म्यांमार की सेना ने १६० घरों को आग लगाई – सैटेलाईट से प्राप्त फोटो से इसके सबूत मिलने का मानव अधिकार संगठन का आरोप

बैंकॉक – म्यांमार की सेना ने बीते महीने वायव्य प्रांत के थांतलांग शहर पर ‘फायर बम’ का हमला करके १६० घरों को आग लगाई। इसमें एक अनाथालय का भी समावेश होने का आरोप लगा था। सोशल मीडिया पर प्रसिद्ध हुई इस खबर की मानव अधिकार संगठन ने पुष्टी की है। सैटेलाईट से प्राप्त फोटो से इस आगजनी की पुष्टि हुई है और जुंटा हुकूमत ने बड़े निम्न स्तर पर जाकर यह कार्रवाई की, ऐसी कड़ी आलोचना मानव अधिकार संगठन ने की है।

myanmar-military-torch-towns-1जुंटा हुकूमत के खिलाफ सशस्त्र विद्रोह करने वाले और उनके समर्थन में उतरनेवालों के खिलाफ म्यांमार की सेना ने भीषण मुहिम चलाई है। बीते हफ्ते २९ अक्तुबर के दिन म्यांमार के चिन प्रांत के थांतलांग शहर में म्यांमार की सेना ने ‘फायर बम’ की भीषण बौछार की। तकरीबन दो हज़ार बस्तियों के शहर पर हुए इस हमले में कम से कम १६० घर खाक हुए। आग में झुलस रहे इस शहर के फोटो और वीडियो सोशल मीडिया पर प्रसिद्ध हुए थे।

बीते हफ्ते ‘चिनलैण्ड डिफेन्स फोर्सस’ के विद्रोहियों के हमले में म्यांमार की सेना का एक जवान मारा गया था। इसके खिलाफ म्यांमार की सेना ने इस भीषण कार्रवाई को अंज़ाम दिया, यह दावा हो रहा है। इस आग में दो प्रार्थनास्थानों का नुकसान हुआ। साथ ही एक अनाथालय भी खाक हुआ।

इस घटना पर विश्‍वभर से प्रतिक्रिया दर्ज़ हुई थी। चिनलैण्ड के घरों पर हुए हमले मानव अधिकारों का सरेआम उल्लंघन है, यह आलोचना अमरीका ने की थी। साथ ही म्यांमार की सेना द्वारा इस क्षेत्र में जारी कार्रवाई पर अमरीका ने चिंता जताई थी। अंतरराष्ट्रीय माध्यम भी इस घटना का संज्ञान लेने के लिए मज़बूर हुए।

myanmar-military-torch-towns-2म्यांमार की सेना ने माध्यमों को काबू में रखने के कारण इस हमले में जान का नुकसान हुआ या नहीं, इसकी जानकारी अभी सामने नहीं आयी है। लेकिन, थांतलांग शहर के घरों को आग लगने की बात सैटेलाईट से प्राप्त फोटो से स्पष्ट हुई है। मानव अधिकार संगठन ने इस घटना का सैटेलाईट सेंसर द्वारा प्राप्त ‘थर्मल अनोमली’ फोटो अपनी वेबसाईट पर प्रसिद्ध किया। कम से कम १२ घंटों तक यहां के घर आग में झुलस रहे थे, ऐसा मानव अधिकार संगठन ने कहा है।

म्यांमार की सेना ने इस घटना के लिए सशस्त्र विद्रोहियों को ज़िम्मेदार बताया है। लेकिन, जुंटा हुकूमत ने पहले भी वर्ष २०१२, २०१६ और २०१७ में इस तरह से रिहायसी इलाकों पर ‘फायर बम’ के हमले किए थे, इसकी याद मानव अधिकार संगठन ने दिलाई है। इसी बीच म्यांमार की सेना ने लोकतांत्रिक सरकार की सत्ता का तख्ता पलटने के अलावा बीते नौं महीनों में १,२३३ लोग मारे गए है और ८५ हज़ार से अधिक विस्थापित होने का दावा किया जा रहा है।

सेना की हुकूमत हटाकर देश में फिर से लोकतंत्र स्थापित करने के लिए म्यांमार के राजनीतिक कार्यकर्ता और जनता को हथियार उठाना पड़ रहा है। म्यांमार के नेताओं ने इसके लिए जनता से आवाहन किया है और म्यांमार के अन्य वांशिक गुट और विद्रोही भी जुंटा हुकूमत के खिलाफ है। लेकिन, चीन से हर तरह की सहायता प्राप्त कर रही म्यांमार की लष्करी हुकूमत ने बड़ी क्रूरता से अपने खिलाफ जारी प्रदर्शनों को कुचलने की तैयारी जुटाई है। चीन के समर्थन की वजह से म्यांमार की हुकूमत को अंतरराष्ट्रीय आलोचना और दबाव की परवाह करने की ज़रूरत ना होने की बात दिखती है।

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