अस्थिसंस्था भाग – १०

skull1सिर की अस्थियों के विकास का हम अध्ययन कर रहे हैं। आज हम देखनेवाले हैं कि जन्म के बाद इनमें कौन-कौन से परिवर्तन होते हैं।खोपड़ी का ऊपरी भाग, चेहरा और खोपड़ी का निचला भाग इन सबके विकास का वेग अलग-अलग होता है। ऊपरी भाग का विकास तेजी से होता है और वह मष्तिष्क़ के विकास पर अवलंबित होता है। जीभ, दाँत और चबाने की प्रक्रिया में सहभागी होनेवाले चेहरे के स्नायुओं के विकास के अनुसार चेहरे का विकास होता है। अब हम विस्तार में देखेंगे कि इन सभी भागों का विकास किस तरह होता है। शिरोभाग (खोपड़ी का ऊपरी भाग) का विकास।

उम्र के पहले वर्ष में इसके विकास का वेग तीव्र होता है। अगले सात वर्षों तक मंदगति से यह विकास होता ही रहता है। साधारणतया सातवे वर्ष सिर का आकार लगभग  व्यस्कावस्था के आकार के आस पास हो जाता है। जन्म के समय सिर पर पड़े दबाव के कारण सिर का आकार (shape) काफी अलग होता है। उस आकार को देखकर अधिकतर माताओं को यह शंका हो जाती है कि क्या मेरे बच्चे का सिर ऐसा ही रहेगा? परन्तु वह वैसा नहीं रहता। पहले वर्ष भर में सिर का आकार बदलता जाता है। साधारणतया पहले वर्ष के अंत तक सिर का  जो आकार होता है (shape) वहीं जीवन भर रहता है। इसमें कुछ छोटे बदलाव हो सकते हैं। शिरोभाग का आकार भविष्यकाल की वृद्धि पर नहीं बल्कि वांशिकता पर अवलंबित रहता है। पहले वर्ष, डेढ़ वर्ष में होनेवाली वृद्धि हड्डियों के ओसिफिकेशन के फलस्वरूप होती है। इसमें शिरोभाग की चौड़ाई व ऊंचाई दोनों में वृद्धि होती है। इस कालावधि में तालु भर जाता है। तालु के चारों ओर की हड्डियों का ओसिफिकेशन जैसे जैसे होता जाता है वैसे वैसे तालु भरता जाता है। (तालू पर लगाये जानेवाले तेल से तालु के भरने का कोई भी संबंध नहीं होता।) पिछला तालु और कानों के सामने के तालु का हिस्सा २- ३ महीनों में भर जाते हैं। कानों के पीछे के मॅझटॉईड तालु एक साल में भरता है। आगे की बड़ा तालु डेढ़ साल में भरता है।

जन्म के समय खोपड़ी की हड्डियों की मोहाई एक समान होती है। जन्म के बाद उनकी मोटाई में फर्क  पड़ता है। मोटाई में यह फर्क  चौथे वर्ष से दिखने लगता है। उम्र के पैतीस साल में यह फर्क  सर्वाधिक होता है। कानों के पीछे मॅझटॉईड अस्थि दूसरे साल तक स्पष्ट दिखायी देने लगती है व उसमें हवा की पोकलियां उम्र के छठें वर्ष तक निर्माण होती हैं।

खोपड़ी के निचले हिस्से का विकास :- खोपड़ी के निचले हिस्से की वृद्धि अथवा विकास स्वतंत्र रुप से होता है। मष्तिष्क़ के विकास से इसका कुछ संबंध नहीं होता। सिर की लंबाई इस भाग के विकास पर आधारित होती है। नीचे की ओर ऑक्सिपटल, सिफ्नॉईड, व एथमाईड इत्यादि अस्थियों की वृद्धि पर इस भाग का विकास अवलंबित होता है। यह वृद्धि उम्र के अठ्ठारह से पंचवीस वर्षों तक शुरु रहती है।  इसका कारण यह है कि नाक व गर्दन के अंदर के स्नायुओं, चबाने की क्रिया में सहभागी होनेवाले स्नायुओं की वृद्धि इस कालावधी में होती रहती है। साथ ही साथ दाँतो के बाहर निकलने (eruption) पर भी यह वृद्धि अवलंबित रहती है। उम्र के बढ़ते समय वृद्धि की गति बढ़ जाती है। लड़कियों में लड़कों की अपेक्षा यह गति दो वर्ष पहले बढ़ जाती है।

चेहरे का विकास :- यह विकास दीर्घकाल तक चलता है। एथमाईड अस्थि, आँखों से गढ्ढे व नाकों की नलियों का विकास उम्र के सात वर्षों तक पूरा हो जाता है। मॅक्सिलरी अस्थि का विकास सामने व निचले  बाजू से होता है। मॅडिव्युलर अस्थि का विकास इस कालवधी में तीव्रता से होता है। इन दोनों हड्डियों में अ‍ॅलविओलर (alveolar) पोकलियां होती हैं। इन्हीं से दाँतों की शुरुआत होती है। इनका विकास किशोरावस्था तक शुरू ही रहता हैं। उम्र के अठ्ठरावे से बीस वर्षों तक इन हड्डियों में सोलह-सोलह अ‍ॅलविओलर पोकलियां विकसित होती हैं। (इसी लिए १६+१६=३२ दाँत हमारे मुँह में होते हैं)।

यद्यपि उपरोक्त तीनों भागों का विकास अलग-अलग होता रहता है। फिर  भी इनमें एक समान सूत्र होता है। इस वृद्धि में खोपड़ी की हड्डियों के जोड़ (sutures) अवधीत रहते हैं। यदि उम्र के बीसवें वर्ष तक सिर का एक्स-रे निकालें तो इन जोड़ों की रेखायें उससें दिखायी देती हैं। परन्तु इस उम्र के बाद ये रेखायें धीरे-धीरे मिट जाती हैं। बुढ़ापे में खोपड़ी हल्की एवं पतली हो जाती है परन्तु कभी-कभी इसके विपरीत भी होता है।

बढ़ती उम्र में चेहरे में होनेवाले सबसे महत्त्वपूर्ण बदलाव ये हैं- जबड़ों की दोनों हड्डियां, मँडिबल और मॅक्सिला ये आकार में छोटी हो जाती हैं। इसका कारण यह है कि मुँह के दाँत गिर चुके होते हैं और दाँत जिस हिस्से से निकलते हैं वो पूरा हिस्सा नष्ट हो चुका होता है।

किशोरावस्था तक लडके और लडकियों की खोपड़ी में ज्यादा फर्क  नहीं होता है। परन्तु आगे चलकर यह फर्क  दिखायी देता है। स्त्रियों की खोपड़ी पतली होती है और आकार में पुरुषों की अपेक्षा १०% कम होती है । मस्तक और पीछे का उभार पुरुषों की अपेक्षा कम होते हैं। खोपड़ी की ऊपरी सतह ज्यादा धारदार होती है। शिरोभाग थोड़ा समतल होता है और चेहरा गोल एवं दाँतों का आकार छोटा होता है।

ऑक्सीअल अस्थिसंस्था की जानकारी हम प्राप्त कर चुके हैं।

(क्रमश:)

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