भारतीय सेना भविष्य के युद्ध के लिए तैयार रहे – रक्षामंत्री राजनाथ सिंह का संदेश

बंगलुरू – यूक्रेन युद्ध के साथ ही वैश्विक स्तर पर शुरू हुई अन्य सुरक्षा संबंधी उथल-पुथल से सबक सीखकर भारतीय सेना अपनी क्षमता अधिकाधिक बढ़ाए। भारतीय सेना को भविष्य के युद्ध के लिए तैयार रहना चाहिये, यह संदेश रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने दिया। साथ ही बदलाव स्वीकारने की और इसके अनुसार जरुरी मुद्दे स्वीकारने की भारतीय सेना की क्षमता की रक्षा मंत्री ने सराहना की। ७५ वें सेना दिवस के अवसर पर बंगलुरू में आयोजित समारोह में रक्षा मंत्री बोल रहे थे। भारतीय सेना ने अब तक देश की चुनौतियों का बड़े धैर्य से सामना किया है, ऐसी सराहना रक्षा मंत्री ने की। इसी बीच सेनाप्रमुख जनरल मनोज पांडे ने गवाही दी कि, भारतीय सेना भविष्य के युद्ध के लिए स्वयं को सुसज्जित कर रही हैं।

भविष्य के युद्धबंगलुरू के ‘आर्मी सर्विस कोर’ (एएससी) में ७५ वें सेना दिवस के अवसर पर आयोजित समारोह में बोलते समय रक्षा मंत्री ने पूरे विश्व के समाज, राजनीति, और अर्थकारण में काफी बड़े बदलाव शुरू होने का दावा किया। साथ ही पूरे विश्व में सुरक्षा से जुडी चुनौतियों में भी बड़े बदलाव किए गए हैं, यह कहकर रक्षा मंत्री ने ड्रोन्स, अंडरवॉटर ड्रोन्स, आर्टिफिश्यल इंटेलिजेन्स पर आधारित हथियारों का इस्तेमाल शुरू हुआ है और इससे स्थिति तेज़ी से बदल रही है। ऐसी स्थिति में आने वाले समय में युद्ध के लिए अपनी क्षमता अधिकाधिक विकसित करते रहना सेना के लिए आवश्यक है। पूरे विश्व के प्रमुख देशों की सेनाएं नए-नए हथियारों के साथ ही नई रणनीति और युद्धनीति पर काम कर रही हैं। इस मोर्चे पर भारतीय सेना पीछे नहीं रह सकती, यह संदेश भी राजनाथ सिंह ने इस दौरान दिया।

भविष्य की चुनौतियों के मद्देनज़र भारतीय सेना को जरुरी कदम उठाने ही पडेंगे, ऐसा राजनाथ सिंह ने आगे कहा। लेकिन, यह बदलाव स्वीकारने और इसके अनुसार आवश्यक कुशलता विकसित करने की बड़ी क्षमता भारतीय सेना की है, इसे रक्षा मंत्री ने रेखांकित किया। इसके अलावा साल १९६२, १९६५, १९७१, १९९९ के युद्धों के अलावा गलवान घाटी और तवांग के एलएसी पर भारतीय सेना के शोर्य का रक्षा मंत्री ने बड़े गर्व के साथ ज़िक्र किया। भारतीय सेना के इस पराक्रम की वजह से पूरे विश्व का भारत के प्रति सम्मान बढ़ा है और भारतीय नागरिकों का अपनी सेना पर विश्वास भी अधिक दृढ़ हुआ है, ऐसा रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा।

इस दौरान बोलते हुए सेनाप्रमुख जनरल मनोज पांडे ने भी बदलते दौर की सुरक्षा संबंधी चुनौतियों में हुए बदलाव बयान किए। रशिया और यूक्रेन के युद्ध में सैन्य और नागरी इस्तेमाल के लिए उपलब्ध तकनीक का विध्वंसक इस्तेमाल होने की ओर सेनाप्रमुख ने ध्यान आकर्षित किया। साथ ही प्रचार युद्ध की अहमियत भी इससे रेखांकित हुई और सायबर एवं अंतरिक्ष क्षेत्र नई रणभूमि के तौर पर विकसित होने का मुद्दा भी सेनाप्रमुख जनरल पांडे ने इस दौरान पेश किया। साथ ही ‘ग्रे ज़ोन वॉरफेअर’ का भी भारतीय सेनाप्रमुख ने खास ज़िक्र किया।

चीन फिलहाल ताइवान के खिलाफ ‘ग्रे ज़ोन’ युद्धनीति का इस्तेमाल कर रहा है। इसमें सीधे युद्ध किए बिना शत्रु की सीमा में बार-बार घुसपैठ करके प्रतिकार होने से पहले ही वापस आने की रणनीति का समावेश होता है। लगातार हो रही घुसपैठ से शत्रु को परेशान करके यकायक हमला करने की नीति इस तरह की युद्धनीति में इस्तेमाल होती है। चीन द्वारा ताइवान के खिलाफ इस्तेमाल की जा रही इसी रणनीति का भारत के सेनाप्रमुख ने किया हुआ ज़िक्र अहमियत रखता है। साथ ही सीधे युद्ध करने जितना ही अप्रत्यक्ष या कम तीव्रता की युद्धनीति भी उतनी ही घातक होने का अहसास सेनाप्रमुख ने इस दौरान कराया।

लेकिन, भारतीय सेना को ऐसी नई चुनौतियों का पूरा अहसास है और सेना इसके लिए तैयार होने की गवाही भी जनरल पांडे ने देश को दी है।

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