‘टाईम ट्रॅव्हल’ प्रयोग को मिली सफलता

 प्रयोग कर रहे ऑस्ट्रेलियन अन्वेषणकर्ताओं का दावा

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ऑस्ट्रेलिया की क्वीन्सलँड युनिव्हर्सिटी के दो अन्वेषणकर्ताओं के द्वारा किये गए प्रयोग में ‘टाईम ट्रॅव्हल’ की संकल्पना सफल साबित होने का दावा किया गया है। इस प्रयोग में, प्रकाश के मूलभूत कण के रूप में जाने जानेवाले ‘फ़ोटॉन’ को नज़दीकी भविष्यकाल में भेजने में क़ामयाबी मिली होने की जानकारी दी गयी है। गत वर्ष किये गए इस प्रयोग का विवरण ‘नेचर कम्युनिकेशन’ इस विज्ञानविषयक पत्रिका में प्रकाशित किया गया है।

क्वीन्सलँड युनिव्हर्सिटी के टिम राल्फ एवं मार्टिन रिंगबौर इस जोड़ी ने ‘टाईम ट्रॅव्हल’ का सफल प्रयोग किया है। इसके लिए, सन १९९१ में डेव्हिड डॉईश इस पदार्थविज्ञान अन्वेषणकर्ता ने तैयार किये हुए ‘सीटीसी’ मॉड़ेल का आधार लिया गया। ‘टाईम ट्रॅव्हल’ से संबंधित कुछ अड़चनों को, ‘क्वांटम लेव्हल’ स्तर पर मात दी जा सकती है, ऐसा इस मॉड़ेल में दिखाया गया था।

ऑस्ट्रेलियन अन्वेषणकर्ताओं की इस जोड़ी ने, पदार्थविज्ञान में अतिसूक्ष्म तथा मूलभूत कण के रूप में जाने जानेवाले ‘फ़ोटॉन’ पर टाईम ट्रॅव्हल का प्रयोग किया है। वह करते हुए, ‘क्लोझ्ड टाईमलाईक कर्व्हज्’ (सीटीसी) इस नाम से जानी जानेवाली अड़चन को टालने में सफलता मिली होने की बात सिद्ध हुई। टाईम ट्रॅव्हल के लिए आवश्यक रहनेवाली, ‘स्पेस टाईम’ को मोड़ देने की प्रक्रिया में ‘सीटीसी’ बाधा उत्पन्न करती है, ऐसा माना जाता है।

टिम राल्फ ने कहा कि ‘टाईम ट्रॅव्हल की संकल्पना में कई विचित्र विरोधाभास होने’ की जानकारी सापेक्षतावाद के सिद्धांत में दी गयी है। लेकिन ‘क्वांटम लेव्हल’ स्तर पर प्रयोग करते समय ये विरोधाभास लागू नहीं होते, ऐसा राल्फ ने कहा। इस स्तर पर मूलभूत कण पदार्थविज्ञान के पारंपरिक नियमों का पालन नहीं करते, यह दावा भी उन्होंने किया।

कुछ महीनें पूर्व प्रदर्शित हुए ‘इंटरस्टेलर’ इस हॉलिवूडफ़िल्म में अंतरिक्षयात्रा और ’टाईम मशीन’ संकल्पना का इस्तेमाल किया गया था।

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