बांगलादेश में हुए आतंकी हमले के पिछे ‘आयएसआय’

बांगलादेश का पाकिस्तान की खुफिया एजन्सी पर आरोप

बांगलादेश

ढाका, दि. ३ (वृत्तसंस्था) – बांगलादेश की राजनधानी ढाका में हुए भीषण आतंकी हमले की जिम्मेदारी ‘आयएस’ ने अपने सिर पर ली थी। लेकिन यह आतंकी हमला करनेवाले बांगलादेश के नागरिक थें। उनका ‘जमातुल मुजाहिद्दीन बांगलादेश’ (जेएमबी) इस स्थानिक संगठन से संबंध था। ‘जेएमबी’ को पाकिस्तानी कुख्यात खुफिया एजन्सी ‘आयएसआय’ से सहायता मिल रही है, ऐसा कहते हुए बांगलादेश की प्रधानमंत्री के सलाहकार ‘हौसेनी तौफ़िक इमाम’ ने, इस हमले के पीछे ‘आयएसआय’ होने का इल्जाम लगाया है।

बांगलादेश‘जिस ढंग से आतंकवादियों ने रेस्टॉरट में घुसकर कुछ लोगों को बंधक बनाया, उसे देखते हुए यह हमला विदेशी आतंकवादियों ने नहीं, बल्कि स्थानिक आतंकवादियों ने ही किया है, ऐसा स्पष्ट होता है। इन हमलावरों का ‘जेएमबी’ से संबंध होने की बात भी सामने आयी है। ‘जेएमबी’ को ‘आयएसआय’ की ओर से सभी तरह का सहयोग मिल रहा है, यह भी सबको पता चला है। इसलिए इस हमले के पीछे ‘आयएसआय’ का हाथ होने की संभावना टाली नही जा सकती’ ऐसे स्पष्ट शब्दों में इमाम ने अपना शक़ ज़ाहिर किया। इससे पहले भी, बांगलादेश में लोगों द्वारा चुनी गयी सरकार को गिराने की कोशिशें ‘जेएमबी’ की मदद से ‘आयएसआय’ करती आ रही है, ऐसा इल्जाम भी उन्होंने लगाया।

इसी दौरान, बांगलादेश के गृहमंत्री असादुझ्झमन खान ने कहा कि इस आतंकी हमले के पीछे ‘आयएस’ नही है। खान ने बताया कि जिन आतंकवादियों ने इस हमले को अंजाम दिया, वे बांगलादेशी हैं, स्थानिक आतंकी संगठन से संबंधित हैं और इन आतंकवादी संगठनों का ‘आयएस’ के साथ संबंध नहीं है। ‘आयएस’ बांगलादेश में मौजूद ही नही है। ‘हमले के पीछे कौन है, उनको किसने उक्साया, इसकी पुरी जानकारी हमारे पास है, ऐसा कहते हुए खान ने इस आतंकी हमले के लिए ‘जेएमबी’ को जिम्मेवार ठहराया।

पिछले कुछ महीनों से बांगलादेश में ‘आयएस’ का प्रभाव बढ रहा है, ऐसी चिंता जताई जा रही थी। लेकिन बांगलादेश में ‘आयएस’ का अस्तित्व नहीं है, ऐसा दावा करते हुए बांगलादेश सरकार इस बात पर किए जा रहे दावों को प्रत्युत्तर देती आ रही है। ‘देश के कट्टरपंथी संगठन का साथ लेकर विरोधी पक्ष सरकार अस्थिर करने की साज़िश रच रहा है। प्रधानमंत्री शेख हसिना की सरकार गिराने के लिए ‘आयएसआय’ प्रयास कर रही है’ ऐसा इल्जाम बांगलादेश सरकार के वरिष्ठ नेता लगा रहे है।

सन २०१५ में एक प्रकरण की जाँच में, ढाका के पाकिस्तानी उच्चायुक्त की ओर से ‘जेएमबी’ को आर्थिक सहायता और अन्य मदद दी जा रही है, ऐसा सामने आया था। इस जाँच के वक्त पाकिस्तानी उच्चायुक्त कार्यालय का एक अधिकारी, ‘जेएमबी’ नेताओं के साथ बैठक में शामिल हुआ दिखायी दिया था। इससे बांगलादेश सरकार द्वारा किये जानेवाले दावे को पुष्टी मिल रही है।

प्रधानमंत्री शेख हसिना ने, बांगलादेश की सत्ता पर आने के बाद, पाकिस्तान के खिलाफ ठोस भूमिका अपनाई है। सन १९७१ में बांगलादेश की स्वतंत्रता के समय हुए युद्ध के दौरान जिन पाकिस्तानसमर्थक नेताओं ने जनता पर जुल्म ढाए थे, उन नेताओं को फाँसी पर चढाने का निर्णय हसिना ने लिया है। उसके बाद बांगलादेश के कट्टरपंथीयों में ग़ुस्से की लहर उठी थी।
प्रमुख विरोधी पक्ष ने भी सरकार के खिलाफ प्रदर्शन शुरू किए थे। लेकिन जनता की ओर से उन्हें कोई प्रतिसाद नहीं मिला था। इसके बाद ब्लॉगर्स, पत्रकार तथा अल्पसंख्य लोगों पर हमले बढे हैं। साथ ही, प्रधानमंत्री शेख हसिना पर हमले की साज़िश का खुलासा भी हुआ था। इस साज़िश को नाकाम करने के लिए बांगलादेश की सुरक्षा यंत्रणा को भारत ने सहायता की थी। ढाका में हुए आतंकी हमले के पीछे यह पृष्ठभूमी है।

प्रधानमंत्री हसिना ने ढाका पर हुए आतंकी हमले की कडी आलोचना करते हुए, ‘गुनाहगारों को बक्शा नहीं जायेगा। आतंकवादियों को हथियार मुहैय्या करनेवालों और सहायता करनेवालों को ढूँढ़ा जायेगा और उन्हें कड़ी सज़ा दी जायेगी, ऐसा शेख हसिना ने कहा है।

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