‘एलएसी’ की मौजूदा स्थिति में बदलाव करने का अवसर चीन को प्राप्त नहीं होगा – विदेशमंत्री एस.जयशंकर

बंगलुरू – सीमा विवाद का हल निकालने की इच्छा एवं क्षमता भारत और चीन रखते हैं। अमरीका इसमें दखलअंदाज़ी करके तेल ड़ालने का काम ना करे, ऐसी चेतावनी चीन के विदेश मंत्रालय ने अमरीका को दी थी। अमरीका सीमा विवाद की आग भड़का रही है, यह आरोप लगा रहा चीन स्वयं ही इस आग को बुझाने के लिए तैयार नहीं है, इस बात पर भारत के विदेशमंत्री ने ध्यान आकर्षित किया। साल १९६२ के बाद चीन ने पहली बार एलएसी पर इतनी बड़ी मात्रा में सेना तैनाती की है, इसका अहसास विदेशमंत्री जयशंकर ने कराया। लेकिन, चीन को एकतरफा कार्रवाई के ज़रिये एलएसी की मौजूदा स्थिति में बदलाव करने नहीं दिया जाएगा, बिल्कुल इन्हीं शब्दों में विदेशमंत्री ने इशारा दिया।

राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर बंगलुरू में आयोजित समारोह में विदेशमंत्री जयशंकर बोल रहे थे। यूक्रेन का युद्ध शुरू होने के साथ ही अमरीका और यूरोपिय देश रशिया विरोधि भूमिका अपनाने के लिए भारत पर दबाव बना रहे हैं। इसके लिए भारत और चीन के एलएसी पर बनी स्थिति का दाखिला देकर अमरीका और यूरोपिय देशों ने भारत को इशारे दिए थे। लेकिन, भारत चीन के साथ उभरी समस्या को संभालने की क्षमता रखता है, ऐसा कहकर विदेशमंत्री जयशंकर ने पश्चिमी देशों को प्रत्युत्तर दिया। उनके इस बयान का चीन में स्वागत हो रहा है। सीमा विवाद का हल निकालने की इच्छा और क्षमता भारत एवं चीन रखते हैं, ऐसा कहकर चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजिआन ने अमरीका की आलोचना की थी।

लेकिन, चीन के साथ तनाव का अमरीका और यूरोपिय देशों को लाभ उठाने नहीं देंगे, ऐसी भारत की भूमिका होने के बावजूद चीन पर भारत पूरी तरह से विश्वास नहीं करेगा, यह बात जयशंकर ने बंगलुरू के कार्यक्रम के दौरान स्पष्ट की। किसी भी स्थिति में एकतरफा कार्रवाई के ज़रिये एलएसी की मौजूदा स्थिति में बदलाव करने की अनुमति चीन को नहीं मिलेगी, ऐसा विदेशमंत्री जयशंकर ने कहा। ‘एलएसी’ की स्थिति में ताकत का प्रयोग करने के गंभीर परिणाम हो सकते हैं, ऐसे सख्त शब्दों में विदेशमंत्री ने चीन को दो टुक लगायी। ‘एलएसी’ पर १९६२ के बाद पहली बार इतनी बड़ी तादात में चीन ने सेना तैनाती की है, इस बात पर भी विदेशमंत्री ने गौर किया।

पिछले दो सालों से ‘एलएसी‘ पर भारत ने विकसित किए बुनियादी सुविधाओं की वजह से वहां पर तैनात सैनिकों तक ज़रूरी सभी सहायता आसानी से पहुँच रही है। इससे भारतीय सैनिक अधिक दृढ़ता से अपना कर्तव्य निभा रहे हैं, ऐसा विदेशमंत्री ने आगे कहा।

‘पिछले दो सालों में देश के सामने चार बड़ी चुनौतियाँ खड़ी हुई थीं। कोरोना की महामारी, एलएसी पर चीन के साथ जारी तनाव, अफ़गानिस्तान से अमरिकी सेना की वापसी से बनी स्थिति और यूक्रेन युद्ध, इनसे दूर-दूर पर हुई गतिविधियों का भी हमारी सुरक्षा पर सीधा असर पड़ सकता है, इसका अहसास हुआ है। इस वजह से राष्ट्रीय सुरक्षा सिर्फ सीमा पर तैनात सैनिकों तक सीमित है, ऐसा समझना नहीं चाहिए। देश की सुरक्षा और समाज का क्षेमकुशल चुनौतियों के कारण बाधित ना हो, यही हमारे राष्ट्रीय सुरक्षा की व्याख्या है’, ऐसा सूचक बयान विदेशमंत्री जयशंकर ने इस दौरान किया।

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