ने रशिया की ‘वैग्नर’ कंपनी के कान्ट्रैक्ट सैनिकों की तैनाती करने के संकेत दिए हैं। माली के इस निर्णय पर अमरीका और यूरोपिय देशों ने आपत्ति जताई है। लेकिन, माली ने रशियन कंपनी की सहायता प्राप्त करने के निर्णय का समर्थन किया है। फ्रान्स समेत अन्य देश माली से अपनी सेना को हटा रहे है और ऐसे में, ’क्या माली को ‘प्लैन बी’ अपनाने का हक नहीं है?’, यह सवाल माली की सरकार ने किया है।

माली समेत ‘साहेल रीजन’ में मौजूद आतंकवाद के खिलाफ फ्रान्स ने अपने पांच हज़ार सैनिकों की इस क्षेत्र में तैनाती की थी। अफ्रीकी देशों के साथ ‘ऑपरेशन बर्खाने’ नामक स्वतंत्र मुहिम भी चलाई थी। लेकिन, वर्ष २०१३ से इस मुहिम को अब तक उम्मीद के अनुसार सफलता प्राप्त नहीं हो सकी है। इसी बीच दूसरी ओर सोमालिया में ‘अफ्रीकन युनियन’ और अमरीका ने आतंकवाद विरोधी मुहिम जारी रखी है। लेकिन, ड्रोन हमले और बड़ी कार्रवाईयों के बावजूद आतंकी संगठन इस क्षेत्र में ताकतवर हो रहे हैं। इसी पृष्ठभूमि पर फ्रान्स एवं अमरीका ने इस क्षेत्र में तैनात की हुई अपनी सेना कम करने का निर्णय किया है।

mali-russia-us-europe-1माली ने रशियन निजी कंपनी के साथ समझौते की बातचीत करेन की यह पृष्ठभूमि है। ‘भागीदार देशों ने कुछ क्षेत्रों से बाहर होने का निर्णय किया है। वह मुमकिन है अन्य क्षेत्रों से भी पीछे हट सकते हैं। ऐसे समय में हमें क्या करना चाहिए? क्या हमें ‘प्लैन बी’ अपनाने का अधिकार भी नहीं है?’ ऐसे सीधे सवाल माली के प्रधानमंत्री चोगुल मैगा ने किए। संयुक्त राष्ट्रसंघटन में भाषण के दौरान मैगा ने आरोप लगाया कि, फ्रान्स ने तैनाती कम करके माली से पीछे हटने का एकतरफा निर्णय किया और इसके बारे में हमसे बातचीत भी नहीं की।

रशिया के विदेशमंत्री सर्जेई लैवरोव ने रशियन कंपनी के साथ माली की बातचीत से संबंधित वृत्त की पुष्टी की है। ‘माली की सरकार ने निजी रशियन कंपनी के साथ वार्ता शुरू की है। वैध रूप से यह बातचीत जारी है। रशियन सरकार इस बातचीत से संबंध नहीं रखती। बाहर से उचित सहायता प्राप्त ना होने की स्थिति में अपनी क्षमता अपर्याप्त साबित होगी, इस सोच में माली ने यह निर्णय किया है’, ऐसा विदेशमंत्री सर्जेई लैवरोव ने कहा।

mali-russia-us-europe-2लेकिन, माली और वैग्नर के संभावित समझौते को लेकर अमरीका और फ्रान्स समेत यूरोपिय देशों ने आपत्ति जताई है। ‘अफ्रीकी देशों में खराब प्रभाव पड़ता है तो हम इस पर चिंतित हैं। सुरक्षा के लिए बाहरी ताकतों की सहायता प्राप्त करना प्रगती और स्थिरता के नज़रिये से उचीत नहीं होगा’, यह इशारा अमरिकी अफसर ने दिया है। तो, फ्रान्स के रक्षामंत्री फ्लॉरेन्स पार्ले ने भी माली और रशियन कंपनी की बातचीत पर चिंता जताई। जर्मनी ने माली को अपनी तैनाती को लेकर पुनर्विचार करने का इशारा दिया है। यूरोपिय महासंघ के विदेश प्रमुख जोसेफ बॉरेल ने भी रशियन कंपनी की सहायता माली और महासंघ के संबंधों के लिए उचित नहीं है, यह इशारा दिया।

‘वैग्नर ग्रूप’ रशिया की निजी ‘मिलिटरी कंपनी’ होने की बात कही जा रही है। फिर भी इस कंपनी के संबंध रशिया के राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमीर पुतिन के साथ जुड़े होने का दावा किया जा रहा है। पुतिन रशिया का प्रभाव बढ़ाने के लिए इस कंपनी का इस्तेमाल करते हैं, यह भी चर्चा जारी है। बीते कुछ वर्षों के दौरान इस कंपनी ने अपना कार्यक्षेत्र बड़ी तेज़ी से फैलाना शुरू किया है। युक्रैन, सीरिया और लीबिया के बाद अफ्रीकी महाद्विप के लगभग १० देशों में इस रशियन कंपनी के कान्ट्रैक्ट सैनिकों की तैनाती होने की बात कही जाती है। इन देशों में मोज़ांबिक, सुड़ान, सेंट्रल अफ्रीकन रिपब्लिक का समावेश है।

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