अमरिकी डॉलर मज़बूत होना अन्य अर्थव्यवस्थाओं के लिए मुश्किलों से भरा – अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष की चेतावनी

वॉशिंग्टन – अमरिकी मुद्रा डॉलर फिलहाल दो दशकों के सर्वोत्तम स्तर पर है और इसका असर विश्व की अन्य अर्थव्यवस्थाओं को भुगतना पड़ रहा है। अमरिकी डॉलर मज़बूत रहना मुश्किलभरा साबित हो रहा है और इसका असर भी अब दिखाई देने लगा है, ऐसी चेतावनी अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष ने दी। मुद्राकोष की इस चेतावनी पर अन्य देश भी पुष्टि कर रहे हैं और आग्नेय एशियाई की प्रमुख अर्थव्यवस्था इंडोनेशिया ने स्थानीय मुद्राओं का इस्तेमाल बढ़ाने के संकेत दिए हैं। कुछ दिन पहले संयुक्त राष्ट्र संगठन ने भी अमरिकी फेडरल रिज़र्व ने डॉलर को लेकर किए निर्णयों की आलोचना करके यह वैश्विक मंदी का कारण बनेगी, ऐसी चेतावनी दी थी।

अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोषरशिया-यूक्रेन युद्ध की वजह से उछलती ईंधन की कीमतें एवं चीन के ‘ज़ीरो कोविड पॉलिसी’ की वजह से बाधित सप्लाई चेन के कारण पूरे विश्व में महंगाई में बड़ा उछाल आया है। अमरीका और यूरोपिय देशों के साथ कई प्रगत देशों में पिछले तीन से चार दशकों में विक्रमी महंगाई का स्तर देखा गया है। इस महंगाई को काबू करने के लिए अधिकांश देशों की सेंट्रल बैंकों ने ब्याजदर बढ़ाने की नीति अपनाई है। अमरीका की फेडरल रिज़र्व ने पिछले सात महीनों में पांच बार ब्याजदर बढ़ाए हैं। इस बढ़ोतरी की वजह से अमरिकी डॉलर मज़बूत हो रहा है और इसके विश्व के अन्य मुद्राओं को नुकसान पहुँच रहा हैं। युरो, येन, युआन, पौण्ड समेत कई मुद्राओं के मूल्यों में बड़ी गिरावट हुई है। साथ ही अंतरराष्ट्रीय शेअर बाज़ारों को भी भारी नुकसान पहुँचा है और अरबों डॉलर्स का नुकसान होने की बात कही जा रही है।

अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोषमुद्राकोष की नई रपट में इस मुद्दे पर ध्यान आकर्षित किया गया है और अमरिकी डॉलर मज़बूत होने से वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए खतरा निर्माण होगा, इसका अहसास भी कराया गया है। अमरिकी डॉलर आज भी अंतरराष्ट्रीय व्यापार और वित्तव्यवस्था पर प्रभाव बनाए हुए है और इसमें हो रहें बदलाव वैश्विक अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुँचानेवाले साबित हो रहे हैं। खास तौर पर विश्व की उभरती अर्थव्यवस्था और कम आय की अर्थव्यवस्थाओं को डॉलर के मूल्य में उथल-पुथल के कारण भारी नुकसान भुगतना पड़ रहा है, ऐसा इशारा मुद्राकोष ने दिया। कई उभरती अर्थव्यवस्थाव और छोटे देश पहले से ही कर्ज के भार से दबे होने की चेतावनी मुद्राकोष ने दी।

अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोषमुद्राकोष की रपट की आग्नये एशिया की प्रमुख अर्थव्यवस्था इंडोनेशिया भी इसकी पुष्टि करता दिख रहा है। ‘जी-20’ परिषद के आयोजक इंडोनेशिया ने अमरिकी डॉलर में हो रहा बदलाव अर्थव्यवस्था पर बड़े असर डाल रहा है, ऐसा कहकर करीबी दिनों में स्थानीय मुद्रा से कारोबार बढ़ाने के संकेत दिए हैं। इंडोनेशिया की सेंट्रल बैंक ‘बैंक इंडोनेशिया’ के वरिष्ठ अधिकारी ने इससे संबंधित जानकारी साझा की। नुग्रोहो जोको प्रस्तोवो ने कहा कि, चार देशों ने इंडोनेशिया की ‘लोकल करन्सी सेटलमेंट’ का इस्तेमाल करना स्वीकार किया है। इनमें जापान, चीन, थायलैण्ड और मलेशिया का समावेश होने की बात प्रस्तोवो ने कही।

‘फेडरल रिज़र्व ने फिर से ब्याजदर बढ़ाने का निर्णय किया तो अविकसित देशों के साथ वैश्विक अर्थव्यवस्था का भी नुकसान हो सकता है। मौजूदा नीति विकसनशील देशों के साथ कमज़ोर देशों को बड़ा नुकसान पहुँचानेवाली है। इस नीति के कारण वैश्विक अर्थव्यवस्था मंदी में धकेली जा सकती है’, ऐसा गंभीर इशारा ‘यूएन कान्फरन्स ऑन ट्रेड ऐण्ड डेवलपमेंट’ ने हाल ही में दिया था। यह मंदी सन 2007-2009 की मंदी से अधिक खराब होगी, ऐसी चेतावनी संयुक्त राष्ट्र संगठन ने दी थी।

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