कट्टर इस्रायलविरोधी भूमिका अपनानेवाले तुर्की के राष्ट्राध्यक्ष एर्दोगन का यू टर्न – इस्रायल में राजदूत भेजने को भी तैयार

anti-israel-erdogan-1अंकारा – ‘जिस प्रकार युएई और तुर्की के बीच फिर से सहयोग स्थापित हुआ , ठीक उसी प्रकार तुर्की इस्रायल के साथ भी सहयोग स्थापित करने के लिए कदम उठाएगा। जल्द ही तुर्की इस्रायल के लिए अपना राजदूत रवाना करेगा’, ऐसी घोषणा तुर्की के राष्ट्राध्यक्ष रेसेप एर्दोगन ने की। पिछले दस सालों से इस्रायल के विरोध में कट्टर भूमिका अपनाने वाले एर्दोगन की इस घोषणा की ओर हैरानी से देखा जा रहा है।

सन १९४८ में इस्रायल का निर्माण होने के बाद साल भर में ही तुर्की ने इस्रायल के साथ राजनीतिक संबंध स्थापित किए थे। उसके बाद छह दशकों तक दोनों देशों के बीच राजनीतिक संबंध जारी थे। लेकिन सन २०१० में तुर्की ने गाजा पट्टी के लिए रवाना किए जहाज पर इस्रायल ने लष्करी कार्रवाई की। इसमें नौं लोगों की जान जाने के बाद, गुस्सा हुए तुर्की ने इस्रायल में नियुक्त अपने राजदूत को वापस बुलाकर राजनीतिक संबंध तोड़ दिए। अगले दौर में इस्रायल के विनाश की घोषणाएँ करनेवाले हमास इस आतंकवादी संगठन का खुलेआम समर्थन शुरू करके तुर्की के राष्ट्राध्यक्ष ने कट्टरवादी नीतियाँ अपनाईं थीं।

anti-israel-erdogan-2लेकिन कट्टर इस्रायलविरोधी भूमिका अपनानेवाले तुर्की की नीति में पिछले कुछ महीनों से बदलाव होता दिख रहा है। पिछले महीने में तुर्की की सुरक्षा यंत्रणाओं ने जासूसी के आरोप पर दो इस्रायली नागरिकों को गिरफ़्तार किया था। लेकिन राष्ट्राध्यक्ष एर्दोगन के आदेश के बाद इन दोनों इस्रायली नागरिकों की रिहाई हुई। इस्रायल के प्रधानमंत्री नफ्ताली बेनेट ने इसके लिए एर्दोगन को फोन करके शुक्रिया अदा किया था।

ऐसी परिस्थिति में तुर्की के राष्ट्राध्यक्ष ने इस्रायल के साथ फिर से सहयोग स्थापित करने की घोषणा की है। इसके लिए राष्ट्राध्यक्ष एर्दोगन ने युएई के साथ के सहयोग का उदाहरण दिया। तुर्की और युएई के बीच भी मित्रतापूर्ण संबंध थे। लेकिन पिछले साल युएई ने इस्रायल के साथ अब्राहम समझौता करने के बाद तुर्की ने, युएई के साथ बने संबंधों से किनारा करने की घोषणा की थी। लेकिन पिछले हफ्ते युएई के क्राऊन प्रिन्स शेख मोहम्मद बिन झाएद ने तुर्की का दौरा करने के बाद दोनों देशों में फिर से सहयोग स्थापित हुआ।

इस समय युएई ने तुर्की में १० अरब डॉलर के निवेश की घोषणा की। पिछले कुछ महीनों से आर्थिक संकट में फँसे तुर्की के लिए यह बड़ी सहायता साबित होती है। साथ ही, विरोधियों की आलोचना का लक्ष्य बने राष्ट्राध्यक्ष एर्दोगन के लिए यह राहत दिलानेवाली बात दिखाई देती है। इस पृष्ठभूमि पर, युएई की तरह इस्रायल के साथ फिर से सहयोग स्थापित करने की घोषणा करके एर्दोगन ने संकेत दिए हैं कि उनमें उदारमतवादी बदलाव हो रहे हैं।

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