रशियन ईंधन की कीमत पर मर्यादा लगाने के गंभीर परिणाम होंगे – राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमीर पुतिन की चेतावनी

मास्को – रशियन ईंधन की कीमत पर मर्यादा लगाने की कोशिश की तो अंतरराष्ट्रीय ईंधन बाज़ार पर इसके गंभीर परिणाम होंगे, ऐसी चेतावनी रशिया के राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमीर पुतिन ने दी। ‘जी 7’ और यूरोपिय महासंघ रशिया से निर्यात हो रहे कच्चे तेल की कीमत पर प्रतिबंध लगाने की गतिविधियां कर रहे है। पश्चिमी सूत्रों ने साझा की हुई जानकारी के अनुसार रशियन तेल की कीमत प्रति बैरल 65 से 70 डॉलर्स के स्तर पर सीमित रखने का प्रस्ताव सामने आया है।

ईंधन की कीमत पर मर्यादारशिया-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद पश्चिमी देशों ने रशियन अर्थव्यवस्था एवं ईंधन क्षेत्र को कमज़ोर करने के लिए भारी मात्रा में प्रतिबंध लगाए। इससे रशिया को कुछ हद तक नुकसान पहुँचा, लेकिन फिर भी ईंधन क्षेत्र और अर्थव्यवस्था कमज़ोर करने की कोशिशों को बड़ी कामयाबी हीं मिल सकी। अमरीका, ब्रिटेन समेत यूरोप के कई देशों ने रशियन ईंधन की आयात यकायक बंद की है। लेकिन, इनमें से कई दे विभिन्न मार्ग से रशियन ईंधन खरीद रहे हैं, यह बार बार सामने आ रहा है।

इसी पृष्ठभूमि पर रशियन ईंधन की कीमत तोड़ने की हो रही कोशिश ध्यान आकर्षित करती हैं। अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में कच्चे तेल की कीमत फिलहाल प्रति बैरल करीबन 85 डॉलर्स हैं। यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद रशिया ने सहुलियत की कीमत पर अपने कच्चे तेल की बिक्री करना शुरू किया था। इस वजह से रशिया का ‘उरल क्रूड’ बाज़ार में फिलहाल 60 से 65 डॉलर्स प्रति बैरल दर से उपलब्ध है। आर्थिक मुश्किलों का सामना कर रहें कई देशों ने इसकी खरीद जारी रखी है। इस वजह से रशिया को अभी भी ईंधन क्षेत्र से भारी मात्रा में महसूल प्राप्त हो रहा हैं।

ईंधन की कीमत पर मर्यादारशिया को प्राप्त हो रही इसी आय पर घाव लगाने के इरादे पश्चिमी देश रखते हैं और इसी कारण से उन्होंने रशियन ईंधन की कीमत तोड़ने की तैयारी जुटाई है। लेकिन, पश्चिमी देशों की यह कोशिश कामयाब नहीं होगी। उल्टा वैश्विक ईंधन बाज़ार पर इससे गंभीर परिणाम होंगे, ऐसी चेतावनी रशिया के राष्ट्राध्यक्ष पुतिन ने दी। जो देश ईंधन की कीमत पर लगाई मर्यादा पर अमल करेंगे, उन्हें रशिया तेल प्रदान नहीं करेगी, यह इशारा भी पुतिन ने दिया। ईंधन उत्पादक देशों के शीर्ष संगठन ‘ओपेक’ ने भी रशियन ईंधन की कीमत पर मर्यादा लगाने के प्रस्ताव पर तीव्र नाराज़गी व्यक्त की हैं।

कुछ विश्लेषकों ने तो सीधे रशिया ईंधन बाज़ार में अपनी निर्यात काफी कम कर सकती हैं और इससे कच्चे तेल की कीमते फिर से प्रचंड़ उछलते दिखाई देंगे, यह ड़र भी व्य किया हैं।

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