तालिबान ने विदेशी मुद्रा के इस्तेमाल पर लगाई पाबंदी

काबुल – तालिबान ने अफ़गानिस्तान में विदेशी मुद्रा का इस्तेमाल करने पर पाबंदी का ऐलान किया है। इसके अलावा अपने आदेशों का उल्लंघन करनेवालों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी, यह धमकी भी तालिबान ने अफ़गान जनता को दी है। तालिबान के प्रवक्ता ज़बिउल्ला मुजाहिद ने मंगलवार शाम को विदेशी मुद्रा के इस्तेमाल पर पाबंदी लगाने का ऐलान किया।

taliban-afghan-foreign-currency-1‘अफ़गान जनता, थोक बिक्रेता, व्यापारी और कारोबारी अब से सारा कारोबार सिर्फ ‘अफ़गानी’ (अफ़गान मुद्रा) में ही करें। विदेशी मुद्रा का इस्तेमाल करने से पूरी तरह से बचें। इन आदेशों का यदि किसी ने उल्लंघन किया तो सख्त कार्रवाई की जाएगी। देश की आर्थिक स्थिति और राष्ट्रीय हित के लिए अफ़गान नागरिक अपने प्रत्येक व्यवहार के लिए अफ़गानी का ही इस्तेमाल करें’, यह इशारा मुजाहिद ने दिया है।

अफ़गानिस्तान में बीते दो दशकों से अमरिकी डॉलर्स का इस्तेमाल बढ़ा है। अफ़गानिस्तान के बाज़ार में आम बिक्रेताओं से लेकर दुकानों तक डॉलर्स का सरेआम इस्तेमाल किया जाता है। इसके अलावा सीमा पर हो रहे व्यापार में संबंधित देशों की मुद्रा का इस्तेमाल होता है। अफ़गानी का इस्तेमाल काफी कम मात्रा में होने का दावा किया जा रहा है। इस वजह से डॉलर्स एवं अन्य विदेशी मुद्राओं के इस्तेमाल पर रोक लगाने का निर्णय तालिबान ने किया है।

लेकिन, तालिबान के इस निर्णय से अफ़गान जनता एवं देश की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुँचेगा, यह संभावना जताई जा रही है। १५ अगस्त के दिन तालिबान ने काबुल पर कब्ज़ा करने के बाद अमरीका के साथ अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने अफ़गानिस्तान की आर्थिक सहायता रोक दी है। अफ़गानिस्तान का तीन चौथाई सार्वजनिक खर्च अंतरराष्ट्रीय सहायता पर ही निर्भर था। यह सहायता रोकने के कारण अफ़गानिस्तान में सरकारी कर्मचारियों को वेतन नही मिल रहा है और तालिबान ने मासिक वेतन के स्थान पर गेहूं देने की तैयारी की है।

taliban-afghan-foreign-currency-2तालिबान ने अमरीका और यूरोपिय देशों से अफ़गानिस्तान की आर्थिक सहायता फिर से प्रदान करने की माँग की है। तो, अमरीका और मित्रदेशों ने यह भूमिका अपनाई है कि, अफ़गान जनता को सीधी सहायता दी जाएगी।

ऐसी स्थिति में तालिबान ने विदेशी मुद्रा के इस्तेमाल पर रोक लगाने से अफ़गानियों की समस्या फिर से बढ़ेगी, यह दावा पश्‍चिमी विश्‍लेषक कर रहे हैं क्योंकि, अफ़गान मुद्रा की अफ़गानिस्तान में ही ज्यादा कीमत नहीं रही। पड़ोसी पाकिस्तान से डॉलर्स प्राप्त करके उसे विभिन्न रास्तों से अफ़गानिस्तान में लाया जाता है क्योंकि, अफ़गानिस्तान में डॉलर्स की माँग काफी मात्रा में बढ़ी है। ऐसे अवैध कारोबार से पाकिस्तान को भी बड़ा नुकसान हो रहा है और इसके खिलाफ पाकिस्तान में जोरदार आपत्ति जताई जा रही है।

इस पृष्ठभूमि पर तालिबान ने अफ़गान जनता को किसी दूसरे देश की मुद्रा का इस्तेमाल करने से रोकने की बात दिखती है। लेकिन, कितनी भी सक्ति के बावजूद अफ़गानिस्ता के व्यवहारों से डॉलर या अन्य मुद्रा का इस्तेमाल पूरी तरह से रोकना तालिबान के लिए संभव नहीं होगा। तथा, इस निर्णय का कार्यान्वयन करनेवाली यंत्रणा भी तालिबान के हाथ में ना होने की बात फिलहाल दिख रही है।

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