एलएसी पर सौहार्द स्थापित हुए बगैर भारत-चीन संबंध नहीं सुधरेंगे – चीन को भारत के विदेश मंत्री का संदेश

नई दिल्ली – भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर और चीन के विदेश मंत्री वँग ई के बीच फोन पर चर्चा संपन्न हुई। इस ७५ मिनट की चर्चा में, दोनों देशों के नेताओं में हॉटलाइन स्थापित करने पर एकमत हुआ। उसी समय लद्दाख की एलएसी के अन्य भागों से भी चीन के लष्कर ने अभी तक वापसी नहीं की है, इस बात पर विदेश मंत्री जयशंकर ने इस चर्चा में गौर फरमाया। वहीं, चीन के विदेश मंत्री ने यह उम्मीद जाहिर की कि सीमा विवाद का दोनों देशों के संबंधों पर असर नहीं होगा। अलग शब्दों में, एलएसी पर चीन ने घुसपैठ करने के बावजूद भी भारत चीन के साथ आर्थिक संबंध बनाए रखें, ऐसी माँग चीन के विदेश मंत्री द्वारा की जा रही है।

सौहार्द

लद्दाख की एलएसी पर स्थित पँगॉंग सरोवर क्षेत्र के उत्तरी और दक्षिणी भाग से चीन के लष्कर ने वापसी की है। लेकिन अभी भी लद्दाख की एलएससी के अन्य भागों से चीन का लष्कर वापस नहीं गया है। यहाँ से वापसी किए बगैर दोनों देशों के बीच का तनाव नहीं मिटेगा, इसका एहसास विदेश मंत्री जयशंकर ने चीन को करा दिया। लद्दाख की एलएसी पर बना तनाव कम होने के बाद दोनों देशों में भाईचारा और एलएसी पर सौहार्द स्थापित हो सकेगा, ऐसा विदेश मंत्री जयशंकर ने इस चर्चा में स्पष्ट किया। दोनों देशों के बीच का सीमा विवाद सुलझने में बहुत समय लग सकता है। लेकिन ताकत का इस्तेमाल करके एलएसी पर की स्थिति बदलने की एकतरफ़ा और हिंसक कोशिश, दोनों देशों के संबंधों के लिए बहुत घातक साबित होगी, ऐसे ठेंठ शब्दों में जयशंकर ने भारत की भूमिका रखी।

लद्दाख की एलएसी पर घुसपैठ करके चीन ने यहाँ की स्थिति बदलने की एकतरफ़ा कोशिश की और इसी कारण दोनों देशों में संघर्ष शुरू हुआ, ऐसा भारत का आरोप है। चीन के विदेश मंत्री के साथ हुई चर्चा में यही भूमिका नये से प्रस्तुत करके जयशंकर ने यह संदेश दिया कि भारत अपनी मूल भूमिका से पीछे नहीं हटा है। वहीं, दोनों देशों के लष्करी अधिकारियों के साथ ही, राजनीतिक नेताओं में भी हॉटलाइन स्थापित करके, समय पर ही संपर्क करने के प्रस्ताव पर विदेश मंत्रियों की इस चर्चा में एकमत होने की खबर है।

चीन के विदेश मंत्री वँग ई ने इस चर्चा में ऐसी आग्रही भूमिका रखी कि इस सीमा विवाद का प्रभाव दोनों देशों के संबंधों पर ना पड़ें। दोनों देशों के संबंधों में सीमा विवाद अग्रस्थान पर नहीं होना चाहिए, ऐसी माँग वँग ई ने की। गलवान वैली के संघर्ष के बाद खौले हुए भारत ने चिनी ऍप्स और उत्पादों पर पाबंदी तथा प्रतिबंध लगाने के फैसले किए थे। साथ ही, चीन का निवेश रोकने का फैसला भी भारत सरकार ने किया था। शुरू शुरू में, इसका अपने देश पर कुछ भी परिणाम नहीं होगा, ऐसे दावे करके चीन ने इसका मजाक उड़ाने की कोशिश की। चीन का सरकारी मुखपत्र होनेवाले ग्लोबल टाईम्स ने तो, भारतीयों के सामने चीनी उत्पादों के अलावा और कोई विकल्प ही नहीं है, ऐसा कहकर भारत को ताना मारा था। लेकिन कुछ समय बाद चीन को इसके परिणामों का एहसास हुआ।

आने वाले समय में भारत में नियुक्त चीनी राजदूत ने यह आवाहन किया था कि भारत ये फ़ैसलें पीछे ले लें। अब विदेश मंत्री वँग ई भी भारत को इसी प्रकार का आवाहन कर रहे हैं। एलएसी पर चीन ने घुसपैठ की, तो भी उस बात को भारत बर्दाश्त करें और दोनों देशों के आर्थिक सहयोग पर उसका असर ना हो, ऐसी उम्मीद चीन के विदेश मंत्री द्वारा व्यक्त की जा रही है। लेकिन दोनों देशों के संबंध सुधरने हैं, तो सीमा पर सौहार्द अपेक्षित है; दरअसल यह सौहार्द ही दोनों देशों में सहयोग कायम रखने की पूर्व-शर्त होने की बात भारत से समय-समय पर स्पष्ट की थी। इस कारण, आनेवाले समय में एलएसी पर तनाव कायम रखकर चीन भारत से व्यापारी फ़ायदे हासिल नहीं कर सकेगा, ऐसी चेतावनी भारत द्वारा दी जा रही है। भारत के विदेश मंत्री ने राजनीतिक भाषा में चीन को यही चेतावनी दी हुई दिख रही है।

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