अच्छे संबंध रखने में ही भारत और चीन का हित – चीन के रक्षामंत्री ने किया समज़दारी का बयान

सिंगापुर – इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन की जारी वर्चस्ववादी हरकतों पर अमरिकी रक्षामंत्री लॉईड ऑस्टिन ने गंभीर चिंता जतायी थी। सिंगापुर में शांग्री-ला परिषद में बोलते हुए अमरिकी रक्षामंत्री ने भारत का सैन्य सामर्थ्य इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में संतुलन रखनेवाली ताकत होने का दावा किया था। इसके बाद उसी परिषद में बोलते समय चीन के रक्षामंत्री वेई फेंघे ने भारत और चीन के संबंध सामान्य रहने में ही दोनों देशों का हित होने का समज़दारी का बयान किया है।

शांग्री-ला परिषद के एक समारोह के दौरान पूछे गए सवाल पर जवाब देते समय चीन के रक्षामंत्री ने भारत के अच्छे संबंधों की अहमियत रेखांकित की। भारत और चीन पड़ोसी हैं। दोनों देशों के संबंध सामान्य रहने में ही दोनों देशों का हित है। लद्दाख के एलएसी पर तनाव घटाने के लिए दोनों देशों में अब तक बातचीत के १५ दौर हुए हैं। आनेवाले समय में भी इस समस्या का हल चर्चा से निकालने की हम कोशिश करेंगे, ऐसा चीन के रक्षामंत्री ने स्पष्ट किया।

पिछले कुछ महीनों से चीन भारत के साथ सीमा विवाद की तीव्रता अंतर्राष्ट्रीय समूदाय के सामने ना आने की कोशिश कर रहा है। चीन के विदेशमंत्री वैंग ई ने इसके लिए खास विषेश की थी। इसके बाद शांग्री-ला परिषद में चीन के रक्षामंत्री ने भी इसी तरह के दावे करके सीमा विवाद की तीव्रता कम करने की कोशिश की। पर, इससे पहले अमरीका के रक्षामंत्री लॉईड ऑस्टिन ने लद्दाख के एलएसी पर चीन की हरकतें चिंताजनक होने का मत दर्ज़ किया था। इसके साथ ही भविष्य में चीन ने भारत के विरोध में हरकत की तो अमरीका पूरी ताकत से भारत का साथ देगी, ऐसा आश्वासन अमरिकी रक्षामंत्री ने इस दौरान दिया था।

इसके बाद चीन के रक्षामंत्री ने लद्दाख के एलएसी के तनाव पर किया समज़दारी का बयान ध्यान आकर्षित करता है। चीन सीमा विवाद का हल समझदारी से निकालने में रूचि रखता है, ऐसा दर्शाने की कोशिश कर रहा है, फिर भी असल में ‘एलएसी’ पर चीन की हरकतें अलग ही संकेत दे रही हैं। एलएसी के करीब अपने क्षेत्र में चीन बड़ी मात्रा में जंगी निर्माणकार्य कर रहा है।

अमरिकी रक्षा मंत्रालय ने भी इसका संज्ञान लिया था। भारत के विदेश मंत्रालय ने चीन की इन गतिविधियों पर भारत की कड़ी नज़र होने का इशारा भी दिया था। साथ ही चीन की हरकतों पर जवाब देने के लिए भारत उचित कदम उठा रहा है, इसकी गवाही विदेश मंत्रालय ने दी थी। लेकिन, इस पर जहाल प्रतिक्रिया दर्ज़ किए बगैर चीन सौम्य भाषा का प्रयोग कर रहा है। पहले के दिनों में भारत के विरोध में चीन ने इस तरह का संयम नहीं दिखाया था। बल्कि, लद्दाख के एलएसी पर विवाद के दौरान चीन ने अधिकृत स्तर पर भारत को साल १९६२ के युदध में हुई हार की याद दिलायी थी। तब, भारत हमारे देश की ताकत के सामने टिक नहीं पाएगा, ऐसे दावे चीन के सरकारी माध्यम लगातार कर रहे थे।

इस पृष्ठभूमि पर चीन ने भारत के विरोध में सख्त भाषा का प्रयोग करना छोड़कर समझदारी की भूमिका अपनाना इस आक्रामक देश की परंपरा के अनुसार नहीं है। लेकिन, राजनीतिक स्तर पर चीन आक्रामक भाषा का प्रयोग भले ही ना करता हो, फिर भी लद्दाख के एलएसी पर चीन की हरकतें भारत की आशंका बढ़ा रही हैं। इसके विरोध में भारत के रक्षामंत्री और विदेशमंत्री एवं सेनाप्रमुख ने भी चीन को सटीक शब्दों में इशारे दिए हैं। कुछ भी हो, लेकिन एलएसी पर एकतरफा कार्रवाई करके वहां की स्थिति में बदलाव करने की अनुमति चीन को देना मुमकिन नहीं होगा, ऐसी चेतावनी विदेशमंत्री जयशंकर ने हाल ही में दी थी।

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