अमरीका की फेडरल रिज़र्व ने ब्याजदर में ०.७५ प्रतिशत बढ़ोतरी की

वॉशिग्टन – अमरीका के फेडरल रिज़र्व ने बुधवार को ब्याजदर की ०.७५ प्रतिशत की बढ़ोतरी की। पिछले पांच महीनों में की गई यह चौथी बढ़ोतरी है। लगातार दूसरी बार पौन प्रतिशत बढ़ोतरी करने का यह वर्ष १९९४ के बाद पहला अवसर है। इस बढ़ोतरी पर शेअर बाज़ार में सकारात्मक प्रतिक्रिया दर्ज़ हुई। लेकिन, ब्याजदर बढ़ोतरी के दौरान ही अमरीका के दूसरी तिमाही के आंकड़े सामने आए हैं और अर्थव्यवस्था की ०.९ प्रतिशत गिरावट दर्ज़ हुई है। इस वजह से अमरिकी अर्थव्यवस्था मंदी की ओर बढ़ने के अनुमान को समर्थन प्राप्त होता दिख रहा है।

‘मौजूदा स्तर पर महंगाई में काफी बड़ा उछाल आया है और मनुष्यबल क्षेत्र की स्थिति भी कठिन हुई है। सितंबर की बैठक में भी दर बढ़ाने का बड़ा निर्णय हो सकता है। लेकिन, यह बात अब और उस समय प्राप्त जानकारी पर निर्भर करेगी’, इन शब्दों में फेडरल रिज़र्व के प्रमुख जेरोम पॉवेल ने नए से ब्याजदर बढ़ाने के संकेत दिए। अमरीका में फिलहाल महंगाई चरम स्तर पर है और जून में देश का महंगाई निदेशांक ९.१ प्रतिशत तक पहुँचा था।

ब्याजदर बढ़ाकर महंगाई को रोकने का ध्येय फेडरल रिज़र्व ने सामने रखने की बात पहले भी कई बार स्पष्ट की गई है। लेकिन, लगातार तीन बार दर बढ़ाने के बावजूद महंगाई कम नहीं हुई है बल्कि, इसकी तीव्रता अधिक बढ़ती जा रही है। महंगाई में उछाल के बाद अब अमरिकी जनता को मंदी का सामना करना पडेगा, ऐसे संकेत भी प्राप्त हो रहे हैं। दर बढ़ाने के ऐलान के बाद २४ घंटों में ही अमरीका की अर्थव्यवस्था की स्थिति दर्शानेवाले आँकड़े सामने आए। इसके अनुसार अमरीका के विकासदर की ०.९ प्रतिशत गिरावट आई है। लगातार दूसरी तीमाही में अमरिकी अर्थव्यवस्था में गिरावट आई है।

तकनीकी नज़रिये से लगातार दो तीमाहियों में गिरावट यानी अर्थव्यवस्था मंदी की चपट में होने की बात मानी जाती है। लेकिन, अमरिकी राष्ट्राध्यक्ष से वरिष्ठ अधिकारियों तक कोई मंदी शुरू होने की बात स्वीकारने के लिए तैयार नहीं है। लेकिन, विश्लेषक एवं आर्थिक विशेषज्ञ अमरीका की आर्थिक मंदी में होने की ओर लगातार ध्यान आकर्षित कर रहे हैं। अंतर्राष्ट्रीय मुद्राकोश समेत अन्य प्रमुख वित्तसंस्थाएं भी अमरीका मंदी की ओर बढ़ रही हैं, इसका अहसास दिला रहे हैं।

अमरीका के अलावा विश्व के प्रमुख देशों की अर्थव्यवस्थाओं की गति धीमी हो रही है और इनमें यूरोपिय देशों के साथ चीन का भी समावेश है। ‘रॉयटर्स’ नामक वृत्तसंस्था की खबर के अनुसार ब्याजदरों की बढ़ोतरी, महंगाई में उछाल एवं ऊर्जा क्षेत्र का संकट वैश्विक अर्थव्यवस्था मंदी की दहलिज पर होने के संकेत देते हैं।

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