चीन सरकार की ‘इकॉनॉमिक ब्ल्यूप्रिंट’

आर्थिक संकट को मात देने के लिए उठाये जा रहे हैं कदम

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चिनी अर्थव्यवस्था में लगातार चल रही फिसलन को रोकने के लिए चिनी सरकार ने अगले वर्ष के लिए ‘इकॉनॉमिक ब्ल्यूप्रिंट’ प्रस्तुत की है। इस ब्ल्यूप्रिंट में, गत कुछ दशकों से चीन के आर्थिक विकास का कारण बन चुके ‘ग्रोथ मॉडेल’ की मर्यादाओं का स्वीकार किया गया है। आर्थिक विकास के लिए नये स्रोत ढूँढ़कर, विद्यमान नीति में बदलाव लाने के संकेत इस ब्ल्यूप्रिंट में दिये गए हैं।

राजधानी बीजिंग में हुई ‘सेंट्रल इकॉनॉमिक वर्क कॉन्फ़रन्स’ इस परिषद के बाद यह ‘इकॉनॉमिक ब्ल्यूप्रिंट’ प्रस्तुत की गई। चीन के राष्ट्राध्यक्ष शी जिनपिंग, प्रधानमंत्री ली केकिआंग इनके साथ वित्त, व्यापार जैसे महत्त्वपूर्ण विभागों के वरिष्ठ अधिकारी भी बैठक में सम्मिलित हुए थे। इस बैठक में, अगले कुछ समय तक चीन का विकास ठंडा पड़नेवाला है, इस संभावना को मानकर चलते हुए विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की गई, ऐसा कहा जाता है।

गत सालभर में चीन के व्यापार तथा उत्पादनक्षेत्र के साथ ही, शेअरमार्केट को भी बड़ा आर्थिक नुकसान झेलना पडा हैं। इस नुकसान के कारण चीन के आर्थिक विकास दर में लगातार गिरावट होती हुई दिखायी देती है। कुछ अर्थविशेषज्ञों तथा नेताओं ने, चीन के सेवाक्षेत्र एवं अंतर्गत माँग की सुधरती हुई स्थिति की ओर निर्देश करते हुए, विकास क़ायम रहेगा, ऐसा दावे के साथ कहा है। लेकिन इन दो घटकों में हो रही वृद्धि चीन के विकासदर को सँवरने में कुछ ख़ास सहायकारी साबित नहीं होगी, ऐसा ध्यान में आने लगा है। इसलिए अब तक विकास के लिए अपनाये जानेवाली नीति में परिवर्तन करने के संकेत धीरे धीरे दिये जा रहे हैं।

‘सेंट्रल इकॉनॉमिक वर्क कॉन्फ़रन्स’ में हुई चर्चा में से तैयार हुई ब्ल्यूप्रिंट यह इसका ही भाग माना जाता है। उसके अनुसार, अंतर्गत माँग को बढ़ाकर और साथ ही, व्यापार को पोषक रहनेवाले ऐसे बदलाव लाकर चीन की अर्थव्यवस्था को विकास के लिए सक्षम रखने का लक्ष्य रखा गया है। उसके लिए, चीन के औद्योगिक क्षेत्र की बहुत भारी क्षमता को कम करना, व्यवसाय के लिए लगनेवाले खर्चे में घटोतरी, न बिके गये करोड़ों घरों का सुयोग्य उपयोग, नये संशोधन तथा उद्योगों को अग्रिमता, करों में कटौती, आर्थिक त्रुटि को बढ़ाना, फ़सल उत्पादन बढ़ाना इन जैसी उपाययोजनाऒं के संकेत दिये गये हैं।

चीन सरकार ने पिछले सालभर में ब्याजदरों में कटोतरी और अर्थसहायता की मदद से अर्थव्यवस्था को गति देने की कोशिश की थी। लेकिन यह कोशिश नाक़ाम साबित हुई है, यह उत्पादन और व्यापार में निरंतर होनेवाली गिरावट से साफ़ ज़ाहिर हुआ था। इस कारण अब विकास की रूपरेखा में मूलभूत बदलाव लाने की प्रक्रिया शुरू करने की दिशा में गतिविधियाँ शुरू हो चुकी हैं। इस प्रक्रिया में, अगले सालभर में चीन की अर्थव्यवस्था का मार्गक्रमण महत्त्वपूर्ण साबित होनेवाला है और उसपर सुयोग्य नियंत्रण रखने के लिए ‘इकॉनॉमिक ब्ल्यूप्रिंट’ घोषित की गयी है, ऐसा माना जा रहा है।

चीन तथा विभिन्न आंतर्राष्ट्रीय वित्तसंस्थाओं के अनुसार, इस वर्ष चीन का विकासदर सात प्रतिशत से कम होने की संभावना होकर, अगले कुछ वर्षों में उसमें गिरावट होती रहेगी, ऐसा भी अँदाज़ा व्यक्त किया गया है। चीन के राष्ट्राध्यक्ष शी जिनपिंग ने सन २०२० तक देश के आर्थिक विकास का दर ६.५ प्रतिशत रहेगा, ऐसी उम्मीद ज़ाहिर की है।

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