‘ज़ीरो कोविड पॉलिसी’ ने एशिया में चीन का प्रभाव घटाया – ऑस्ट्रेलिया की ‘लोवी इन्स्टिट्यूट’ की रपट

कैनबेरा/बीजिंग – कोरोना को रोकने के लिए बडी सख्ती से लागू की गई ‘ज़ीरो कोविड पॉलिसी’ की वजह से एशिया-पैसिफिक क्षेत्र में चीन का प्रभाव कम होने की रपट ऑस्ट्रेलिया की ‘लोवी इन्स्टीट्यूट’ ने पेश की है। ‘लोवी इन्स्टीट्यूट’ द्वारा जारी ‘एशिया पॉवर इंडेक्स’ में चीन फिसलकर दूसरे स्थान पर होने की बात कही है। अमरीका ने इस क्षेत्र में फिर से अपना प्रभाव बढ़ाने की बात इस ऑस्ट्रेलियन अध्ययन मंडल ने दर्ज़ की है।

‘लोवी इन्स्टिट्यूट’चीन के राष्ट्राध्यक्ष शी जिनपिंग ने कोरोना संक्रमण का मुकाबला करने के लिए ‘ज़ीरो कोविड पॉलिसी’ लागू की थी। इसकी सफलता को लेकर बार-बार सवाल उठाए जा रहे हैं, इसके बावजूद राष्ट्राध्यक्ष जिनपिंग और कम्युनिस्ट हुकूमत ने इस पॉलिसी का समर्थन किया था। पिछले साल शांघाई और अन्य प्रमुख शहरों में नाराज़गी व्यक्त की जा रही थी और ऐसे में भी जिनपिंग ने आक्रामक शब्दों में अपनी नीति लागू करने के आदेश दिए थे। लेकिन, झिंजिआंग की एक दुर्घटना ने इस नीति के खिलाफ चीनी जनता के मन में उमडा असंतोष बड़ी तीव्रता से सामने आया था। चीन के प्रमुख शहरों की जनता भारी संख्या में सड़कों पर उतरी थी।

‘लोवी इन्स्टिट्यूट’इसकी वजह से दिसंबर की शुरुआत में ही चीन ने कोरोना की महामारी रोकने के लिए थोंपी हुई ‘ज़ीरो कोविड पॉलिसी’ शिथिल करने का निर्णय लिया था। इसके बाद चीन में अधिकांश प्रतिबंध हटाए गए थे। प्रतिबंध शिथिल होने के बाद चीन में फिर से कोरोना संक्रमण तेज़ होने लगा। चीन में कोरोना संक्रमितों की संख्या बड़ी तेज़ बढ़ रही है और अस्पताल और दफनभूमी में बड़ी लंबी कतारें लगने के फोटो प्रसिद्ध हो रहे हैं। कोरोना की वजह से चीन में हर दिन एक से पांच हज़ार लोगों की मौत होने के दावे विभिन्न माध्यमों ने किए हैं।

‘लोवी इन्स्टिट्यूट’राष्ट्राध्यक्ष जिनपिंग ने चीनी जनता को किसी भी तरह से संबोधित किए बना चुप रहने की भूमिका अपनाने के कारण चीन में नाराज़गी का माहौल फैल रहा है, ऐसा दावा विश्लेषक कर रहे है। चीन में बढ़ रहे कोरोना संक्रमण का गंभीर संज्ञान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी लिया गया है। ‘वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन’ (डब्ल्यूएचओ) ने चीन की यंत्रणा कोरोना के आंकड़े प्रदान करे, ऐसे निर्देश दिए हैं। ऐसे में चीनी यांत्रियों को कोरोना परीक्षण करना अनिवार्य कर रहे देशों की संख्या फिर से बढ़ी है।

इस पृष्ठभूमि पर ऑस्ट्रेलिया की ‘लोवी इन्स्टीट्यूट’ की नई रपट ध्यान आकर्षित कर रही है।

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