मुश्‍किलों में फंसा तुर्की अब इस्रायल से संबंध सुधारने के लिए तैयार

इस्तंबूल – इस्रायल के साथ जारी तनाव नजरअंदाज करके नए से राजनीतिक सहयोग स्थापित करने के लिए तुर्की तैयार है, यह ऐलान तुर्की के राष्ट्राध्यक्ष रेसेप एर्दोगन ने किया है। अगले वर्ष मार्च तक तुर्की-इस्रायल सहयोग पटरी पर होगा, ऐसा दावा एर्दोगन के सलाहकार ने कुछ घंटे पहले ही किया था। अमरीका और यूरोपिय महासंघ के प्रतिबंधों की वजह से प्रचंड़ बड़े आर्थिक संकट से घिरने के कारण तुर्की ने इस्रायल से मेल-मिलाप करने के लिए आवश्‍यक गतिविधियां शुरू की हैं, ऐसा दावा किया जा रहा है। तुर्की ने यह गतिविधियां शुरू करने से सबसे बड़ा झटका पाकिस्तान को लगा है।

वर्ष २०१० में तुर्की ने मानवीय सहायता से भरे हुए छह जहाज़ गाज़ापट्टी के लिए रवाना किए थे। इनमें से ‘मावी मारमारा’ नामक सबसे बड़े जहाज़ के विरोध में इस्रायल ने कार्रवाई की थी। इस कार्रवाई में तुर्की के नौं नागरिकों की मौत होने के बाद तुर्की और इस्रायल के संबंधों में बड़ा तनाव निर्माण हुआ था। बीते वर्ष अमरिकी राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प ने जेरूसलम को इस्रायल की राजधानी घोषित करने के बाद तुर्की ने आपत्ति जताई थी। इसके बाद तुर्की और इस्रायल ने अपने अपने राजदूत स्वदेश वापस बुला लिए थे। इसके बाद के दौर में तुर्की ने इस्रायल के खिलाफ तीव्र भूमिका अपनाई थी। पैलेस्टिन के विरोध में इस्रायल अत्याचार जारी रखता है तो तुर्की के साथ सभी इस्लामी देश इस्रायल पर टूट पड़ेंगे, ऐसी धमकी तुर्की के राष्ट्राध्यक्ष एर्दोगन ने दी थी। कुछ सप्ताह पहले यूएई ने इस्रायल के साथ राजनीतिक संबंध स्थापित करने के बाद तुर्की ने यूएई पर कड़ी आलोचना करके यूएई से राजनीतिक संबंध तोड़ने का इशारा दिया था।

turkey-israelलेकिन, अब तुर्की ने इस्रायल के प्रति नरम भूमिका अपनाई हुई दिख रही है। सप्ताह पहले तुर्की ने इस्रायल के लिए राजदूत की नियुक्ती करने की गतिविधियां शुरू की थीं। तुर्की के राष्ट्राध्यक्ष रेसेप एर्दोगन ने उफूक युलूतास को इस्रायल में राजदूत नियुक्त करने का ऐलान करके इस्रायल के साथ संबंध सुधारने के लिए तुर्की उत्सुक होने के संकेत दिए थे। तभी, शुक्रवार के दिन एर्दोगन ने इस्रायल के नेतृत्व के साथ चर्चा करके संबंध पहले जैसे हो सकते हैं, यह विश्‍वास व्यक्त किया।

राष्ट्राध्यक्ष एर्दोगन की विदेश नीति के सलाहकार मेसूत कैसिन ने मार्च तक दोनों देशों के संबंध सामान्य होंगे, यह दावा खुलेआम किया है। ‘इस्रायल ने एक कदम आगे बढ़ाया तो तुर्की दो कदम आगे बढ़ेगा। इस्रायल में तुर्की अपना दूतावास दुबारा शुरू करेगा’, यह बयान कैसिन ने किया था।

दस दिन पहले तुर्की ने राजदूत से संबंधित किया ऐलान और अब राजनीतिक सहयोग के मुद्दे पर किए दावे पर इस्रायल ने अब तक प्रतिक्रिया नहीं की है। तुर्की और इस्रायल में नए से सहयोग स्थापित करने के लिए अजरबैज़ान ने मध्यस्थता करने की तैयारी दिखाई है। अजरबैज़ान के विदेशमंत्री जेहून बायरामोव ने कुछ दिन पहले इस्रायल के विदेशमंत्री गाबी एश्‍केनॉत के साथ इस मुद्दे पर फोन पर बातचीत करने की बात कही जा रही है। तभी, एर्दोगन की भूमिका में हुए इस बदलाव की ओर इस्रायल बड़ी सावधानी से देख रहा है, ऐसा इस्रायली माध्यमों का कहना है।

बीते सप्ताह में अमरीका और यूरोपिय महासंघ ने तुर्की पर प्रतिबंध लगाने का ऐलान किया। इन प्रतिबंधों का सीधा तुर्की की अर्थव्यवस्था पर असर होगा। तभी स्वतंत्र इस्लामी देशों का संगठन स्थापित करने का सपना देख रहा तुर्की सौदी अरब और अरब मित्रदेशों से पहले ही दूर हो चुका है। तभी, सीरिया में तुर्की की सेना की हुई घुसपैठ, लीबिया में हो रही दखलअंदाज़ी, अजरबैज़ान-आर्मेनिया संघर्ष, ग्रीस-सायप्रस के साथ जारी विवाद की वजह से भी तुर्की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलग-थलग हो रहा है।

अमरीका के ट्रम्प प्रशासन के साथ भी एर्दोगन के संबंध मित्रतापूर्ण थे। लेकिन, अगले राष्ट्राध्यक्ष ज्यो बायडेन का प्रशासन तुर्की के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की कड़ी संभावना होने की बात कही जा रही है। इस वजह से कमजोर अर्थव्यवस्था, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर घेराबंदी और अमरीकी सरकार में हो रहे परीवर्तन की वजह से तुर्की की एर्दोगन सरकार काफी बेचैन है। इस पृष्ठभूमि पर एर्दोगन ने इस्रायल के साथ मेल स्थापित करके अमरीका की मर्जी संभालने की गतिविधियां शुरू की हैं, यह दावा किया जा रहा है।

इसी बीच, तुर्की की इस बदली हुई भूमिका का पाकिस्तान को बड़ा झटका लगा है। बीते कुछ महीनों में तुर्की ने पाकिस्तान पर प्रभाव बढ़ाया था। तुर्की के साथ पाकिस्तान के बढ़ते संबंधों की वजह से नाराज़ हुए सौदी एवं यूएई ने पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए आवश्‍यक कदम उठाए थे। लेकिन, अब तुर्की की इस्रायल के साथ संबंध स्थापित करने की तैयारी में होने की स्थिति से पाकिस्तान को झटके लगने लगे हैं। तुर्की का साथ देकर पाकिस्तान को विश्‍वासघात के अलावा दूसरा क्या हासिल हुआ, ऐसा सवाल पाकिस्तानी पत्रकार कर रहे हैं।

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