चीन में बेरोजगारी दर २० प्रतिशत पर – विश्लेषकों ने इसे अर्थव्यवस्था के लिए खतरे की घंटी बताया

बीजिंग – कोरोना के प्रतिबंध हटने के बाद चीन की अर्थव्यवस्था उछाल लेगी और इससे वैश्विक अर्थव्यवस्था सामान्य स्तर पर आने की प्रक्रिया शुरू होगी, ऐसा अनुमान कई वित्तसंस्था एवं आर्थिक विशेषज्ञों ने व्यक्त किया था। लेकिन, वास्तव में चीन से प्राप्त हो रहे आंकड़ों ने उम्मीद तोड़ी है। पिछले कुछ दिनों में चीन के उत्पाद क्षेत्र के साथ रिटेल, निवेश और गृह निर्माण क्षेत्र में गिरावट होने की जानकारी प्रसिद्ध हुई थी। इसके बाद अब चीन में बेरोजगार लोगों की संख्या भी नए रिकार्ड स्थापित करते दिख रहे है। एक के बाद एक प्राप्त हो रहे नकारात्मक आंकड़े चीन की अर्थव्यवस्था के लिए खतरे की घंटी है, ऐसी चेतावनी विश्लेषकों ने दी है। 

बेरोजगारीपिछले एक साल से चीन को कोरोना विस्फोट के झटके लगातार भुतने पड़े थे। चीन के प्रमुख शहरों में छोटी मात्रा में शुरू हुआ संक्रमण वर्ष के अन्त में गंभीर हुआ। संक्रमण रोकने के लिए चीन के कम्यनिस्ट हुकूमत ने आक्रामक और सख्त ‘ज़ीरो कोविड पॉलिसी’ अपनाई थी। इसके परिणामों के कारण चीन की अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान पहुंचा था। वर्ष २०२२ में चीन की अर्थव्यवस्था का विकास दर मात्र तीन प्रतिशत दर्ज़ हुआ था। यह १९७६ के बाद का निचला स्तर है। 

बेरोजगारीकोरोना के प्रतिबंध हटने के बाद नए साल में चीन की अर्थव्यवस्था बेहतर प्रदर्शन करेगी, ऐसी उम्मीद जताई जा रही थी। शुरू के एक-दो महीनों में चीन ने अर्थव्यवस्था सामान्य स्तर पर होने के संकेत देने वाले आंकड़े प्रसिद्ध किए। लेकिन, इसके बाद फिर से चीन की अर्थव्यवस्था की गिरावट शुरू हुई और उत्पाद क्षेत्र के साथ रिटेल, निवेश और गृह निर्माण जैसे प्रमुख क्षेत्रों की गिरावट होने की जानकारी हाल ही में सामने आयी है। इसके बाद चीन की बेरोजगारी और कर्ज के बोजे का संकट अधिक गंभीर होता दिई दिया।

अप्रैल महिने में बेरोजगारी ने २० प्रतिशत का स्तर पार किया है। चीन के सरकारी विभाग ने घोषित किए आंकड़ों के अनुसार चीन के ‘अर्बन अनएम्प्लॉइमेंट’ २०.४ प्रतिशत तक जा पहुंचा हैं। १६ से २४ वर्ष उम्र गुट के पांच में से एक युवक बेरोजगार है और अगले कुछ दिनों में इनकी संख्या लाखों में बढ़ेगी, ऐसा कहा जा रहा है। चीन की यंत्रणा ने साझा किए जानकारी के अनुसार शहर के ९.६ करोड़ युवकों में से (१६ से २४ उम्र गुट) ६० लाख से भी अधिक युवक बेरोजगार हैं। चीन एवं कुछ पश्चिमी देशों ने असल संख्या एक करोड़ तक जा सकती है, यह चेतावनी भी दी है। 

बेरोजगारीचीन की यह बेरोजगारी कम्युनिस्ट हुकूमत की नाकामयाब हुई नीति की पुष्टि करती है, ऐसा मत स्थानीय विश्लेषक और विशेषज्ञ व्यक्त कर रहे हैं। चीन की कम्युनिस्ट हुकूमत ने अपनाई शिक्षा नीति के कारण शहरों में लाखों युवा हर वर्ष पदवी प्राप्त कर रहे हैं। लेकिन, उनके लिए पर्याप्त मात्रा में रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने में कम्युनिस्ट हुकूमत नाकामयाब हुई है, ऐसा दावा विश्लेषकों ने किया।

एक ओर बेरोजगारी बढ़ रही हैं और दूसरी ओर चीन के कर्ज का भार बढ़ने का संकट अर्थव्यवस्था के सामने खड़ी चुनौती अधिक बढ़ा रही है। चीन के प्रमुख शहरों में से एक वुहान प्रशासन न आर्थिक स्थिति कमज़ोर होने का ऐलान करके स्थानिय कंपनियों को दिया कर्ज की वसूली करने की गतिविधियां शुरू की हैं। शहर के उद्योग और कंपनियों ने लगभग १० करोड़ युआन की रकम वापस पाना अभी बाकी होने का बयान प्रशासन कर रहा हैं। लेकिन, कारोबार डूबने की कगार पर होते हुए यह कंपनियां कर्ज का भुगतान करने में सक्षम ना होने की खबरें प्राप्त हो रही है।

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