स्पेसएक्स ने ‘फाल्कन-९’ रॉकेट को प्रक्षेपणपश्चात सफलतापूर्वक ज़मीन पर उतारा

इस सफलता से होगा ‘रि-युज़ेबल रॉकेट’ क्षेत्र का उदय

SpaceX --- Falcon-9
सोमवार रात को ‘स्पेसएक्स’ इस अन्तरिक्षक्षेत्र की निजी अमरिकी कंपनी ने ‘फाल्कन-९’ इस अन्तरिक्ष प्रक्षेपक रॉकेट की सफल उड़ान भरकर नया इतिहास लिखा। पूरे २०० फ़ीट से भी अधिक (२३ मंज़िलों जितनी) ऊँचाई रहनेवाला यह रॉकेट ११ उपग्रहों का सफल प्रक्षेपण करके पुन: पृथ्वी पर सफलतापूर्वक दाखिल हुआ। इस मुहिम के द्वारा, अंतरिक्षक्षेत्र में ‘अनमॅन्ड रियुजेबल रॉकेट प्रक्षेपक’ का इस्तेमाल इतने बड़े मिशन के लिए करने का प्रयोग पहली बार ही सफल हुआ है। फ़्लोरिडा के केप कॅनाव्हरल अवकाशकेंद्र पर से उड़ान भरने के १० मिनट बाद ‘फाल्कन-९’ पुन: पृथ्वी पर उतर चुका होने की जानकारी कंपनी ने दी। अमरिकी अन्तरिक्ष संस्थान ‘नासा’ ने भी इस अभूतपूर्व विक्रम के लिए स्पेसएक्स को बधाई दी है। नासा का स्पेसएक्स के साथ, आन्तर्राष्ट्रीय अन्तरिक्ष स्थानक (इंटरनॅशनल स्पेस स्टेशन) पर विभिन्न आपूर्तियाँ पहुँचाने के लिए १.६ अरब डॉलर्स का काँट्रॅक्ट है।

यह प्रयास करनेवाली स्पेसएक्स पहली कंपनी नहीं है। नवम्बर महीने में एक अन्य निजी अंतरिक्ष कंपनी ‘ब्ल्यू ओरिजिन’ ने, उसके द्वारा प्रक्षेपित किया गया रॉकेट ‘न्यू शेफर्ड’ – उड़ान भरकर पुन: सुरक्षित रूप में पृथ्वी पर उतारा जाने की घोषणा की थी। लेकिन ‘फ़ाल्कन-९’ यह ‘न्यू शेफर्ड’ की अपेक्षा बहुत ही कॉम्प्लेक्स और बहुत ही दूर तक जाने के लिए डिज़ाईन किया गया रॉकेट है।

स्पेसएक्स भी हालाँकि पिछले लगभग एक साल से इस दिशा में प्रयास कर रही है, मग़र अन्तरिक्ष में इतनी दूर तक और वह भी ११ उपग्रहों को लेकर भरी हुई, ऐसी यह पहली ही उड़ान थी, जो कि सफल हो गयी।

‘स्पेसएक्स’ का यह सफल प्रयोग, ‘रि-युसेबल रॉकेट टेक्नॉलॉजी’ की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। इससे अन्तरिक्ष उड़ान के खर्चे में काफ़ी गिरावट होने की और उससे अन्तरिक्ष उड़ान के और नये नये दालान खुल जाने की उम्मीद की जा रही है।

मिसाल के तौर पर, भविष्य में अन्तरिक्ष उड़ान की जो योजनाएँ आज बनायी जा रही हैं, उनमें से एक है – मंगल ग्रह पर मानवी निवेश बनाना। लेकिन उसमें प्रमुख बाधा है – आज की बहुत ही खर्चीली अंतरिक्ष रॉकेट टेक्नॉलॉजी। ‘फ़ाल्कन-९’ जैसा एक रॉकेट बनाने में लगभग ६ करोड़ डॉलर खर्चा आता है और एक उड़ान भरने के लिए आवश्यक इन्धन की क़ीमत लगभग २ लाख डॉलर है। विद्यमान रॉकेट टेक्नॉलॉजी में, एक रॉकेट का उपयोग एक ही उड़ान के लिए कर सकते हैं; क्योंकि एक उड़ान भरकर रॉकेट पृथ्वी पर लौटते समय, पृथ्वी के वातावरण में प्रवेश करते ही जलकर खाक़ हो जाते हैं। यानी इतनी बड़ी धनराशि रॉकेट की केवल एक ही उड़ान के लिए खर्च हो जाती है। अब अगर ‘रि-युज़ेबल रॉकेट’ नियमित रूप में सफल हो जाते हैं, तो इस प्रचंड खर्चे में काफ़ी कटोतरी हो सकती है।

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