कोरोना की महामारी के दौरान ‘एलएसी’ पर भारत ने चीन को दिया जवाब विश्व ने देखा – विदेश मंत्री एस.जयशंकर

चेन्नई – कोरोना की महामारी के दौरान भारत ‘एलएसी’ पर अपनी घुसपैठ को सख्त जवाब नहीं दे पाएगा, चीन ऐसा सोचता था। लेकिन, यह चीन का भ्रम साबित हुआ। कोरोना की महमारी के बावजूद भारतीय सेना ने ‘एलएसी’ की स्थिति में बदलाव करने की चीन की एकतरफा कोशिश नाकाम कर दी। इस दौरान भारतीय सेना का चीन को सख्त प्रत्युत्तर पूरे विश्व ने देखा है। इसके अवाला पिछले महीने अरुणाचल प्रदेश के तवांग में भारतीय सेना ने चीन की घुसपैठ पर भी सख्त कार्रवाई की थी, ऐसे स्पष्ट शब्दों में विदेश मंत्री जयसंकर ने चीन की सच्चाई सामने लायी। साथ ही चीन की साज़िश नाकाम करने वाली भारतीय सेना की विदेश मंत्री जयशंकर ने तहे दिल से सराहना की। अपने श्रीलंका दौरे से पहले भारतीय विदेश मंत्री द्वारा चीन की आलोचना ध्यान आकर्षित करती है।

चेन्नई में आयोजित एक समारोह में बोलते हुए जयशंकर ने चीन को लक्ष्य किया। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत चीन के साथ अपने संबंध सामान्य न होने का बयान कर रहा है। इस बीच चीन भारत से जुड़ी अपनी सीमा शांत है, ऐसे दावे करके ‘एलएसी’ पर तनाव से विश्व का ध्यान हटाने की कोशिश कर रहा है। ऐसी स्थिति में पिछले कुछ हफ्तों से भारतीय नेता चीन के खिलाफ अधिकाधिक आक्रामक शब्दों का प्रयोग कर रहे हैं और चीन को कड़ी चेतावनी दे रहे हैं। विदेश मंत्री जयसंकर ने अपनी विदेश यात्रा में चीन और भारत के संबंधों में तनाव होने का बयान करके अंतरराष्ट्रीय समुदाय को स्थिति का अहसास कराया था। इसी बीच चेन्नई में आयोजित समारोह में जयशंकर ने चीन की साज़िशों पर तीव्र नाराज़गी व्यक्त की।

पूरा विश्व कोरोना की महामारी के चपेट में होने की स्थिति में भारत में भी कोरोना का प्रभाव दिखाई दे रहा था। ऐसे समय में ‘एलएसी’ पर अतिक्रमण किया गया तो भारत इसका जवाब नहीं दे पाएगा, ऐसा चीन सोचता था। लेकिन, ऐसा नहीं हुआ। भारतीय सेना ने चीन का यह भ्रम दूर किया और चीन की घुसपैठ को जोरदार प्रत्युत्र दिया। इसका संज्ञान पूरे विश्व ने लिया और भारत के खिलाफ कोई भी आक्रामक कार्रवाई नहीं कर सकता, यह संदेश पूरे विश्व को मिला है, ऐसा जयशंकर ने कहा। सिर्फ चीन से जुड़ी एलएसी ही नहीं, बल्कि भारत समुद्री क्षेत्र में भी वर्चस्व बनाए रखने का बयान करके भारत की अहमियत अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अधिक बढ़ने का दावा विदेश मंत्री ने किया। हिंद महासागर का क्षेत्र आनेवाले समय में काफी अहम साबित होगा। ऐसी स्थिति में भारत को शामिल किए बिना इस क्षेत्र में कोई भी उपक्रम सफल होना मुमकीन ही नहीं है, यह खुलासा जयसंकर ने इस दौरान किया।

हिंद महासागर क्षेत्र की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अहमियत बढ़ रही है और ऐसे में भारत इसका इस्तेमाल अपने हित के लिए कैसे करता है, इस पर आनेवाले समय में भारत का अंतरराष्ट्रीय स्थान निर्भर होगा, ऐसा बयान करके जयशंकर ने विश्लेषकों का ध्यान आकर्षित किया है। इस समुद्री क्षेत्र में भारत का प्रभाव और समावेश जितना बढ़ेगा उतना ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का स्थान उंचा होता जाएगा, यह कहकर जयशंकर ने इसकी अहमियत रेखांकित की। इसी बीच विदेश मंत्री ने पहले भी हिंद महासागर और पैसिफीक का विभाजन करनेवाली कोई भी रेखा न होने का बयान करके सामान की यातायात के नज़रिये से यह पूरा क्षेत्र एक ही होने का इशारा दिया था।

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