‘राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प की अमरीका से युरोपीय संघ को सबसे बडा ख़तरा’ : युरोपीय कौन्सिल के प्रमुख द्वारा चेतावनी

ब्रुसेल्स/तालिन, दि. १: ‘युरोपीय संघ के इतिहास में पहली बार बाहरी दुनिया का बड़े पैमाने पर ध्रुवीकरण (पोलराइज़ेशन) होते नजर आ रहा है| इस ध्रुवित दुनिया में कई लोग खुले रूप से युरोप के खिलाफ या युरो पर शक करनेवाली भूमिका अपना रहे है| ख़ास तौर पर, अमरिका में हुआ तख्तापलट युरोपीय संघ के लिए काफी मुश्किल साबित हो रहा है| अमरीका का नया प्रशासन, पिछले ७० साल से सक्रिय रही विदेश नीति पर सवाल खड़े कर रहा है’ इन शब्दों में कौन्सिल के प्रमुख डोनाल्ड टस्क ने राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प के नेतृत्व में रहनेवाली अमरीका, यह युरोपीय संघ के लिए अहम और बड़ा ख़तरा है, ऐसी चेतावनी दी|

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इस्टोनिया की राजधानी तालिन में हुई एक बैठक के दौरान, युरोपीयन कौन्सिल के प्रमुख टस्क द्वारा ट्रम्प के बारें में चेतावनी देनेवाला वक्तव्य किया गया| बैठक में उन्होंने, युरोपीय महासंघ के विघटन के मसले पर भी मत प्रदर्शित किया| युरोपीय महासंघ के अंत को ‘सकारात्मक’ कहनेवालों पर भी वे जमकर बरसे|

‘युरोपीय संघ के विघटन के बाद सदस्य देशों को पूरी तरह सार्वभौमत्व प्राप्त होगा, यह केवल एक कल्पित बात कही जा सकती है| असल में, विघटन के बाद युरोपीय देशों को मजबूरन अमरिका, रशिया और चीन जैसीं महासत्ताओं पर निर्भर रहना पड़ सकता है| युरोपीय देश यदि एकसाथ रहते हैं, तो ही हम असल में पूरी तरह स्वतंत्र रहेंगे| उसके लिए अमरीका का ब्रीदवाक्य रहनेवाले – ‘युनायटेड वुई स्टँड, डिव्हायडेड वुई फॉल’ को अपनाने में भी कोई हर्ज़ नहीं है’ ऐसा टस्क ने ज़ोर देकर कहा है|

टस्क ने इससे पहले एक खुले पत्र में संघ के सदस्य देशों को, ट्रम्प का चुनाव और उससे युरोपीय देशों को रहनेवाले खतरे को लेकर चिंता जतायी थी| तालिन में बाल्टिक देशों की बैठक में उसे दोहराते हुए कौन्सिल के प्रमुख ने, अमरिकी राष्ट्राध्यक्ष के प्रति युरोप को लगनेवाला डर फिर से अधोरेखित किया है| तालिन की बैठक में उन्होंने, ट्रम्प की कारोबारी नीतियों का इस्तेमाल युरोप खुद के फ़ायदे के लिए करें, ऐसी सलाह भी दी|

ट्रम्प के साथ ही, टस्क द्वारा युरोप के अन्य खतरों पर भी वक्तव्य किया गया| बाहरी ख़तरों के बारे में कहते हुए कौन्सिल के प्रमुख टस्क ने रशिया, चीन और कट्टरतावाद का उल्लेख किया| वहीं अंतर्गत खतरों के बारे मे वक्तव्य करते हुए उन्होंने, राष्ट्रीय स्तर पर बढ़ती खुदगर्ज़ी, राजनीतिक एकजूट पर कम होता जा रहा विश्वास और उदारमतवादी लोकतांत्रिक मूल्यों पर बढ रहा अविश्‍वास की बात की|

डोनाल्ड टस्क द्वारा अमरिकी राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प को, ‘महासंघ के लिए ख़तरा’ कहा जाना ध्यान बटोरनेवाली घटना है| संघ के उच्चस्तरिय नेतृत्व में ट्रम्प के बारे में डर बढ़ता जा रहा है, ऐसे साफ संकेत इससे मिल रहे हैं| ‘ब्रेक्जिट’ के मसले पर चर्चा करनेवाले संघ के मुख्य अधिकारी गाय व्हरहॉफस्टॅड्ट ने रशिया तथा उग्रवादी, इन दो ख़तरों के साथ साथ, ट्रम्प भी तीसरा बड़ा ख़तरा होने की चेतावनी दी थी|

संघ की विदेशप्रमुख फेडरिका मॉघेरिनी ने भी ट्रम्प को लक्ष्य बनाया है| ‘युरोप का इतिहास बताता है कि दरार पैदा करनेवालों और दीवार खडे करनेवालों को जेल में जाना पड़ता है’ इन शब्दों में मॉघेरिनी ने ट्रम्प को सीधे जेल भेजने की चेतावनी दी|

 ब्रिटीश नेता निगेल फॅराज द्वारा ट्रम्प के ‘प्रवेशबंदी’ का समर्थन

अमरिकी राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा जारी किये गये ‘प्रवेशबंदी’ अध्यादेश पर युरोप से संमिश्र प्रतिक्रियाएँ आ रही हैं| ब्रिटन के ‘यूकेआयपी’ दल के नेता निगेल फॅराज द्वारा प्रवेशबंदी के इस फ़ैसले का समर्थन किया गया है| उन्होंने आगे बताया के ब्रिटन में भी ऐसी प्रवेशबंदी जारी करने की आवश्यकता है|

ब्रिटन में राजनीतिक विश्‍लेषक के तौर पर कार्यरत रहनेवालीं कॅटी हॉपकिन्स ने भी, ट्रम्प का समर्थन करते हुए फॅराज की माँग को सही क़रार दिया है| इसी पृष्ठभूमि पर, ब्रिटन की प्रधानमंत्री पंतप्रधान थेरेसा मे ने, ट्रम्प को ब्रिटन की यात्रा के संदर्भ में दिया निमंत्रण कायम होने का खुलासा किया है|

जर्मनी की चैन्सेलर अँजेला मर्केल ने, ट्रम्प के अध्यादेश से बाधित होनेवाले निर्वासितों को जर्मनी पूरी तरह सहायता देगा, ऐसी घोषणा की है| ऐसे में अमरिकी राष्ट्राध्यक्ष के युरोप स्थित समर्थक उनकी नीतियों का पुरस्कार करते हुए दिखायी पड़ रहे हैं|

‘युकेआयपी’ दल के नेता निगेल फॅराज ने खुले रूप से, ट्रम्प की नीति सही होने का दावा किया| अमरिकी राष्ट्राध्यक्ष की ब्रिटन यात्रा को लाखों लोग विरोध कर रहे हैं| ऐसे में, फॅराज और विश्‍लेषक हॉपकिन्स ने अपनायी भूमिका, ब्रिटन में भी इस मसले पर मतभेद होने की बात स्पष्ट रूप से सामने ला रही है|

आनेवाले समय में ब्रिटनसहित युरोपीय देशों में ट्रम्प का साथ देनेवाले और उनका विरोध करनेवाले, ऐसे दो गुट तैयार होते दिखायी दे रहे हैं| निर्वासितों का मसला तथा महासंघ का अस्तित्त्व, इन मुद्दों को लेकर इन गुटों में तीव्र मतभेद होने की बात दिखाई दे रही है|

 

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