भारत-चीन सीमा पर भयंकर स्थिति उभर सकती है – विदेशमंत्री एस.जयशंकर

बंगलुरू – भारत और चीन के संबंधों में  तनाव भरा है। जब तक चीन एलएसी से सेना हटाता नहीं, तब तक दोनों देशों के संबंध सामान्य होना मुमकिन ही नहीं। चीन की हरकतों की वजह से सीमा पर तनाव बढ़ता है, तो इससे गंभीर स्थित उभर सकती है, ऐसा बयान विदेशमंत्री एस.जयशंकर ने किया है। जब तक चीन सीमा से अपनी सेना नहीं हटाता और सीमा पर सौहार्दता स्थापित नहीं होती, तब तक भारत और चीन के संबंधों में तनाव बना रहेगा, ऐसी चेतावनी जयशंकर ने दी है।

बंगलुरू में माध्यमों से संवाद करते हुए विदेशमंत्री जयशंकर ने, भारत-चीन के संबंध सामान्य ना होने की बात स्पष्ट की। लद्दाख के एलएसी का तनाव कम करने के लिए भारत ने पहल की थी। इसके लिए दोनों देशों के बीच अब तक बातचीत के १५ दौर हुए। इसे कुछ हद तक सफलता प्राप्त हुई। लेकिन, अभी भी लद्दाख की एलएसी के करीब से चीन की सेना ने पूरी तरह से वापसी नहीं की है। जबतक चीन यहाँ से, भारत की माँग के अनुसार पूरी तरह से पीछे नहीं हटता, तब तक दोनों देशों के संबंध सामान्य नहीं हो सकेंगे, इसका अहसास जयशंकर ने कराया।

‘आनेवाले समय में सीमा पर सौहार्दता और शांति भंग करनेवाली हरकतें यदि चीन करता है, तो दोनों देशों का तनाव बढ़ने से भयंकर स्थिति बन सकती है। साल २०२० और २०२१ में हम यही कह रहे थे। आज भी हम यही कह रहे हैं कि भारत और चीन के संबंध सामान्य स्तर पर नहीं हैं। जब तक सीमा पर स्थिति सामान्य नहीं होती, तब तक भारत और चीन के संबंध भी सामान्य नहीं होंगे। इसको लेकर भारत सरकार ने पुख्ता भूमिका अपनाई है और देश के रक्षाबलों ने सीमा पर इसका अमल किया है’, ऐसा जयशंकर ने कहा।

चीन की सीमा पर स्थिति बिगड़ सकती है और ऐसा ना हो, इसके लिए भारत चीन से बातचीत कर रहा है, यह विदेशमंत्री ने स्पष्ट किया। इसी बीच, सीमा विवाद जारी रखकर भी भारत और चीन एक-दूसरें से सहयोग स्थापित कर सकते हैं, ऐसा चीन लगातार कह रहा है। इसके लिए चीन के नेता भारत को समझाने की कोशिश कर रहे हैं और चीन के विदेशमंत्री ने इस माँग के साथ भारत का दौरा भी किया था। लेकिन, भारत ने  सख्त शब्दों में चीन की यह माँग ठुकराई थी। भारत के साथ सहयोग करना हैं तो चीन पहले लद्दाख के एलएसी पर जारी तनाव कम करने के लिए कदम बढ़ाएँ, ऐसी भारत की प्रमुख माँग हैं। यह माँग पुरी होने तक चीनभारत से सहयोग की उम्मीद नहीं रख सकेगा, ऐसा इशारा विदेशमंत्री जयशंकर ने दिया था।

अब भी भारत के विदेशमंत्री चीन को लगातार इसका अहसास करा रहे हैं। साथ ही, चीन पाकिस्तान के सहयोग से कर रहें बुनियादी सुविधाओं की परियोजनाओं की वजह से भारत की अखंड़ता और संप्रभुता का उल्लंघन हो रहा है, ऐसा आरोप विदेशमंत्री जयशंकर ने लगाया। चीन और पाकिस्तान की सीपीईसी परियोजना भारत के अभिन्न  क्षेत्र होनेवाले ‘पाकिस्तान ने कब्ज़ा किए कश्मीर’ से जुड़ी है। दूसरें देश ने अवैध कब्ज़ा की हुई भारत की भूमि पर तीसरा देश परियोजना विकसित कर रहा है, यह बात बर्दाश्त करने जैसीं नहीं है, ऐसें सख्त शब्दों में एस.जयशंकर ने चीन और पाकिस्तान ने कब्ज़ा किए कश्मीर के क्षेत्र के इस परियोजना पर आपत्ति जतायी है।

पाकिस्तान ने कब्ज़ा किए कश्मीर में शुरू चीन की यह परियोजना यानी सिर्फ बुनियादी सुविधाओं के विकास तक सीमित बात नहीं हैं। बल्कि इस परियोजना को काफी बड़ी सामरिक अहमियत है। इसी वजह से, इस परियोजना की व्यवहार्यता ध्यान में लिए बिना चीन ने पाकिस्तान जैसें अस्थिर देश में बड़ा निवेश किया था। साथ ही, इस परियोजना को वैधता प्राप्त हो, इसके लिए चीन अन्य देशों को इस परियोजना का हिस्सा होने का आवाहन कर रहा है। खास तौर पर सौदी अरब इस परियोजना के लिए निवेश करें, इसके लिए चीन बड़ी कोशिशों में जुटा हैं, ऐसें दावे भी किए जा रहे हैं। लेकिन, सौदी ने अभी चीन की इन कोशिशों पर रिस्पान्स नहीं किया हैं। अन्य किसी देश ने भी इस परियोजना में रूचि नहीं दिखाई है।

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