‘फेडरल रिज़र्व’ और ‘बैंक ऑफ इंग्लैण्ड’ ने ब्याजदर बढ़ाने से शेअर बाज़ार में गिरावट

‘बैंक ऑफ इंग्लैण्ड’वॉशिंग्टन/लंदन – अमरीका और यूरोप के बैंकिंग क्षेत्र में उभरे संकट की वजह से पिछले कुछ दिनों में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निवेशकों को अरबों डॉलर्स का नुकसान पहुंचा हैं। इसका अहसास होने के बावजूद विश्व के प्रमुख सेंट्रल बैंकों ने फिर एक बार ब्याजदर बढ़ाने का ऐलान किया। पिछले २४ घंटों में अमरीका के ‘फेडरल रिज़र्व’ और ब्रिटेन के सेंट्रल बैंक ‘बैंक ऑफ इंग्लैण्ड’ ने ब्याजदर बढ़ोतरी की है। इस वजह से अमरीका और यूरोप के साथ एशियाई बाज़ारों में फिर से गिरावट हुई।

अमरीका में एक के बाद एक बैंक दिवालियां हो रही हैं और आनेवाले समय में ५० से २०० बैंकों को काफी बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता हैं, ऐसी चेतावनी आर्थिक विशेषज्ञ एवं विश्लेषकों ने दी है। पिछले कुछ दिनों में डुबी बैंकों की असफलता के पीछे फेडरल रिज़र्व ने अपनाई ब्याजदर बढ़ाने की नीति प्रमुख वजह होने की बात सामने आयी थी। इस वजह से नई बैठक में फेडरल रिज़र्व ब्याज दर बढ़ाने का निर्णय टाल सकती हैं, ऐसे संकेत भी दिए गए थे। 

‘बैंक ऑफ इंग्लैण्ड’लेकिन, बुधवार को फेडरल रिज़र्व के प्रमुख जेरोम पॉवेल ने ब्याजदर ०.२५ प्रतिशत बढ़ाने का ऐलान किया। इसके बाद अमरीका में ब्याजदर बढ़कर पांच प्रतिशत पर पहुंचा है। यह ऐलान करते हुए पॉवेल ने अमरीका का महंगाई दर कम करके दो प्रतिशत के स्तर पर लाना ही हमारा प्रमुख उद्देश्य रहेगा और इसे प्राप्त करने की राह अड़ंगों से भरी होने की चेतावनी दी। इस वजह से बैंकिंग क्षेत्र के संकट का दायरा बढ़ने की स्थिति में होने के बावजूद फेडरल रिज़र्व अपनी ब्याजदर बढ़ाने की नीति बरकरार रखेगी, ऐसे संकेत प्राप्त हो रहे हैं। बुधवार को फेडरल रिज़र्व ने किया ऐलान पिछले साल में किया ब्याजदर बढ़ोतरी का ९ वां ऐलान है।

‘बैंक ऑफ इंग्लैण्ड’फेडरल रिज़र्व के इस निर्णय के बाद अमरिकी शेअर बाज़ार में भारी गिरावट हुई। अमरीका का प्रमुख जो डोन्स निदेशांक कुल ५३० अंकों से टूटा। नैस्डैक की १९० अंक गिरावट हुई और ‘एसॲण्डपी ५००’ ६५ अंश फिसला। यूरोपिय शेअर बाजारों में बैंकों के शेअर्स को इससे भारी नुकसान पहुंचा। ‘एसएक्स७पी’ निदेशांक १ प्रतिशत फिसला है। जर्मनी के ‘डॉईश बैंक’ और ‘कॉमर्झबैंक’ की भारी गिरावट हुई हैं।

अमरीका के फेडरल रिज़र्व के बाद ब्रिटेन की सेंट्रल बैंक ‘बैंक ऑफ इंग्लैण्ड’ ने भी ब्याजदर ०.२५ प्रतिशत बढ़ोतरी करने का ऐलान किया। इसके बाद ब्रिटेन में ब्याजदर बढ़कर ४.२५ प्रतिशत तक जा पहुंचा हैं। दो दिन पहले ब्रिटेन में महंगाई निदेशांक के आंकड़े घोषित हुए थे। फ़रवरी महीने में ब्रिटेन में महंगाई बढ़कर १० प्रतिशत तक पहुंची देखी गई थी। इस वजह से ‘बैंक ऑफ इंग्लैण्ड’ को ब्याजदर बढ़ोतरी का निर्णय करना पड़ा, ऐसा कहा जा रहा है।

पिछले कुछ महीनों में वैश्विक अर्थव्यवस्था में मंदी जैसा माहौल बना है। अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष, वर्ल्ड बैंक, संयुक्त राष्ट्र संगठन, वैश्विक व्यापार संगठन जैसी कई शीर्ष संस्था एवं वित्त क्षेत्र की कंपनियों ने साल २०२३ में मंदी से नुकसान पहुंचेगा, ऐसा अनुमान जताया है। इसके लिए विश्व के प्रमुख देशों में हो रही ब्याजदर बढ़ोतरी प्रमुख वजह बताई जा रही है। लेकिन, फिर भी अमरीका, ब्रिटेन और अन्य प्रमुख देश महंगाई का उछाल रोकने का कारण बताकर ब्याजदर बढ़ोतरी का लगातार समर्थन कर रहे हैं।

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