चलन की गिरावट और आर्थिक संकट बढ़ने से तुर्की के राष्ट्राध्यक्ष एर्दोगन ने जनता का भरोसा खोया

इस्तंबूल – राष्ट्राध्यक्ष एर्दोगन तुर्की को आर्थिक संकट से बाहर निकाल नहीं सकते, ऐसा अनुमान तुर्की की अधिकांश जनता व्यक्त कर रही है| ऐसा सोचनेवालों की मात्रा लगभग ६४ प्रतिशत होने की बात हाल ही में किए गए एक सर्वेक्षण से स्पष्ट हुई| तुर्की की मुद्रा ‘लिरा’ की गिरावट न्यूनतम स्तर पर जा पहुँची है| इसकी वजह से राष्ट्राध्यक्ष एर्दोगन से तुर्की की जनता का भरोसा उठ रहा है और इसके राजनीतिक परिणाम भी सामने आने लगे हैं|

turkey-erdogan-economic-crisisतुर्की का चलन ‘लिरा’ के मूल्य की डॉलर की तुलना में भारी गिरावट हुई है| एक डॉलर के लिए अब ११ लिरा चुकाने पड़ रहे हैं और यह इस वर्ष की सबसे बड़ी गिरावट साबित होती है| इसका तुर्की की अर्थव्यवस्था पर सीधा असर पड़ रहा है| अक्तुबर में तुर्की का महंगाई निर्देशांक उछाल के साथ २० प्रतिशत के स्तर तक जा पहुँचा| तुर्की की जनता को इससे बड़े संकट का मुकाबला करना पड़ रहा है, यह बात अंतरराष्ट्रीय माध्यमों के सर्वेक्षण से सामने आ रही है|

इसी दौरान राष्ट्राध्यक्ष एर्दोगन का स्वास्थ्य हर दिन अधिककाधिक बिगड़ने की खबरें प्राप्त हो रही हैं| लेकिन, एर्दोगन अपना पद छोड़ने के लिए तैयार नहीं हैं| बीते दो वर्षों में राष्ट्राध्यक्ष एर्दोगन ने सेंट्रल बैंक के तीन गवर्नर्स का यकायक तबादला किया| अपने आदेशों का पालन करने से इन्कार करने के कारण एर्दोगन ने यह कार्रवाई की| इससे राष्ट्राध्यक्ष एर्दोगन के खिलाफ नाराज़गी बढ़ रही है और देश पर टूटे आर्थिक संकट के लिए एर्दोगन ही ज़िम्मेदार होने की आलोचना हो रही है|

एर्दोगन का नेतृत्व तुर्की को आर्थिक संकट से बाहर नहीं निकाल सकता, यही सोच तुर्की की ६४ प्रतिशत जनता रखती है| इससे पहले फ़रवरी और सितंबर में किए गए सर्वेक्षण की तुलना में तुर्की की जनता का एर्दोगन ने अधिक भरोसा खो दिया है, यह बात हाल ही में किए गए सर्वेक्षण से स्पष्ट हुई है|

एर्दोगन के गलत निर्णयों की वजह से हमारे देश को ‘फाइनान्शियल एक्शन टास्क फोर्स – एफएटीएफ’ ने ‘ग्रे लिस्ट’ किया गया, ऐसी नाराज़गी भी तुर्की की जनता व्यक्त कर रही है| तुर्की की अर्थव्यवस्था पर ध्यान केंद्रीत करने के बजाय एर्दोगन ने हमारे देश को सीरिया, लीबिया, अर्मेनिया-अज़रबैजान के संघर्ष में उतारा| साथ ही अमरीका, फ्रान्स, इस्रायल, ग्रीस, सायप्रस, रशिया और इजिप्ट जैसे देशों के साथ संबंध बिगाड़े, ऐसी आलोचना भी तुर्की में हो रही है|

इसी बीच तुर्की के पूर्व प्रधानमंत्री एवं विपक्षी नेता अहमद दावुसोग्लू को तुर्की की जनता का समर्थन प्राप्त हो रहा है| एर्दोगन की ‘जस्टिस ऐण्ड डेवलपमेंट-एकेपी’ पार्टी के खिलाफ छह विपक्षी दल एक हुए हैं और एर्दोगन के इस्तीफे की मॉंग कर रहे हैं| लेकिन, वर्ष २०२३ के चुनाव होने तक एर्दोगन सत्ता नहीं छोड़ेंगे, यह चिंता तुर्की की जनता व्यक्त कर रही है|

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