भारत तथा मध्य एशियाई राष्ट्रों के सहकार्य का महत्व अधिक बढा – प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संदेश

नवी दिल्ली – ’अफगानिस्तान की स्थिति के बारे में हम सारे लोग चिंतित हैं। इसलिए भारत और मध्य एशियाई देशों में सहकार्य का महत्व अधिक बढा है’, ऐसा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा। कज़ाकिस्तान, उज़बेकिस्तान, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और किरगिज़ रिब्लिक इन पांचों मध्य एशियाई राष्ट्रों के राष्ट्राध्यक्षों के साथ वर्चुअल बैठक में प्रधानमंत्री मोदी बोल रहे थे।

India-central-Asiaभारत एवं मध्य एशियाई देशों की बुनियादी सुविधाओं का जुडना, सहकार्य का अगले ३० वर्षों की योजना बनाना इस वर्चुअल बैठक का प्रकुख उद्देश्य होने की बात प्रधानमंत्री मोदी ने कही। विस्तारित पडोसी राष्ट्रों में स्थिरता, सुरक्षा और शांति कायम रखने के भारत के मध्यबिंदु में एशियाई देशों के साथ सहकार्य है, ऐसा कहकर प्रधानमंत्री मोदी ने इस सहकार्य का महत्व रेखांकित किया।  

भारत के गणतंत्र दिवस समारोह में पांचों मध्य एशियाई राष्ट्रों के राष्ट्रप्रमुख उपस्थित होनेवाले थे, मगर कोरोना की महामारी की वजह से इस समारोह में प्रत्यक्षरूप से उपस्थित ना रह पाना संभव नहीं था। इसलिए गणतंत्र दिवस के दूसरे दिन भारत एवं मध्य एशियाई राष्ट्रों में यह वर्चुअल बैठक संपन्न हुई। इसकी घोषणा के बाद चीन की बेचैनी की बात सामने आई थी। इसी लिए भारत ने अयोजित की हुई इस बैठक से दो दिन पहले चीन ने भी मध्य एशियाई देशों के साथ वर्चुअल बैठक आयोजित की थी। 

इसलिए भारत के कज़ाकिस्तान, उज़बेकिस्तान, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और किरगिज़ रिब्लिक के साथ सहकार्य का डर चीन को लगा है, यह बात स्पष्ट हुई। बहुत पहले से चीन इन मध्य एशियाई देशों के साथ सहकार्य बढाने की कोशिश करता आया है। मात्र पहले सोवियत संघ का हिस्सा रहे इन राष्ट्रों पर चीन का बढता हुआ प्रभाव अपने लिए घातक हो सकता है, इसका अहसास रशिया को हो चुका है। इन राष्ट्रों के साथ व्यापार तथा अन्य क्षेत्र के सहकार्य के लिए चीन से तो भारत अधिक विश्वस्नीय विकल्प है, ऐसा रशिया को लगता है। इसी लिए रशिया भारत के मध्य एशियाई देशों के साथ सहकार्य के लिए प्रोत्साहित कर रहा है।

तो अफगानिस्तान की घटनाओं की वजह से दक्षिण एवं मध्य एशियाई क्षेत्रों की स्थिरता और सुरक्षा को धोखा है। अफगानिस्तान में भारत, रशिया तथा मध्य एशियाई राष्ट्रों के हित एकजैसे हो गए हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने इस वर्चुअल बैठक में यह बात स्पष्ट की थी, इसलिए भारत के मध्य एशियाई राष्ट्रों के साथ सहकार्य बहुत बडा धारणात्मक महत्व रखता है।

नैसर्गिक साधनसंपदा से परिपूर्ण मध्य एशियाई राष्ट्रों के साथ भारत के व्यापार को रोकने की धारणा पाकिस्तान ने स्वीकारी थी। मगर भारत ने इराण का छाबहार बंदरगाह विकसित करके उस मार्ग से मध्य एशियाई राष्ट्रों के व्यापार का विकल्पी मार्ग विकसित किया है। ईरान भी इस व्यापार के लिए सहकार्य करने के लिए विशेषरूप से उत्सुक है। इसलिए पाकिस्तान का भौगोलिक महत्व कम होने की बात सामने आ रहे है।

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