रशिया-यूक्रैन संघर्ष के कारण खाड़ी देशों में अन्न पाने के लिए दंगे भड़केंगे – अंतरराष्ट्रीय विश्‍लेषकों का इशारा

लंदन – रशिया और यूक्रैन के शुरू युद्ध की वजह से अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में अन्न और धान की कीमतें प्रभावित हुई हैं| गेंहू के साथ अनाज़ की कीमतें भी भारी उछल रही हैं| इस वजह से आनेवाले दिनों में कुछ देशों में अन्न के लिए अरब स्प्रिंग जैसीं हिंसा शुरू होगी, दंगे भड़केंगे और अस्थिरता निर्माण होगी, यह इशारा अंतरराष्ट्रीय विश्‍लेषक दे रहे हैं| इनमें इजिप्ट, लेबनान, सीरिया, येमन के साथ पाकिस्तान, तुर्की और बांगलादेश का समावेश होने का दावा विश्‍लेषकों ने किया|

रशिया और यूक्रैन के गेंहू की निर्यात पर खाड़ी, अफ्रीकी, एशियाई एवं कुछ यूरोपिय देश भी निर्भर हैं| जागतिक स्तर पर अनाज की लगभग १४ प्रतिशत निर्यात रशिया और यूक्रैन से होती हैं| इसके अलावा कृषी क्षेत्र के लिए इस्तेमाल हो रहें खाद के निर्माण में भी रशिया, यूक्रैन और बेलारूस सबसे आगे हैं| इनमें से रशिया और यूक्रैन में फ़रवरी के आखरी हफ्ते से कटाई शुरू होती हैं|

लेकिन, पिछले कुछ दिनों से रशिया-यूक्रैन का युद्ध शुरू होने से इन दोनों देशों की खेती की व्यवस्था टूट गई हैं| ऐसें में पश्‍चिमी देशों ने रशिया पर प्रतिबंध लगाकर रशिया की कृषि निर्यात पर पाबंदी का ऐलान किया| इसका कुल परिणाम इन दोनों देशों से अनाज की हो रही निर्यात पर हो रहा हैं, यह इशारा अंतरराष्ट्रीय विश्‍लेषक एवं अभ्यासगुट दे रहे हैं|

अमरीका के शीर्ष समाचार चैनल ने साल २०११ में अरब-खाड़ी देशों में किए गए अरब स्प्रिंग प्रदर्शनों के लिए निर्माण हुई स्थिति मौजूदा स्थिति से अलग नही थी, ऐशा कहा हैं| अरब स्प्रिंग के दौर एवं मौजूदा दिनों में अनाज़ की कीम समान स्तर पर होने का दावा अमरिकी समाचार चैनल ने किया| इस वजह से रशिया-यूक्रैन से प्राप्त होनेवाले गेंहू और अनाज पर निर्भर रहनेवाले इजिप्ट, लेबनान, सीरिया, येमन में अरब स्प्रिंग जैसें दंगे भड़केंगे, यह इशारा विश्‍लेषक दे रहे हैं|

ऐसें में पिछले साल से सामाजिक अस्थिरता से परेशान हुए पाकिस्तान, तुर्की जैसें देशों पर भी इस संघर्ष का असर होगा| क्यों कि, यह दोनों देश यूक्रैन के गेंहू पर निर्भर हैं| इसके अलावा यूक्रैन को यूरोपिय देशों का ‘ब्रेडबास्केट’ कहा जाता हैं| इस वजह से सीर्फ अरब देश ही नहीं, बल्कि यूरोप एवं एशिया में भी अनाज़ के लिए दंगे शुरू हो सकते हैं, इस ओर विश्‍लेषक ध्यान आकर्षित कर रहे हैं|

इसी बीच, इस संघर्ष के कारण उभरे संकट की पृष्ठभूमि पर जर्मनी ने शुक्रवार को ‘जी ७’ सदस्य देशों के कृषि मंत्रियों की विशेष बैठक का आयोजन किया हैं|

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