तालिबान ने किया हजारा समुदाय के १३ लोगों का भयंकर हत्याकांड़ – १७ वर्ष की लड़की की भी हत्या कर दी गई

कैरो/काबुल – तालिबान के आतंकियों ने अल्पसंख्यांक हजारा समुदाय के १३ नागरिकों ने आत्मसमर्पण करने के बाद उनकी निर्मम हत्या कर दी। इनमें १७ वर्षीय लड़की का भी समावेश होने की बात सामने आते ही तालिबान के खिलाफ गुस्से की लहर अधिक तीव्र हुई है। मानव अधिकार संगठनों ने इस हत्याकांड़ का गंभीर संज्ञान लिया है। पहले की और अब की तालिबान की नीति में रत्तीभर का भी बदलाव नहीं है, यह आतंकी संगठन आज भी अल्पसंख्यांकों की हत्याएं कर रही है, ऐसी तीखी आलोचना मानव अधिकार संगठनों ने की है।

taliban-hazara-massacreएक महीना पहले तालिबान ने अफ़गान सैनिकों को आत्मसमर्पण करने का आवाहन किया था। आत्मसमर्पण करनेवाले सैनिक और पुलिस अफसरों को तालिबान की हुकूमत में नए से भर्ती किया जाएगा, यह वादा तालिबानी नेताओं ने किया था। इसके अनुसार अफ़गानिस्तान के दायकूंड़ी प्रांत के काहोर गांव में ११ अफ़गान सैनिकों ने आत्मसमर्पण की तैयारी दिखाई थी। इन सैनिकों के साथ उनके परिजन भी थे। यह सभी सैनिक अल्पसंख्यांक हजारा समुदाय के ही थे।

तालिबानी आतंकियों ने इन अफ़गान सैनिकों के हथियार कब्जे में करने के बाद उन पर गौलियाँ चलाईं। इससे ११ सैनिक और अन्य दो लोग मारे गए। इन मृतकों में १७ वर्ष की लड़की का भी समावेश था। तालिबान ने काबुल पर कब्ज़ा करने के बाद बीते डेढ़ महीनों में हजारा अल्पसंख्याकों का किया हुआ यह बड़ा हत्याकांड़ साबित हो रहा है। इस वजह से अफ़गानिस्तान के अल्पसंख्यांक तालिबान से सुरक्षित ना होने की बात स्पष्ट हुई है।

हमारी हुकूमत में अफ़गानिस्तान के अल्पसंख्यांक सुरक्षित रहेंगे, यह वादा तालिबान ने किया था। लेकिन, हजारा समुदाय के १३ लोगों की हत्या करके तालिबान ने फिर से अपनी अमानुष क्रूरता का प्रदर्शन किया है। तालिबान का प्रवक्ता ज़बिउल्ला मुजाहिद और बिल्ला करीमी ने इन आरोपों पर प्रतिक्रिया देना टाल दिया। इसी बीच दायकूंड़ी प्रांत के लिए तालिबान ने नियुक्त किए हुए कमांड़र ने अल्पसंख्यांकों की हत्याएं हुई ही नहीं हैं, यह दावा किया।

इस वजह से तालिबान का क्रूर चेहरा फिर एक बार विश्‍व के सामने आया है और तालिबान का समर्थन कर रहे लोग मुश्‍किल में पड़ गए हैं। इससे पहले लड़कियों की शिक्षा पर पाबंदी लगानेवाली तालिबान की विश्‍वभर में आलोचना होने लगी थी। अफ़गानिस्तान की लड़कियों की शिक्षा का मुद्दा ‘जी २०’ में उठाने की माँग फ्रान्स के राष्ट्राध्यक्ष इमैन्युएल मैक्रॉन ने रखी है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय की माँगों का स्वीकार किए बिना तालिबान के साथ किसी भी तरह का सहयोग ना करें, यह आवाहन भी राष्ट्राध्यक्ष मैक्रॉन ने किया।

लेकिन, लड़कियों की शिक्षा के मुद्दे पर तालिबान अपने अन्यायी नियमों में बदलाव करने के लिए तैयार नहीं है। उल्टा वर्ष २००० से २०२० तक अफ़गानिस्तान की पाठशाला और युनिवर्सिटी ने प्रदान की हुई शिक्षा और इसके ज़रिये उत्तीर्ण हुए ग्रैजूएट लोग किसी काम के नहीं हैं, यह ऐलान तालिबान के नए शिक्षामंत्री अब्दल बाकी हक्कानी ने किया। इसके स्थान पर अफ़गानिस्तान की शिक्षा पद्धति पूरी तरह से धार्मिक शिक्षा पर आधारित होगी, यह ऐलान भी हक्कानी ने किया है। इसलिए तालिबान अफ़गानिस्तान को फिर से २० वर्ष पीछे धकेल रही है, ऐसी फटकार लगाई जा रही है।

इस तरह के चरमपंथी विचारों पर आधारित नीति अपनाने के साथ ही तालिबान ने अल्पसंख्यांकों पर निर्मम हमले करने की बात सामने आने के बाद अंतरराष्ट्रीय समुदाय इस पर तीव्र प्रतिक्रियाएँ दर्ज़ कर सकता है। एम्नेस्टी इंटरनैशनल नामक मानव अधिकार संगठन ने यह आरोप लगाया है कि, हजारा समुदाय के १३ लोगों की हत्याएं करके तालिबान ने उसमें बदलाव ना होने की बात ही दिखाई है।

Leave a Reply

Your email address will not be published.