चीन ने ताइवान पर हमला किया तो अंतरिक्ष में युद्ध छिड़ेगा – अमरिकी सेना अधिकारी की चेतावनी

वॉशिंग्टन/ताइपे/कैनबेरा – चीन के राष्ट्राध्यक्ष शी जिनपिंग ने अपनी सेना को जंगी तैयारी रखने के आदेश किए हैं। चीन जल्द ही ताइवान पर हमला करेगा। ऐसा हुआ तो ताइवान की सुरक्षा के लिए अमरीका पहल करेगी, ऐसा दावा अमरिकी नेता कर रहे हैं। लेकिन, चीन ने ताइवान पर हमला किया तो फिर अमरीका और चीन का बड़ा संघर्ष शुरू होगा और इसके बाद इन दोनों देशों के बीच अंतरिक्ष में युद्ध शुरू होगा, ऐसी चेतावनी पेंटॅगॉन के वरिष्ठ अधिकारी ने दी।

अंतरिक्ष में युद्धचीन के कम्युनिस्ट पार्टी के नेता एवं विश्लेषक ताइवान पर हमले की चेतावनियां दे रहे हैं। राष्ट्राध्यक्ष जिनपिंग भी सार्वजनिक तौर पर यह कह रहे हैं कि, ताइवान का जल्द ही चीन में विलयन होगा। चीन की नौसेना ने ताइवान की खाड़ी के करीब गतिविधियां बढ़ी हैं। चीन अपनी नौसेना का विस्तार कर रहा है। इस पृष्ठभूमि पर अमरिकी नौसैनिक अधिकारी यह बयान करके ध्यान आकर्षित किया है।

‘चीन ने आगे के समय में ताइवान पर हमला किया तो अमरीका इस युद्ध में उतरेगी। इस वजह से युद्ध काफी बड़ी मात्रा में भड़केगा। ऐसा हुआ तो अमरीका और चीन एक-दूसरे के सटिक हमला करने की क्षमता के मिसाइलों को नाकाम करने के लिए सेना के उपग्रहों पर हमले करेंगे। इससे ताइवान युद्ध अंतरिक्ष युद्ध में तब्दील हो जाएगा’, ऐसी चेतावनी एक समाचार चैनल के पत्रकार ने पेंटॅगॉन के अधिकारी के दाखिले से दी हैं।

ताइवान पर हमला होने के बाद चीन और अमरीका के बीच सायबर युद्ध शुरू होने का इशारा भी कुछ सैन्य अधिकारी दे रहे हैं। चीन के साथ युद्ध शुरू हुआ तो सात दिनों में अमरीका के हथियारों का भंड़ार खत्म हो जाएगा, ऐसी चेतावनी ‘इंडो-पैसिफिक कमांड’ (इंडोपैकॉम) ने दी है। इससे बचना हैं तो ‘इंडोपैकॉम’ का बजट बढ़ाएं, साथ ही साल २०२७ तक अमरीका के प्रगत हवाई और सायबर सुरक्षा यंत्रणा एकिकृत करें, यह सुझाव भी ‘इंडोपैकॉम’ ने दिया है।

साल २०२७ में ताइवान पर हमला करने की योजना चीन ने बनाई है। इससे पहले ही अमरीका अपनी सैन्य तैयारी बढ़ाएं, ऐसा ‘इंडोपैकॉम’ ने कहा है। इसी बीच ताइवान मसले को लेकर अमरीका और चीन का युद्ध शुरू हुआ तो इस युद्ध में ऑस्ट्रेलिया के शामिल होने पर कुछ पुख्ता कहना मुमकिन नहीं हैं, ऐसा चौकानेवाला दावा ऑस्ट्रेलिया के रक्षा मंत्री ने किया। इससे पहले ऑस्ट्रेलिया ने चीन के विरोध में ताइवान को हमारा समर्थन होगा, ऐसे स्पष्ट संकेत दिए थे। इस वजह से ऑस्ट्रेलिया की भूमिका में हुआ यह बदलाव भी ध्यान आकर्षित कर रहा हैं।

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