ब्रिटन और युरोपीय महासंघ में ‘ब्रेग्ज़िट डील’ पर एकमत – कार्यान्विति के बारे में संदिग्धता क़ायम

लंडन/ब्रुसेल्स – ‘द डील इज डन’ ऐसे गिनेचुने शब्दों में ब्रिटन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉन्सन ने युरोपिय महासंघ के साथ समझौते पर एकमत होने की घोषणा की। इससे १ जनवरी, २०२१ को युरोपीय महासंघ के साथ कारोबारी संबंध क़ायम रखकर ब्रिटन महासंघ से बाहर निकलने की घटना पर मुहर लगी है। युरोपीय महासंघ की प्रमुख उर्सुला व्हॉन डेर लेयन ने, नया समझौता सुयोग्य तथा संतुलन रखनेवाला होने का दावा किया है। स्कॉटलंड की फर्स्ट मिनिस्टर निकोला स्टर्जन ने समझौते पर नाराज़गी व्यक्त की होकर, ब्रिटन ने कई वादें तोड़े होने का दोषारोपण किया है।

britain-eu-brexitगुरुवार दोपहर को ब्रिटन के प्रधानमंत्री जॉन्सन ने, महासंघ के साथ समझौता होने की जानकारी दी। जॉन्सन के ट्विट के बाद युरोपीय महासंघ ने भी समझौता होने की ख़बर की पुष्टि की। ब्रिटन के प्रधानमंत्री जॉन्सन ने एक पत्रकार परिषद बुलाकर समझौते के बारे में संक्षेप में जानकारी दी। ‘ब्रिटन ने अपने क़ानून और भविष्य पुन: अपने हाथ में लिया है’ इन शब्दों में जॉन्सन ने, ब्रिटन महासंघ के जुए से मुक्त हुआ होने का दावा किया। ‘१ जनवरी से ब्रिटन महासंघ के कस्टम्स युनियन और सिंगल मार्केट से बाहर निकला होगा। इसके बाद ब्रिटन की संसद ही ब्रिटन के लिए क़ानून बनायेगी और उसपर ब्रिटन के न्यायमूर्ति ही फ़ैसलें करेंगे। युरोपियन न्यायालय के अधिकार ख़त्म हो जायेंगे’, ऐसा जॉन्सन ने आगे कहा।

britain-eu-brexitइस समय युरोपीय देशों को संबोधित करते समय प्रधानमंत्री जॉन्सन ने यक़ीन दिलाया कि ब्रिटन इसके आगे भी तुम्हारा मित्र, सहयोगी और समर्थक रहेगा। यह समझौता यानी स्थिरता और निश्‍चितता की शुरुआत है, ऐसा दावा भी उन्होंने किया। ब्रिटन के पूर्व प्रधानमंत्री डेव्हिड कॅमेरॉन ने समझौते पर सन्तोष ज़ाहिर किया है। वहीं, ब्रेग्ज़िट के कड़े समर्थक होनेवाले ब्रिटीश नेता ‘निगेल फॅराज’ ने ‘अब युद्ध समाप्त हुआ है’ इन शब्दों में समझौते का स्वागत किया। लेकिन ब्रिटन का प्रमुख प्रांत होनेवाले स्कॉटलंड ने इस समझौते पर नाराज़गी दर्शाकर, सबकुछ आलबेल ना होने के संकेत दिये हैं।

britain-eu-brexit‘मच्छिमारी के मुद्दे पर ब्रिटन की सरकार ने किये वादें समझौते में तोड़े गये हैं। स्कॉटिश जनता ने युरोपीय महासंघ में रहने के पक्ष में फ़ैसला किया था, लेकिन उनके मतों को अनदेखा किया गया है। यह समझौता यानी सहज रूप में हुई ‘ब्रेग्ज़िट’ न होकर, प्रावधान सख़्त हैं। नज़दीकी समय में ब्रिटन की अर्थव्यवस्था और समाज ध्वस्त हुआ होगा’, ऐसी तीख़ी आलोचना स्कॉटलंड की फर्स्ट मिनिस्टर निकोला स्टर्जन ने की। इस समय स्टर्जन ने फिर एक बार स्कॉटलंड की स्वतंत्रता का मुद्दा उठाया होकर, स्वतंत्र देश के रूप में हमारा भविष्य तय करने का अधिकार हमें है, ऐसा दावा किया। स्कॉटलंड स्वतंत्र होकर युरोपीय महासंघ की सदस्यता प्राप्त करेगा, ऐसा भी उन्होंने जताया।

britain-eu-brexitब्रिटन एवं महासंघ के बीच हुए समझौते के अनुसार, क़ानूनव्यवस्था तथा व्यापार के मुद्दे पर होनेवालीं ब्रिटन की अहम माँगें मान्य की गयीं हैं। लेकिन मच्छिमारी के अधिकारों के लिए साढ़े-पाँच साल का ‘ट्रान्झिशन पिरियड’ निश्‍चित किया गया है। उसी समय, आतंकवादविरोधी कार्रवाई और गुनाहगारी इन मुद्दों पर दोनों पक्षों में सहयोग क़ायम रखने पर सहमति हुई है। युरोपीय देशों में कार्यरत होनेवालीं ब्रिटीश कंपनियों को समझौते से कुछ हद तक नुक़सान होगा, ऐसे संकेत सूत्रों ने दिये हैं। उसीके साथ, १ जनवरी से समझौते पर अमल निश्चित रूप में कैसे होगा और किस स्तर पर होगा, इसके बारे में भी कुछ हद तक संदिग्धता कायम है, ऐसा बताया जाता है।

हालाँकि ब्रिटन के प्रधानमंत्री जॉन्सन ने नियंत्रण हाथ में लेने का दावा किया है, फिर भी युरोपीय महासंघ ने भी वे मज़बूत पक्ष के रूप में क़ायम रहने की प्रतिक्रिया दी है। इस कारण शुरुआती दौर में फिर एक बार संघर्ष की चिंगारियाँ उड़ सकतीं हैं, ऐसी चेतावनी विश्‍लेषकों द्वारा दी जा रही है।

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